दमा/श्वास/अस्थमा की सफ़ल सरल चिकित्सा- (भाग 1)
यह सभी प्रयोग बार बार किए है। हमेशा सफल होते है
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1 सितोपलादि चूर्ण- (स्वामी रामदेव जी की दुकान से ले) 2-5 ग्राम सितोपलादि चुर्ण+1 चम्मच शहद+2 चम्मच देशी घी(गाय का हो तो बहुत अच्छा)। इसे दिन मे 2बार ले। इससे नए व पुराने दमे मे जरूर लाभ होता है। अभी तक जिसे भी दिया है उसे ही लाभ हुआ है। किसी को भी हानि नहीं हुई। ध्यान रहे इस से तत्काल लाभ नहि होता। 10 दिन बाद लाभ होता है परन्तु लाभ जरूर होता है। जो भी दमे की चिकित्सा कर के परेशान हो चुके हैं वह प्रयोग जरूर करे। आप निराश नहीं होंगे। यदि कभी बुखार (ज्वर) हो जाए तो यह बन्द कर दे। बुखार ठीक होने पर दोबारा शुरू करे। यह दवा इतनी सुरक्षित है कि गर्भवती महिलाओं और 1 महिने के बच्चे को भी दे सकते हैं। (कृष्ण गोपाल आयुर्वेद भवन कालेड़ा, आर्य वैद्य शाला केरल, गीता भवन आयुर्वेदिक संस्थान व गुरुकुल झज्जर का सितोपलादि चूर्ण भी बहुत अच्छा है। )
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2 *दशमूल क्वाथ – स्वामी रामदेव जी की दुकान से दशमूल क्वाथ मिलता है। इस द्शमूल क्वाथ के 2 चम्मच (लगभग 10 ग्राम) 200 ग्राम पानी मे उबाल ले। जब लगभग आधा रह जाए तब छान कर पी ले। प्रतिदिन 2-3 समय पिए। यह सब प्रकार के दमे मे जरूर लाभ करता है। कोइ भी हानि नहीं होती।
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3 सोंठ (सूखी अदरक जिसे गर्म मसाले मे मिलाते है) 50 ग्राम
नागरमोथा (यह जड़ी बूटी बेचने वाली दुकान से मिलेगा) 50 ग्राम
गुड़-100 ग्राम।इन तीनो चीजों को पीस कर मिला ले। कुछ बुन्द पानी मिला कर 1-1 ग्राम की गोली बना ले। गोली को धूप मे सुखा ले नही तो खराब हो जाती है। जब भी दमे का दौरा (वेग) हो तभी एक गोली धीरे धीरे चूसे। खांसी और दमे मे बहुत लाभ करती है।
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4*यह प्रयोग सब तो नहीं कर सकते परन्तु जहां पर हो सके वहा पर करे। सफ़ेद पेठा (कुष्माण्ड) जिसकी मिठाई बनाइ जाती है उसकी जड़ को लाकर छाया मे सुखा ले । लगभग 1-2 ग्राम दिन मे 2 बार गर्म पानी से ले। सभी तरह के दमे मे बहुत लाभदायक है।यह बहुत ही सफ़ल प्रयोग है। इसलिए यदि आपको सफ़ेद पेठे की जड़ मिल जाए तो प्रयोग जरूर करे।
5*कौंच के बीज – यह आपको जड़ी बूटी बेचने वाले से आसानी से मिल जाएगे। उससे आप 250 ग्राम सफ़ेद कौंच के बीज ले। उन बीजों को एक रात गर्म दुध मे रख दे। सुबह पानी से धो कर छिलका हटा दे। फ़िर तेज धूप मे सुखा दे। सुखने पर बारीक पीस कर रख ले। 3-5 ग्राम कौंच के बीज का चुर्ण+ 1 चम्मच शहद+2 चम्मच देशी घी। इस तरह सुबह शाम 2 बार ले। 2-3 महिने लेने से दमा पूरी तरह से ठीक हो जाता है। जो बहुत कमजोर हो, जिन्हे 2 कदम चलना भी मुश्किल हो वह यह प्रयोग जरूर करे। दमा तो जाएगा ही कमजोरी भी ठीक हो जाएगी। सारे शरीर मे शक्ति का सन्चार हो जाएगा। कोइ साईड इफ़ेक्ट नही है। यदि कभी बुखार (ज्वर) हो जाए तो यह बन्द कर दे। बुखार ठीक होने पर दोबारा शुरू करे।
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6*केले के तने का रस- केले के पेड़ पूरे भारत मे पाए जाते हैं परन्तु गुजरात से केरल तक तो बहुत अधिक मिलता है। इस प्रयोग के लिए वह पेड़ चुने जिस पर पिछले 20 दिन मे पेस्टिसाईड का छिड़काव न किया गया हो। केले के पेड़ के तने का छोटा सा हिस्सा ले जिस से लगभग 50 ग्राम रस निकल जाए। इस प्रकार दिन मे 3 बार 20 ग्राम से 50 ग्राम तक केले के तने का रस पिला दे। ध्यान रहे केले के तने का रस निकालते समय पानी न मिलाएं। कैसा ही कठिन दमा हो 1 महिने मे ठीक हो जाता है। किसी किसी को 2-3 महिने प्रयोग करना पड़ता है।
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दमे की तत्कालिक चिकित्सा
जौ (BARLEY) एक किस्म का अनाज होता है जो कुछ कुछ गेहूं जैसा दिखता है। बाजार से लगभग 250 ग्राम जौ ले आएँ। ध्यान रहे कि इसमे घुन न लगा हुआ हो। इसे साफ कर ले। मंद मंद आग पर कड़ाही मे डाल कर भून ले। ध्यान रहे कि जले नहीं। इसके बाद इसे मोटा मोटा कूट/ पीस ले।
जरूरत के समय 1 बड़ा चम्मच जौ का चूर्ण लेकर उसमे 1 छोटा चम्मच देशी घी मिला कर तेज गरम तवे पर या तेज गरम लोहे की कड़छी मे डाल कर इसका धुआँ नाक से या मुँह से खींचें। यदि लकड़ी के जलते हुए कोयले पर डाल कर धुआँ खींचे तो और भी अधिक लाभदायक है। धुआँ लेने के 15 मिनट पहले और 2 घंटे बाद तक ठंडा पानी न पिए। प्यास लगे तो गरम दूध पिए।
यदि बार बार मुँह सूखता हो और प्यास लगती हो तो ये चिकत्सा न करें।
नए जुकाम मे जब सिर भारी हो और नाक बंद तब यह प्रयोग करें और चमत्कार देखें। 5 मिनट मे फायदा होगा।
खांसी, दमे मे इन्हेलर कि तरह तत्काल फायदा दिखता है।
खर्राटे मे प्रतिदिन ये धुआँ लें। सुबह शाम किसी भी समय ले सकते हैं।
कोई साइड इफेक्ट नहीं। बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित।
अन्य दवाओं के साथ भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
बदलते मौसम मे स्वस्थ भी प्रयोग करें ताकि नजले जुकाम से बच सकें।
दिन मे 4 बार तक प्रयोग कर सकते हैं। एक समय मे 4 बड़े चम्मच जौ घी मिला कर प्रयोग कर सकते हैं.
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