मानसिक दु:ख (Melancholia or Depression)
परिचय-
मानसिक दु:ख से पीड़ित रोगी अपने सामाजिक और दैनिक जिम्मेदारियों के प्रति उदास रहता है और उसे इससे अरुचि होने लगती है। इस कारण से उसकी जीवन शैली एकदम बदल जाती है, मानसिक व भावनात्मक दबाव होने लगता है।
कारण :-
कई प्रकार की औषधियों के दुष्प्रभाव के कारण से मानसिक दु:ख उत्पन्न होता है।
किसी प्रकार के संक्रामक रोग जैसे फ्लू या टायफायड, टी.बी. या एड्स आदि कारण से भी यह उत्पन्न हो सकता है।
अंत-स्त्रावी ग्रंथि में किसी प्रकार से बदलाव उत्पन्न होने के कारण से उसके द्वारा उत्पन्न हार्मोन्स में गड़बड़ी होने के कारण से मानसिक आघात होता है।
किसी प्रकार से अचानक घटना घट जाने के कारण से यह रोग उत्पन्न हो सकता है।
लक्षण :-
मानसिक दु:ख से पीड़ित रोगी अधिक निराशावादी और उदासीन हो जाता है। उसके मन में अपने को बेकार व लाचार मानने की भावना उत्पन्न होती है। वह अपने को दोषी मानने लगता है। उसे चिड़ड़ाहट, घबराहट तथा उत्तेजना होती है। अक्सर जोर से रोने का मन करता है। दैनिक क्रियाओं को करने में उसका मन नहीं लगता है। उसके सोचने की शक्ति तथा एकाग्रता कम हो जाती है। नींद भी ठीक से नहीं आती है। शरीर का वजन घटने या बढ़ने लग जाता है। शरीर की शक्ति भी कम हो जाती है। किसी भी कार्य को करने से जल्दी थकावट उत्पन्न होती है। मन में आत्महत्या करने का विचार उत्पन्न होता रहता है।
मानसिक दु:ख होने पर क्या करें और कया न करें :-
1) रोगी को अपने रोग का उपचार कराने के लिए किसी अच्छे
2) चिकित्सक से मिलना चाहिए और उसके सलाह के अनुसार ही कार्य करना चाहिए।
3) रोगी को अपने आप मानसिक दु:ख को खत्म करने की दवाईयां नहीं लेनी चाहिए।
4) प्रतिदिन सुबह तथा शाम के समय में योग, व्यायाम तथा ध्यान करना लाभदायक है।
5) कोई भी ऐसे शब्द का उचारण करे जिससे शांति मिले जैसे ओम्..ओम् या अपने ईश्वर को याद करने का अन्य शब्द आदि।
6) रोगी को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए।
7) जब रोग के लक्षण उत्पन्न हो तब आंखों को बंद करके शान्त बैठे, इससे लाभ मिलेगा।
8) ताजे फल, विटामिन बी काम्प्लेक्स व सैलेनियम का सेवन करें।
9) कार्बोहायड्रेट का भी सेवन करें इससे मानसिक दु:ख को दूर करने में मदद मिलेगी।
10) किसी भी काम को करने में अपने आप को लगाए इससे दु:ख से छुटकारा पाने में सहायता मिलेगा।
11) दिमाग को व्यस्त रखने के लिए कोई उचित मानसिक कार्य करें।
सदा पौष्टिक और संतुलित आहार करें।
12) रोगी के इस रोग को दूर करने के लिए सबसे पहले इसके होने कारणों का पता लगाए इसके बाद उपचार करें।
13) अपने समस्याओं को अपने किसी साथी या सगे सम्बंधी को बताए, हो सकता है कि वे कुछ आपकी मदद कर सकें।
14) अपने दु:ख को किसी दूसरे को बताने से कुछ दु:ख तो अपने आप ही दूर हो जाता है
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