Wednesday 27 April 2016

जौ के फायदे















यव (जौ) के क्या-क्या फायदे है - WHAT ARE THE BENEFITS OF MALT (BARLEY)

जौ को यव और धान्यराज भी कहा जाता है यह सभी अनाजों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है यह एकमात्र बुद्धि वर्धक अनाज है किसी भी रोग के लिए यह निरापद है इसका सेवन बिना झिझके किसी भी रोग के लिए निरापद रूप से किया जा सकता है

यह बहुत कम परिश्रम से ही बंजर या पथरीली भूमि पर भी उग जाता है यह वास्तव में अनाज नहीं बल्कि औषधि है भुने हुए जौ के आटे से बना हुआ सत्तू शीतल और पौष्टिक पेय होता है मीठा और ठंडा सत्तू गर्मी के दिनों में पीने से पित्त शांत होता है और शीतलता मिलती है मिश्री मिलाकर पीने से अधिक शीतलता मिलती है

प्रयोग-
जौ रक्तशोधक होता है इससे त्वचा भी सुन्दर हो जाती है जौ के आटे को खाने से ही नहीं वरन लगाने से भी चेहरे की सुन्दरता निखरती है बारीक जौ के आटे में खीरे और टमाटर का रस मिलाकर चेहरे पर लेप करें कुछ देर ऐसे ही रहने दें बाद में धो लें ऐसा कुछ दिन करने से चेहरा खिल उठेगा -
जौ खांसी के लिए अचूक दवाई है जौ को जलाकर इसकी राख 1- 1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सवेरे शाम चाटने से खांसी बिलकुल ठीक हो जाती है इसके पौधे की राख को भी खांसी के लिए 1-1 ग्राम की मात्रा में लिया जा सकता है श्वास रोगों में भी यह राख शहद के साथ ली जा सकती है 

यदि इस राख को 1-1 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लिया जाए तो पेशाब खुलकर आता है और किडनी की समस्या ठीक हो जाती है

शुगर की बीमारी में यह अनाज लिया जाए तो दवा का काम करता है इस बीमारी के उपचार के लिए प्रयोग-

जौ - 10 ग्राम
तिल - 5 ग्राम
मेथी दाना - 3 ग्राम

उपरोक्त सभी सामग्री को दरदरा कूटकर मिट्टी के बर्तन में रात को भिगो दें और सवेरे-सवेरे इस पानी को छानकर पी लें इससे गर्मी भी शांत होगी और पेशाब की जलन भी खत्म हो जाएगी शुगर की बीमारी में जौ चने और गेहूँ की मिस्सी रोटी खानी चाहिए इससे सभी खनिज , विटामिन, कैल्शियम और लौह तत्व भी भरपूर मात्रा में मिल जाते हैं इस रोटी को खाने से कमजोरी भी दूर होती है

इसका दलिया रात को मिटटी के बर्तन में पानी में भिगो दें सवेरे इसका पानी निथारकर पीने से शीतलता व शक्ति मिलती है बचे हुए दलिए को ऐसे ही पका लें या फिर खीर बना लें इससे ताकत बढती है

यवक्षार या जौ का क्षार हल्के मटमैले रंग का होता है यह बहुत सी बीमारियों के लिए रामबाण है इसे बनाना बहुत आसान है 

आधे पके हुए जौ के पौधों को उखाडकर उनके टुकड़े कर लें इसको जलाकर राख बना लें राख में पानी मिलाकर अच्छी तरह से हिलाएं 10-15 मिनट के लिए रख दें फिर से हिलाएं और 10-15 मिनट तक रख दें ऐसा चार पांच बार करें फिर ऊपर के तिनके निकाल कर पानी को निथारकर फेंक दें नीचे के बचे हुए सफ़ेद रंग के गाढे द्रव को धीमी आंच पर धीरे धीरे पकाएं जब यह काफी गाढ़ा हो जाए तो इसे सुखा लें यही मटमैला सा पाऊडर यवक्षार कहलाता है इसे जौ के बीजों को जलाकर भी प्राप्त कर सकते हैं

यवक्षार की 1-2 ग्राम मात्रा शहद के साथ लेने से खांसी और अस्थमा जैसी बीमारियों से छुटकारा मिलता है 

यवक्षार को पानी के साथ लेने पर पथरी और किडनी की समस्याओं से राहत मिलती है 

भूख कम लगती हो तो आधा ग्राम यवक्षार रोटी में रखकर खाएं यह कई तरह की दवाओं में प्रयोग में लाया जाता है 

इस अनाज को पवित्र माना गया है हवन में में यव (जौ ) और तिल डाले जाते हैं इससे वातावरण के बैक्टीरिया आदि समाप्त हो जाते हैं 
इसे खाने से शरीर के विजातीय तत्व खत्म हो जाते हैं या बाहर निकल जाते हैं 

आजकल के प्रदूषित वातावरण में प्रदूषित खाद्यान्नों का प्रभाव कम करना हो तो जौ का सेवन अवश्य ही करना चाहिए -

इसके निरंतर सेवन से कई प्रकार की अंग्रेजी दवाइयां लेने से भी बचा जा सकता है 

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