Monday, 4 April 2016

नहाने का तरीका


















नहाने का तरीका 

क्या आपने देखा, सुना है कि 

1. नहाते समय बुजुर्ग को लकवा लग गया,
2. दिमाग की नस फट गई ( ब्रेन हेमरेज),
3. हार्ट अटैक आ गया।
4. छोट्टे बच्चे को नहलाते समय बो बहुत कांपता रहता है, डरता है और माता समझती है की नहाने से डर रहा है।

ये सब गलत दिशा में नहाने से होता है।

हमारे शारीर में गुप्त विद्युत् शक्ति रुधिर के निरंतर प्रवाह के कारण पैदा होते रहती है जिसकी स्वास्थ्यवर्धक प्राकृतिक दिशा ऊपर से आरम्भ होकर नीचे पैरो की तरफ आती है। सर में बहुत महीन रक्त् नालिकाय होती है जो दिमाग को रक्त पहुचाती है।

यदि कोई व्यक्ति निरंतर सीधे सर में ठंडा पानी डालकर नहाता है तो ये नलिकाएं सिकुड़ने या रक्त के थक्के जमने लग जाते है और जब शरीर इनको सेहन नहीं कर पाता तो ऊपर लिखी घटनाएं वर्षो बीतने के बाद बुजुर्गो के साथ होती है।

सर पर सीधे पानी डालने से हमारा सर ठंडा होने लगता है, जिससे हिरदय को सर तरफ ज्यादा तेजी से रक्त भेजना पड़ता है जिससे या तो बुजुर्ग में हार्ट अटैक या दिमाग की नस फटने की अवस्था हो सकती है। ठीक इसी तरह बच्चे का नियंत्रण तंत्र भी तुरंत प्रतिक्रिया देता है जिससे बच्चे के कांपने से शरीर में गर्मी उत्त्पन्न होती है और माँ समझती है की बच्चा डर रहा है। गलत नहाने से बच्चे की हिरदय धड़कन अत्यधिक बढ़ जाती है स्वयं परिक्षण करिये 

तो नहाने का सही तरीका क्या है?

बाथरूम में आराम से बैठकर या खड़े होकर सबसे पहले पैर के पंजो पर पानी डालिये , रगड़िये, फिर पिंडलियों पर, फिर घुटनो पर, फिर जांघो पर पानी डालिये और हाथो से मालिश करिये / फिर हाथो से पानी लेकर पेट को रगड़िये/ फिर कंधो पर पानी डालिये, फिर अंजुली में पानी लेकर मुँह पर मलिए/ हाथो से पानी लेकर सर पर मलिए। इसके बाद आप शावर के नीचे खड़े होकर या बाल्टी सर पर उड़ेलकर नहा सकते है।

इस प्रक्रिया में केवल 1 मिनट लगता है लेकिन इससे आपके जीवन की रक्षा होती है। और इस 1 मिनट में शारीर की विद्युत् प्राकर्तिक दिशा में ऊपर से नीचे ही बहती रहती है क्योंकि विद्युत् को आकर्षित करने वाला पानी सबसे पहले पैरो पर डाला गया है। बच्चे को इसी तरीके से नहलाने पर वो बिलकुल कांपता डरता नहीं है।

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