Saturday 21 June 2014

मखाना (मखान्न)














मखाना (मखान्न) -

मखाना पोषक तत्वों से भरपूर एक जलीय उत्पाद है | भारत में यह मुख्यतः जम्मू-कश्मीर,पूर्वी पश्चिमी बंगाल के तालाबों,राजस्थान,उत्तर प्रदेश,बिहार,आसाम ,त्रिपुरा एवं मणिपुर में पाया जाता है | मखाना बलवर्धक होता है | इसका क्षुप कांटेदार तथा कमल के सामान जल में होता है | इसके पुष्प २.५ -५ सेमी लम्बे,अंदर की ओर रक्त वर्ण के,चमकीले और बाहर से हरित वर्ण के होते हैं| इसके फल ५-१० सेमी व्यास के,गोलाकार,कांटेदार तथा स्पंजी होते हैं | इसके बीज मटर के समान या कुछ बड़े होते हैं | यह संख्या में ८-२० तथा कृष्ण वर्ण के होते हैं| इसे कच्चा या भूनकर खाते हैं| बालू में भूनने से यह फूल जाते हैं जिन्हे मखाना कहा जाता है | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल अगस्त से जनवरी तक होता है | 
इसके बीज में स्टार्च,म्युसिलेज,तैल,अल्फा-टोकोफ़ेरॉल तथा स्टेरॉइडल ग्लाइकोसाइड पाया जाता है | मखाने में औषधीय गुण भी पाये जाते हैं -

१- मखानों को घी में भूनकर खाने से दस्तों (अतिसार ) में बहुत लाभ होता है | 

२- मखाने की शर्करा रहित खीर बनाकर उसमें मिश्री का चूर्ण डालकर खिलाने से प्रमेह में लाभ होता है | 

३- एक से तीन ग्राम मखानों को गर्म पानी के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से पेशाब के रोग दूर हो जाते हैं |

४- पत्तों को पीसकर लगाने से आमवात तथा संधिवात में लाभ होता है| 

५- मखानों को दूध में मिलाकर खाने से दाह (जलन) में आराम मिलता है | 

६- मखानों के सेवन से दुर्बलता मिटती है तथा शरीर पुष्ट होता है |

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.