Thursday, 20 March 2014

सेमल-

















सेमल-

इन दिनों प्रकृति भी हमसे होली खेलती है. तभी तो हर और सेमल के वृक्ष रंग बिखेरते नज़र आते है.कबीर भी इनसे प्रभावित हुए थे और लिखते है- कबीरा ये संसार है, जैसा सेमल फूल दिन दस के व्यवहार में झूंठे रंग ना भूल.
- इसके पेड़ आंगन में लगाने पर सांप आदि विषैले जीव जंतु घर में नहीं आते। सेमल नव ग्रहों में से एक ग्रह की लकड़ी है। इसे पवित्र माना जाता है। ऎसी मान्यता है कि होलिका दहन के समय इस लकड़ी का उपयोग किया गया था ताकि प्रहलाद बच जाए। इसी मान्यता के तहत आज भी लोग सेमल की लकड़ी का उपयोग होलिका दण्ड के रूप में करते हैं।
- अप्रैल माह में इस पर फूल निकलते है। इनका उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है।
- फूल निकलने के बाद जो इस पर जो फल लगता है वह केले के आकार का होता है इसका उपयोग कच्चा व सूखाकर सब्जी के रूप में किया जाता है। इसके फूलों की बाजार में भारी मांग है। - फल के पकने पर जो बीज निकलते हैं उन बीजों से रूई निकलती है जो मुलायम व सफेद होती है। इस रूई का प्रयोग कई कामों में किया जाता है।
- सेमल से कुछ समय के लिए लोगों को रोजगार भी मिल जाता है। इसके फूल बाजार में 15 से 20 रूपये किलों तक बिक जाते है। इसके अलावा फल भी 10 से 15 रुपये किलों बिकते है। बीज तो 50 से 70 रुपये किलों तक बिकते है।
- यह मधुर, कसैला, शीतल, हलका, स्निग्ध, पिच्छिल तथा शुक्र और कफ को बढ़ानेवाला कहा गया है । सेमल की छाल कसैली और कफनाशक; फूल शीतल, कड़वा, भारी, कसैला, वातकारक, मलरोधक, रूखा तथा कफ, पित्त और रक्तविकार को शांत करनेवाला कहा गया है । फल के गुण फूल ही के समान हैं ।
- सेमल के नए पौधे की जड़ को सेमल का मूसला कहते हैं, जो बहुत पुष्टिकारक और शक्तिवर्धक माना जाता है ।
- सेमल का गोंद मोचरस कहलाता है । यह अतिसार को दूर करनेवाला और बलकारक कहा गया है । इसके बीज स्निग्धताकारक और मदकारी होते है; और काँटों में फोड़े, फुंसी, घाव, छीप आदि दूर करने का गुण होता है ।
- सेमल के फलों को घी और सेंधा नमक के साथ साग के रूप में बनाकर खाने से स्त्रियों का प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
- इस वृक्ष की छाल को पीस कर लेप करने से जख्म जल्दी भर जाता है।
– सेमल के एक से दो ग्राम फूलों का चूर्ण शहद के साथ दिन में दो बार रोगी को देने से रक्तपित्त का रोग ठीक हो जाता है।
– सेमल वृक्ष के पत्तों के डंठल का ठंडा काढ़ा दिन में तीन बार 50 से 100 मिलीलीटर की मात्रा में रोगी को देने से अतिसार (दस्त) बंद हो जाते हैं।
– इस वृक्ष की रूई को जला कर उसकी राख को शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से आराम मिलता है।
– दस ग्राम सेमल के फल का चूर्ण, दस ग्राम चीनी और 100 मिलीलीटर पानी के साथ घोट कर सुबह-शाम लेने से बाजीकरण होता है और नपुंसकता भी दूर हो जाती है।
– यदि पेचिश आदि की शिकायत हो तो सेमल के फूल का ऊपरी बक्कल रात में पानी में भिगों दें। सुबह उस पानी में मिश्री मिलाकर पीने से पेचिश का रोग दूर हो जाता है।
– सेमल के फूलों की सब्जी देशी घी में भूनकर सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ मिलता है।
– सेमल के पत्तों को पीसकर लगाने या बाँधने से गाँठों की सूजन कम हो जाती है।
– इस वृक्ष की गोंद एक से तीन ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर में बहुत अधिक लाभ मिलता है।
- इसके तने पर नुकीले कांटे होते हैं, इन काँटों को इकठ्ठा करके इन्हें कुचल कर इसका चूर्ण तैयार किया जाये और करीब आधा चम्मच चूर्ण को 5 मिलीलीटर यानी लगभग एक चम्मच दूध में मिला लिया जाये और इस मिश्रण को आँखों के नीचे काले धब्बों वाले स्थान पर लगाये और करीब आधे घंटे तक लगा रहने दें और बाद में इसे साफ़ पानी से धो लें.सुबह और रात में इस नुस्खे को एक महीने तक लगातार दोहराएँ; तो काफी लाभ होगा.

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