Monday, 8 September 2014

तंत्र मुद्रा















तंत्र मुद्रा
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मुद्रा का अर्थ है स्थिति| साधना में इसका तात्पर्य हाथओं और उंगलियों की विशेष स्थिति से होता है| योग व तंत्र ग्रंथों के अनुसार मुद्राओं से साधक की आंतरिक स्थिति का ज्ञान होता है| आंतरिक स्थिति की सहज अभिव्यक्ति हुआ करती हैं ये मुद्राएं| साधक जब मुद्राओं द्वारा अर्चन, उपासना या ध्यान आदि क्रियाएं करता है, तो वह बाहर से भीतर की यात्रा करने का प्रयास सिद्ध करता है| प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है जिस प्रकार सूक्ष्म स्थितियों का प्रभाव स्थूल क्रियाओं पर पड़ता है, उसी प्रकार सायास स्थूल क्रियाओं से सूक्ष्म भी प्रभावित होता है| मानव के शरीर में हाथों का बड़ा महत्व होता है| मानव के मस्तिष्क पर उसका भाग्य, हाथों में उसके कर्म और शरीर के भीतरी चलन की रेखाएं उसके पैरों में होती हैं| मानव शरीर की मुद्राएं हाथों द्वारा ही संपन्न कर पाता है| प्रत्येक मुद्रा में शरीर को उचित समय (तीन से पांच मिनट) तक रखा जाता है| जिसका प्रभाव उस मुद्रा से भीतरी अंग की क्रियाशैली बढ़ जाएगी| मानव शरीर की उंगलियों हथेली और कलाई में अनेक प्रकार के स्थान हैं जिनका सीधा संपर्क शरीर के भीतरी अंग से हैं| उचित अंग के लिए उचित मुद्रा का विज्ञान शास्त्रों में बताया गया है| मानव पूर्व वैदिक काल में मुद्राओं द्वारा ही संपर्क साधता था| इसका पूर्ण ज्ञान मुद्रा शास्त्र से मानव को प्राप्त होता है |
सम्पूर्ण प्रकृति और हमारा शरीर पांच तत्वों से बना है| मानव शरीर लघु ब्रह्माण्ड स्वरूप है| सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का प्रतीक यह मानव-शरीर भी ब्रह्माण्ड के समान ही पांच तत्वों (अग्नि, वायु, आकाश, पृथ्वी, जल) के योग से बना है| मुद्रा विज्ञान का आधारभूत सिद्धांत यह है कि शरीर में इन पंच तत्वों में असंतुलन से रोगोत्पत्ति होती है तथा पंच तत्वों में समता व सन्तुलन होने से हम स्वस्थ रहते हैं| हाथों में से एक विशेष प्रकार की प्राण-ऊर्जा या शक्ति विद्युत तरंगें/जीवनी शक्ति निरंतर निकलती रहती है| विभिन्न प्रकार की रहस्यमयी चिकित्साओं में हाथों के संस्पर्श मात्र से नीरोगी बनाने के पीछे यही ऊर्जा छिपी है| भारतीय मनीषियों के अनुसार, मानव-हस्त की पांचों उंगलियां अलग-अलग पंच तत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं और प्रत्येक उंगली का संबंध एक तत्व विशेष से है| आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि प्रत्येक उंगली के सिरे से अलग-अलग प्रकार की ऊर्जा तरंगें (इलेक्ट्रो मैगनेटिक वेव्स) निकलती रहती है| प्राचीन भारतीय ऋषियों की अद्भुत खोज मुद्रा-विज्ञान के अनुसार पंच तत्वों की प्रतीक उंगलियों को परस्पर मिलाने, दबाने, मरोड़ने या विशेष प्रकार की आकृति बनाने से विभिन्न प्रकार के तत्वों में परिवर्तन, अभिव्यक्ति, विघटन एवं प्रत्यावर्तन होने लगता है| दूसरे शब्दों में, उंगलियों की सहायता से (बनाई जानेवाली विभिन्न मुद्राओं द्वारा) इन पंच तत्वों को इच्छानुसार घटाया-बढ़ाया जा सकता है| ....................................................................हर-हर महादेव 
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