मिर्गी रोग लक्षण एवं उपचार
चिंता और शोकादि से क्रोध को प्राप्त हुए वात, पित और कफ हृदय की नसों मे घुसकर स्मरण मात्र का नाश कर मिर्गी रोग को प्रकट करते हैं। हृदय कांपे, शरीर सुन्न हो जाए, पसीना आए, ध्यान लग जाए, मूर्छा हो, ज्ञान जाता रहे, निद्रा ना आए, ये लक्षण हो तो जानिए की मिर्गी रोग है। और उसको सर्वत्र अंधकार दिखाई दे, स्मरण जाता रहे व हाथ पैर आदि अंगों को पृथ्वी पर पटके जब भी ये मान लेना चाहिए की मिर्गी रोग है। मिर्गी निम्नलिखित प्रकार से होती है।
वात की मिर्गी :-
व्यक्ति कांपता हो, दाँत चबाये, मुख से झाग आए, श्वास हो, काला पीला दिखाई दे, ये लक्षण वात की मिर्गी के हैं।
पित की मिर्गी :-
मुख से पीला झाग आए व शरीर की त्वचा ये मुख पीला हो जाए तो समझो की पित की मिर्गी है।
कफ़ की मिर्गी :-
मुख से सफ़ेद झाग आए, शरीर की त्वचा व मुख आदि सफ़ेद पड़ जाए तो ये निश्चित है कि ये कफ़ की मिर्गी है।
ऊपर लिखे गए अगर सभी लक्षण हैं तो ये सन्निपात कि मिर्गी के लक्षण हैं।
मिर्गी के असाध्य लक्षण :-
शरीर बहुत फड़कता हो, क्षीण हो जाए और 15वें दिन आए, भोंहे चढ़ जाए व नेत्र फिर जाए तो वह मिर्गी वाला मर जाता है।
मिर्गी 12वें दिन आए तो वात की, 15वें दिन आए तो पित की व एक महीने मे आए तो कफ़ की मिर्गी जान लेना चाहिए।
उपचार :- तिल के साथ लहसुन खाये तो वात कि मिर्गी समाप्त हो जाती है।
दूध के साथ शतावर खाये तो पित कि मिर्गी ठीक हो जाती है।
ब्राह्मी का रस शहद के साथ खाये तो कफ़ कि मिर्गी ठीक हो जाती है । अथवा राई व सरसों खाएँ।
या एक किलो सरसों तेल, 4 किलो सहजन का रस, चिड़चिड़े का रस 4 किलो, ग्वारपाठे(घृतकुमारी) का रस 4 किलो, गौमूत्र 4 किलो, नीम की छाल का रस एक किलो, इन सबको एक साथ मिलकर पकाये। जब सारा रस जल जाए व मात्र तेल बच जाए तब इस तेल का मर्दन करने से मिर्गी रोग समाप्त हो जाएगा।
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