Friday, 24 July 2015

स्तनों ( Breast) में प्राकृतिक( Natural) रूप से दूध ( Milk) बढ़ाने Increase )के उपाय














स्तनों में प्राकृतिक रूप से दूध बढ़ाने के उपाय
(Natural ways to increase breast milk)

मां के लिए अपने शिशु को पहली बार अपने शिशु को स्तन-पान कराना अविस्मणीय और ममता से भरा अहसास होता है। शिशु के लिए मां का दूध अमृत से कम नहीं होता। मां का पहला दूध बच्चे को जीवन भर कई बीमारियों से लड़ने की शक्ति भी प्रदान करता है। यही नहीं स्तनपान से ही मां और शिशु का रिश्ता मजबूत बनता है। लेकिन कई बार मां के स्तनों में दूध की कमी हो जाती है और बच्चे और मां दोनों के लिए एक गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है।

जन्म के बाद एक घंटे तक नवजात शिशु में स्तनपान करने की तीव्र इच्छा होती है। बाद में उसे नींद आने लगती है। इसलिए जन्म के बाद जितनी जल्दी मां और बच्चे को दूध पिलाना शुरू कर दे, उतना अच्छा होता है। आमतौर पर जन्म के 45 मिनट के अन्दर स्वस्थ बच्चों को स्तनपान शुरू करवा देना चाहिए।

शल्य-चिकित्सा द्वारा उत्पन्न हुए बच्चों से भी माता पर बेहोशी की दवा का असर समाप्त होते ही स्तनपान शुरू करवा देना चाहिए। जन्म के तुरन्त बाद बच्चों को मां का दूध पिलाने से स्तनपान की प्रक्रिया ठीक हो जाती है। स्तनपान की सफलता में शुरू के कुछ दिनों के प्रयास का बड़ा योगदान रहता है। लेकिन जब किसी मां के स्तन में दूध का पर्याप्त उत्पादन नहीं होता तो यह मां और शिशु दोनों के लिए ही कष्ट देने वाली स्थति होती है।

ऐसी स्थिति पैदा होने पर घबराएं नहीं क्योंकि आपके दूध का उत्पादन बढ़ाना संभव है और इसके लिए आपको जोखिम भरी दवाइयां लेना भी जरूरी नहीं। क्योंकि स्तन में दूध की मात्रा में इजाफा करने के कुछ सुरक्षित और प्राकृतिक तरीके भी अपनाए जा सकते हैँ। स्तनों में दूध के घटने के कई कारण हो सकते हैं जैसे, तनाव, डिहाइड्रेशन, अनिद्रा तथा खराब खानपान आदि।

प्राकृतिक रूप से स्तनों का दूध बढ़ाने के उपाय-

दूध पिलाते समय स्तन को बदलती रहें-
शिशु को स्तनपान कराते समय स्तन को बराबर बदलती रहें। इससे शरीर में दूध उत्पादन बढ़ेगा। साथ ही ऐसा करने से आपका बच्चा भी आराम से स्तनपान कर सकेगा। दरअसल इससे दोनों स्तन खाली होते रहेंगे और ज्यादा दूध का उत्पादन होता है। एक बार स्तनपान कराते समय कम से 
कम दो से तीन बार स्तन बदलें।

स्तनपान कराते समय स्तन पर दबाव डालें-
स्तनपान कराते समय अपने स्तन को दबाएं। इससे भी कम दूध उत्पादन की निराशा से छुटकारा मिलेगा। इससे एक बार स्तनपान कराने पर स्तन पूरी से तरह से खाली हो जाता है।

सौंफ का सेवन-
माना जाता है कि सौंफ का सेवन पेट साफ करने वाला,हृदय को शक्ति देने वाला, घाव, उल्टी, दस्त, खांसी, जुकाम, बुखार, अफारा, वायु विकार, अनिंद्रा और अतिनिंद्रा, पेट के सभी रोग (अपच, कब्ज आदि) दस्त तथा स्तनों में दूध की कमी आदि को दूर करता है। इसलिए आप स्तनों में दूध की मात्रा को ठीक करने के लिए सौंफ का सेवन कर सकती हैं।

मेवा खाएं-
बादाम, काजू व पिस्ता जैसे मेवे स्तनों में दूध की मात्रा को बढ़ाते हैं। साथ ही ये मेवे विटामिन, मिनरल और प्रोटीन से भी भरपूर होते हैं। इन्हें कच्चा खाने पर ज्यादा लाभ होगा। इसके अलावा आप इन्हें दूध के साथ भी ले सकती हैं।

लहसुन का सेवन-
लहसुन खाना मां के लिए अच्छा होता है। इसे खाने से भी दूध बनाने की क्षमता बढ़ती है। लहसुन को कच्चा खाने की बजाए उसे मीट, करी, सब्जी या दाल में डाल कर पका कर खाएं। अगर आप लहसुन को नियमित खाती हैं तो आपको लाभ अवश्य होगा।

तुलसी और करेले का सेवन-
तुलसी और करेले दोनों में ही विटामिन पाया जाता है, जिसे खाने से स्तनें में दूध की मात्रा बढ़ती है। तुलसी को सूप या शहद के साथ खाया जा सकता है, या फिर आप इसे चाय में डाल कर भी ले सकती हैं। करेला महिलाओं में लैक्टेशन सही करता है। करेला बनाते वक्त हल्के मसालों का ही प्रयोग करें ताकि यह आसानी से हजम हो सकें।

पौष्टिक भोजन करें-
स्वस्थ और पौष्टिक भोजन करने से मां के शरीर में दूध की मात्रा ठीक हो जाती है। अगर आप पहली बार मां बनी हैं तो जबान के स्वाद को थाड़े दिनों के लिए अलग कर अपने बच्चे के बारे में सोचें। अर्थात ज्यादा से ज्यादा स्वस्थ भोजन खाएं। 
शरीर में दूध उत्पादन के लिए अच्छे खानपान की बहुत आवश्यकता होती है। ज्यादा तला भोजन न करें और समय से खाएं। अदाहरण के चौर पर जई का दलिया लें। यह एख पौष्टिक आहार होता है। इससे दूध का उत्पादन बढ़ता है। 
कई महिलाओं ने यह माना है कि जई का दलिया खाने से उनके शरीर में दूध की मात्रा में वृद्धि हुई है। साथ ही ऐसी चर्बी जो कि घी, बटर या तेल से मिलती हो, वह स्तनों में दूध की मात्रा को बढाने में बहुत कारगर होती है।
यदि किसी मां को कोई आर्थिक व घर-गृहस्थी संबंधी चिन्ता रहती है। या फिर झगड़े या पारिवारिक कलह बने रहने की वजह से वह हर समय परेशान, चिड़चिड़ी और उत्तेजित रहती है, तो उसके अंग-प्रत्यंगों में स्थायी रूप से तनाव बना रहता है। जिस कारण स्तनों में दूध की मात्रा क्रमशः कम होती जाती है। 
आमतौर पर ऐसी माओं का दूध समय से पहले ही सूखने लगता है। इसके अलावा चाहे जैसी भी स्थिति हो, जब तक दूध आना पूर्णतः बन्द न हो जाए, तब तक दूध उत्पन्न करने वाली विभिन्न बाजारू औषधियों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

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