Thursday, 20 March 2014

जड़ीबूटियों से जुड़ी कुछ बहुत रोचक बातें













आदिवासियों की जिंदगी और जड़ीबूटियों से जुड़ी कुछ बहुत रोचक बातें 

रोजमर्रा की जिंदगी में हमारे आसपास पाई जाने वाली जडी-बूटियाँ और हमारा पारंपरिक ज्ञान किस कदर मदद कर सकता है, इसका आकलन भी नहीं किया जा सकता।
आइए जानते है जड़ी-बूटियों और आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान की मदद से हम किस तरह अपनी जिंदगी में आने वाली सामान्य समस्याओं को आसानी से सुलझा सकते हैं...

आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान और कुछ रोचक उपायों का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित करने का काम कर रहे हैं....

1. मेंहदी की पत्तियाँ किताबों और कपडों में लगने वाले कीडों को आसपास भी भटकने नहीं देती। मेंहदी की 5-10 सूखी पत्तियों को किताबों और कपडों की अलमारियों में रखिए, कीडे नही पडेंगे।

2. गर्मियों में पातालकोट के हर्रा का छार गाँव में आदिवासी नदी के किनारे पर छोटे गड्ढे करके पीने का पानी प्राप्त करते हैं, ये पानी सामान्यत: मटमैला होता है क्योंकि इसमें मिट्टी आदि के कण पाए जाते है। शुद्ध पानी प्राप्त करने के लिए आदिवासी गड्ढे में एक कप दही डाल देते है।
एक दो घंटे में पानी में घुले मिट्टी के कण तली में बैठ जाते है और आहिस्ता आहिस्ता पानी एकत्र कर लिया जाता है।माना जाता है कि दही सूक्ष्मजीवों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है, पानी पेय योग्य हो जाता है।

3. पातालकोट घाटी के आदिवासी हर्बल जानकार ज्यादा प्यास लगने से रोकने के लिए कच्चे चावल के दाने चबाने की सलाह देते हैं। कच्चे चावल के दाने (1-2 ग्राम) लेकर चबा लीजिए, बार बार प्यास लगना बंद हो जाएगी।
इन आदिवासियों के अनुसार मधुमेह के रोगियों को बार बार प्यास लगने की समस्या का निवारण इसी फ़ार्मुले से किया जा सकता है। वैसे जब भी आप पहाडों या लंबी पगडंडियों पर सैर सपाटों के लिए जाएं, तो इस फ़ार्मुले को जरूर अपनाएं, प्यास कम लगेगी और थकान भी कम होगी।

4. नमक में आने वाली नमी से परेशान हो? चावल के कच्चे दानों की कुछ मात्रा नमक के डिब्बे में डाल दीजिए, नमक पसीजेगा नहीं यानि नमक में नमी नहीं आएगी।

5.आदिवासी ताजे नींबू के चारों तरफ़ तिल का तेल लेपित कर देते हैं, इनके अनुसार ऐसा करने से नींबू काफ़ी लंबे समय तक ताजे रहते है और इन पर किसी तरह के दाग और सिकुडन पैदा नहीं होती है।
एक बाल्टी पानी में दो चम्मच लहसून का रस और 2 बूंद नीलगिरी का तेल डाल दीजिए और फिऱ पोछा करें, अगले 5-6 घंटों तक मच्छरों का अता पता नहीं रहेगा।

6. नींबू में पाया जाने वाला एसिड आपके कार के काँच की खिडकियों, फ्ऱंट ग्लास और साईड मिरर आदि पर लगे क्षारयुक्त पानी के धब्बों को निकाल मारता है।
कार के काँच वाले हिस्सों की बेहतर सफ़ाई के लिए एक हिस्सा शुद्ध पानी और दो हिस्सा नींबू का रस लिया जाए और इसे अच्छी तरह से मिला लिया जाए।
इस द्रव को कार के काँच वाले हिस्सों पर छिड्ककर साफ़ अखबार या वाईपर से पोछ लिया जाए, काँच बिल्कुल नए की तरह चमचमा उठेंगे।

7. नारंगी (लेण्टाना कैमारा) जिसे लालटेन्या भी कहा जाता है, मच्छरों के लार्वा को नष्ठ करने का देसी उपाय है। नारंगी की पत्तियों को एकत्र कर लिया जाए और साफ़ पानी से धो लिया जाए और फिऱ इसे कुचलकर पेस्ट तैयार कर लिया जाए।
इस पेस्ट को लार्वा पाए जाने वाले संबंधित पानी के श्रोतों जैसे गड्ढे, पोखर, नालियाँ और पानी के खुले टैंक आदि में डाल दिया जाए तो लार्वा कुछ समय में मर जाते है।
आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार, नारंगी के पेस्ट की मात्रा 100 मिली प्रति 15 लीटर होनी चाहिए..आजमाकर देखें, कोई बुराई नहीं।

8. दूध गर्म करते वक्त अक्सर दूध उफऩ जाता है या इसकी मलाई बर्तन की सतह पर चिपक जाती है,ऐसा आप यदि नही चाहते तो इस देसी फ़ार्मुले को आजमाकर देखिए।
दूध उबालने से पहले साफ़ पानी से बर्तन को धो लिया जाए और इस गीले बर्तन में तुरंत दूध डाल दिया जाए और साथ ही बर्तन की ऊपरी सतह पर या किनारे पर चारों तरफ़ घी, मक्खन या किसी भी खाद्य तेल को उंगली की सहायता से लगा दिया जाए, दूध उफऩेगा नहीं और मलाई भी आंतरिक सतह पर नहीं चिपकेगी।

9. नारियल की गिरी अक्सर खुली रहने से संक्रमित हो जाती है, डाँग- गुजरात के हर्बल जानकार आदिवासियों के अनुसार इस गिरी को बेल पत्रों के साथ रख दिया जाए तो किसी तरह का संक्रमण नहीं होता है।

10. एक बाल्टी पानी में दो चम्मच लहसुन का रस और 2 बूंद नीलगिरी का तेल डाल दीजिए और फिऱ पोछा करें, अगले 5-6 घंटों तक मच्छरों का अता पता नहीं रहेगा।

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