SLEEP ON THE LEFT SIDE IS GOOD FOR HEALTH
Not everyone knows that the position that we take when we sleep has a significant influence on own digestion. It is no coincidence that, in ancient times, the monks decided to lie down after each meal just for ten minutes, and this served to make the entire digestive lighter.
Nor is it a coincidence that the most ancient tradition of oriental medicine (ayurvedic) as well as the Indian suggest you go to sleep lying down on his left side. But what is the reason? For that reason it is necessary to follow this precaution? Quite simply, ourlymphatic system relies on the left side of our body, which means that both the stomach that the liver, but also the bladder and the pancreas, are able to dispose of waste products and they drain to the side digestionand produce at the same time the enzymesthat the body needs by neutralizing fatty acids and without pressure.
अंकुरित अनाज
परिचय-किसी भी अनाज, गिरी तथा बीज आदि को अंकुरित करने का एक सीधा-सा तरीका है- इसके लिए अनाज को 12 घंटे तक पानी में भिगोने के बाद छानकर एक कपड़े में बांध लें।
लेकिन इसके लिए तीन नियमों का पालन करना जरूरी हैं-
पहला भिगोने के बाद पानी हटाना,
दूसरा पानी हटाने के बाद हवा लगाना और
तीसरा अंधेरा।
मूंगफली में 12 घंटे में अंकुर फूटते हैं,
चना 24 घंटे में और
गेहूं आदि 36 घंटे में अंकुरित होते हैं।
वैसे तो अंकुरित अनाजों को कच्चा ही खाना चाहिए लेकिन यदि उन्हे स्वादिष्ट बनाना है तो उनमें थोड़ी मूंग भिगोकर मिला दें। फिर उसमें हरा धनिया, टमाटर, अदरक और प्याज मिला लें।
यदि उसमें चना मिलाना चाहे तो मिला सकते हैं लेकिन बिल्कुल थोड़ी मात्रा में।
अब प्रश्न उठता है कि इन्हे अलग-अलग भिगोएं या एक साथ।
इसे अलग-अलग भिगोना अच्छा है
जैसे- आपने चना भिगोया और उसके साथ मूंग भी भिगो दी लेकिन दोनों के अंकुरित होने का समय अलग-अलग है। ऐसे में मूंग पहले ही अंकुरित हो जाएगा, लेकिन चना नहीं हो पाएगा।
यदि चने के साथ मूंग को 24 घंटे छोड़ते हैं तो मूंग का अंकुर अधिक लम्बा हो जाएगा और उसका न्यूट्रेशन कम हो जाएगा।
जिनका अंकुरण समय एक समान हो उन अनाजों को एक साथ भिगो सकते हैं।
अंकुरित आहार लेने का फायदा-इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें वेस्टेज नहीं होता जिसके कारण उसे निकालने के लिए शरीर को अनावश्यक एनर्जी नहीं लगानी पड़ती।
शरीर में वेस्टेज न होने से एनर्जी शरीर की सफाई में लग जाती है जिससे सारे शरीर की सफाई हो जाती है।
इससे रोग पैदा होने का जो भी कारण है वह शरीर से बाहर निकल जाता है।
उदाहरण- किसी को हार्ट ब्लॉकेज है तो उसको पूर्ण रूप से नैचुरल डाईट पर डाल दें। इससे उसके हार्ट की सारी ब्लॉकेज खुल जाएगी।
किडनी प्रॉब्लम में क्या होता है कि जब 50 या 60 प्रतिशत किडनी खराब हो चुकी होती है तब उसके बारे में पता लग पाता है और जब टैस्ट करवाया जाता है तो पता चलता है कि 20 या 30 प्रतिशत ही किडनी काम कर रही है। इस प्रॉब्लम का ट्रीटमेंट प्राकृतिक चिकित्सा से करें और नैचुरल डाईट लें। इससे शरीर में बाहर से कोई वेस्टेज नहीं जाएगा जिससे किडनी का कार्य कम हो जाएगा अर्थात उस वेस्टेज को निकालने के लिए किडनी को कम काम करना पड़ेगा। नैचुरल डाईट से वेस्टेज नहीं बन पाता है, जिससे किडनी को आराम मिलता है।
जिस तरह सुबह को काम करने और रात को सोने से सारी थकावट दूर हो जाती है उसी तरह जब किडनी को आराम मिलता है तो धीरे-धीरे किडनी के सारे सेल्स नए बनने लगते हैं जिससे किडनी फिर से अपना काम ठीक तरह से करने लगती है। प्राकृतिक तरीके से नैचुरल डाईट द्वारा शरीर का वेस्ट-प्रोडेक्ट बाहर निकालने से रोग धीरे-धीरे सही हो जाता है।
हार्मोन्स बनाने वाली ग्रंथि में खराबी आई हो तो उसे नैचुरल डाईट से ठीक किया जा सकता है और इसके साथ ही योग के द्वारा पुराने सेल्सों को भी नए बनाए जा सकते हैं।
डेंगू का उपचार (Treatment of Dengue)
आजकल डेंगू एक बड़ी समस्या के तौर पर उभरा है, जिससे कई लोगों की जान जा रही है l
यह एक ऐसा वायरल रोग है जिसका मेडिकल चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं है परन्तु आयुर्वेद में इसका इलाज है और वो इतना सरल और सस्ता है की उसे कोई भी कर सकता है l
तीव्र ज्वर, सर में तेज़ दर्द, आँखों के पीछे दर्द होना, उल्टियाँ लगना, त्वचा का सुखना तथा खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना डेंगू के कुछ लक्षण हैं जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी सकती है l
यदि आपके किसी भी जानकार को यह रोग हुआ हो और खून में प्लेटलेट की संख्या कम होती जा रही हो तो चार चीज़ें रोगी को दें
१) अनार जूस
२) गेहूं घास रस
३) पपीते के पत्तों का रस
४) गिलोय/अमृता/अमरबेल सत्व
- अनार जूस तथा गेहूं घास रस नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है l
- पपीते के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में २ से ३ बार दें , एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संक्या बढ़ने लगेगी l
- गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में २-३ बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है l यदि गिलोय की बेल आपको ना मिले तो किसी भी नजदीकी पतंजली चिकित्सालय में जाकर "गिलोय घनवटी" ले आयें जिसकी एक एक गोली रोगी को दिन में 3 बार दें l
यदि बुखार १ दिन से ज्यादा रहे तो खून की जांच अवश्य करवा लें l
यदि रोगी बार बार उलटी करे तो सेब के रस में थोडा नीम्बू मिला कर रोगी को दें, उल्टियाँ बंद हो जाएंगी l
ये रोगी को अंग्रेजी दवाइयां दी जा रही है तब भी यह चीज़ें रोगी की बिना किसी डर के दी जा सकती हैं l
डेंगू जितना जल्दी पकड़ में आये उतना जल्दी उपचार आसान हो जाता है और रोग जल्दी ख़त्म होता है l
रोगी के खान पान का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि बिना खान पान कोई दवाई असर नहीं करती l
अल्सर [ Ulcer ]
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आजकल की व्यस्त जीवनशैली में खान-पान में गड़बड़ी होना स्वाभाविक -सी बात है | लेकिन इस कारण से अल्सर जैसे रोग पाँव पसारते जा रहे हैं | इसमें पेट में जख़्म बन जाते हैं जिसे अल्सर कहते हैं | चाय , कॉफी ,शराब , अधिक खट्टे ,मसालेदार तथा गर्म वस्तुओं के सेवन से अल्सर होने की सम्भावना अधिक होती है | अल्सर रोग में अक्सर पेट में जलन होती है , खट्टी डकारें आती हैं , सर चकराता है , उलटी होती , दस्त के साथ खून आता है , शरीर में कमजोरी तथा मन बैचैन रहता है |
विभिन्न औषधियोँ द्वारा अल्सर का उपचार ----
१- चार मुनक्के तथा दो छोटी हरड़ पीसकर सुबह खाने से पेट की जलन तथा उल्टी समाप्त होती है |
२- पान के हरे पत्तों का १/२ [आधा ] चम्मच रस प्रतिदिन पीने से पेट के घाव व दर्द में लाभ होता है |
३- एक चम्मच आँवले के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से अल्सर ठीक होता है |
४- अल्सर के रोगी को अनार के रस तथा आँवला मुरब्बा सेवन से लाभ होता है |
५- अल्सर में दूध , पका केला , चीकू , शरीफ़ा तथा सेब का सेवन करना चाहिए |
सोरियासिस (छाल रोग, Psoriasis) का घरेलू ईलाज
सोरियासिस एक प्रकार का चर्म रोग है जिसमें त्वचा में सेल्स की तादाद बढने लगती है।चमडी मोटी होने लगती है और उस पर खुरंड और पपडियां उत्पन्न हो जाती हैं।इस रोग के भयानक रुप में पूरा शरीर मोटी लाल रंग की पपडीदार चमडी से ढक जाता है।यह रोग अधिकतर कोहनी,घुटनों और खोपडी पर होता है।
चिकित्सा विज्ञानियों को अभी तक इस रोग की असली वजह का पता नहीं चला है। फ़िर भी अनुमान लगाया जाता है कि शरीर के इम्युन सिस्टम में व्यवधान आ जाने से यह रोग जन्म लेता है।इम्युन सिस्टम का मतलब शरीर की रोगों से लडने की प्रतिरक्षा प्रणाली से है। यह रोग आनुवांशिक भी होता है जो पीढी दर पीढी चलता रहता है। इस रोग का विस्तार सारी दुनिया में है। सर्दी के दिनों में इस रोग का उग्र रूप देखा जाता है। कुछ रोगी बताते हैं कि गर्मी के मौसम में और धूप से उनको राहत मिलती है। एलोपेथिक चिकित्सा मे यह रोग लाईलाज माना गया है। उनके मतानुसार यह रोग सारे जीवन भुगतना पडता है।लेकिन कुछ कुदरती चीजें हैं जो इस रोग को काबू में रखती हैं और रोगी को सुकून मिलता है।
१) बादाम १० नग का पावडर बनाले। इसे पानी में उबालें। यह दवा सोरियासिस रोग की जगह पर लगावें। रात भर लगी रहने के बाद सुबह मे पानी से धो डालें। यह नुस्खा अच्छे परिणाम प्रदर्शित करता है।
२) एक चम्मच चंदन का पावडर लें।इसे आधा लिटर में पानी मे उबालें। तीसरा हिस्सा रहने पर उतारलें। अब इसमें थोडा गुलाब जल और शकर मिला दें। यह दवा दिन में ३ बार पियें।बहुत कारगर उपाय है।
३) पत्ता गोभी सोरियासिस में अच्छा प्रभाव दिखाता है। उपर का पत्ता लें। इसे पानी से धोलें।हथेली से दबाकर सपाट कर लें।इसे थोडा सा गरम करके प्रभावित हिस्से पर रखकर उपर सूती कपडा लपेट दें। यह उपचार लम्बे समय तक दिन में दो बार करने से जबर्दस्त फ़ायदा होता है।
४) पत्ता गोभी का सूप सुबह शाम पीने से सोरियासिस में लाभ होते देखा गया है।प्रयोग करने योग्य है।
५) नींबू के रस में थोडा पानी मिलाकर रोग स्थल पर लगाने से सुकून मिलता है।
६)शिकाकाई पानी मे उबालकर रोग के धब्बों पर लगाने से नियंत्रण होता है।
७) केले का पत्ता प्रभावित जगह पर रखें। ऊपर कपडा लपेटें। फ़ायदा होगा।
८) कुछ चिकित्सक जडी-बूटी की दवा में steroids मिलाकर ईलाज करते हैं जिससे रोग शीघ्रता से ठीक होता प्रतीत होता है। लेकिन ईलाज बंद करने पर रोग पुन: भयानक रूप में प्रकट हो जाता है।
९)इस रोग को ठीक करने के लिये जीवन शैली में बदलाव करना जरूरी है। सर्दी के दिनों में ३ लीटर और गर्मी के मौसम मे ५ से ६ लीटर पानी पीने की आदत बनावें। इससे विजातीय पदार्थ शरीर से बाहर निकलेंगे।
10) धूम्रपान करना और अधिक शराब पीना विशेष रूप से हानि कारक है। ज्यादा मिर्च मसालेदार चीजें न खाएं।
Curry Leaves Tea
1. Make Tea from Curry Leaves for your hair. Boil some curry leaves in water, squeeze a lime and add some sugar to it. Drink this tea daily for 1 week this will increase hair growth, make your hair smooth, shiny and prevent white hairs. Intake of curry leaves is good for the digestive system too and it resolves many hair problems.
2. Make a Hair Mask for your hair to prevent hair loss. Take some curry leaves and make a paste of them. Mix this paste with yogurt and massage it on your hair. Keep this mixture on your scalp for about 25 minutes and then wash off with a soft shampoo. Apply this mask every week consistently to see instant results in terms of hair growth. Not only that this will help your hair to look shiny, smooth and bouncy.
3. Make a Hair tonic to prevent hair loss: Take few curry leaves and some coconut oil in a bowl. When it mixed with curry leaves, it increases hair growth. Boil these two together until you see black deposit forming. After the deposit is formed, apply it all over your scalp after it becomes cool . Keep this mixture for one hour and then wash off with a soft shampoo. Apply this tonic twice a week and ll see the result in just fifteen days. This oil will not only stimulates hair growth but also prevents the white of hair. This is the best way for healthy hair and for hair growth.
फिटकरी ( Alum ) के विभिन्न उपयोग ( Uses)
फिटकरी लाल व सफेद दो प्रकार की होती है। दोनों के गुण लगभग समान ही होते हैं। सफेद फिटकरी का ही अधिकतर प्रयोग किया जाता है। यह संकोचक अर्थात सिकुड़न पैदा करने वाली होती है। शरीर की त्वचा, नाक, आंखे, मूत्रांग और मलद्वार पर इसका स्थानिक (बाहृय) प्रयोग किया जाता है। रक्तस्राव (खून बहना), दस्त, कुकरखांसी तथा दमा में इसके आंतरिक सेवन से लाभ मिलता है।
फिटकरी के विभिन्न उपयोग :
1. संकोचन:
फिटकरी सिकुड़न पैदा करने वाली होती है। त्वचा, नाक, आंख, मूत्रांग और मलदार पर इसका स्थानीय प्रयोग किया जाता है। रक्तस्राव (खून बहना), दस्त, कुकरखांसी तथा दमा में आंतरिक सेवन से लाभ मिलता है।
2. शराब का नशा:
यदि किसी व्यक्ति ने शराब ज्यादा पी ली हो तो 6-ग्राम फिटकरी को पानी में घोलकर पिला दें। इससे शराब का नशा कम हो जाएगा।
3. बच्चों के रोग:
भुनी हुई फिटकरी, पापरी कत्था, इलायची के दानों को एक साथ पीसकर मुंह के छालों में लगाने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
लगभग 240 मिलीग्राम लाल फिटकरी को प्याज के रस में गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द बंद हो जाता है।
गर्मी से आने वाली खांसी में कफ पककर सूख जाता है, कफ बाहर नहीं निकलता। ऐसी हालत में 120 मिलीग्राम भुनी हुई फिटकरी, 120 मिलीग्राम भुना सुहागा, शहद से चटायें या दूध के साथ पिलायें, इससे कफ ढीला होकर खांसी दूर हो जाएगी।
4. गले के रोग:
खाने का सोडा और खाने का नमक बराबर मात्रा में और थोड़ी सी पिसी हुई फिटकरी मिलाकर शीशी में रख लेते हैं। इस मिश्रण की एक चम्मच मात्रा एक गिलास गर्म पानी में घोल लेते हैं। इस पानी से सुबह उठते और रात को सोते समय अच्छी तरह गरारे करने चाहिए। इससे गले की खराश, टॉन्सिल की सूजन, मसूढ़ों की के रोग और गले में जमा कफ, गले की व्याधि व खांसी नहीं होती है।
लगभग 2-2 ग्राम भुनी हुई फिटकरी को 1-1 कप गर्म दूध से सुबह और शाम लें। इससे गले की गांठे दूर हो जाती हैं।
10 ग्राम फिटकरी को तवे पर भूनकर और पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 ग्राम फिटकरी सुबह के समय चाय या गर्म पानी के साथ लें। यह प्रयोग दिन में चार बार करें। इससे गले की सूजन दूर हो जाती है।
गले के दर्द में भुनी हुई फिटकरी को ग्लिसरीन में मिलाकर गले में डालकर फुरैरी (कुल्ला) करें। इससे गले का दर्द ठीक हो जाता है।
5. जननांगों की खुजली:
फिटकरी को गर्म पानी में मिलाकर जननांगों को धोने से जननांगों की खुजली में लाभ होता है।
6. टांसिल का बढ़ना:
टांसिल के बढ़ने पर गर्म पानी में चुटकी भर फिटकरी और इतनी ही मात्रा में नमक डालकर गरारे करें।
गर्म पानी में नमक या फिटकरी मिलाकर उस पानी को मुंह के अन्दर डालकर और सिर ऊंचा करके गरारे करने से गले की कुटकुटाहट, टान्सिल (गले में गांठ), कौआ बढ़ना, आदि रोगों में लाभ होता है।
5 ग्राम फिटकरी और 5 ग्राम नीलेथोथे को अच्छी तरह से पकाकर इसके अन्दर 25 ग्राम ग्लिसरीन मिलाकर रख लें। फिर साफ रूई और फुहेरी बनाकर इसे गले के अन्दर लगाने और लार टपकाने से टांसिलों की सूजन समाप्त हो जाती है।
7. घावों में रक्तस्राव (घाव से खून बहना):
घाव ताजा हो, चोट, खरोंच लगकर घाव हो गया हो, उससे रक्तस्राव हो। ऐसे घाव को फिटकरी के पानी से धोएं तथा घाव पर फिटकरी को पीसकर इसका पावडर छिड़कने, लगाने व बुरकने से रक्तस्राव (खून का बहना) बंद हो जाता है।
शरीर में कहीं से भी खून बह रहा हो तो एक ग्राम फिटकरी पीसकर 125 ग्राम दही और 250 मिलीलीटर पानी मिलाकर लस्सी बनाकर सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता है।
8. खूनी बवासीर:
खूनी बवासीर हो और गुदा बाहर आती हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर गुदा में पिचकारी देने से लाभ प्राप्त होता है। एक गिलास पानी में आधा चम्मच पिसी हुई फिटकरी मिलाकर प्रतिदिन गुदा को धोयें तथा साफ कपड़े को फिटकरी के पानी में भिगोकर गुदे पर रखें।
10 ग्राम फिटकरी को बारीक पीसकर इसके चूर्ण को 20 ग्राम मक्खन के साथ मिलाकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से सूखकर गिर जाते हैं। फिटकरी को पानी में घोलकर उस पानी से गुदा को धोने खूनी बवासीर में लाभ होता है।
भूनी फिटकरी और नीलाथोथा 10-10 ग्राम को पीसकर 80 ग्राम गाय के घी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम बवासीर के मस्सों पर लगायें। इससे मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
सफेद फिटकरी 1 ग्राम की मात्रा में लेकर दही की मलाई के साथ 5 से 7 सप्ताह खाने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) में खून का अधिक गिरना कम हो जाता है।
भूनी फिटकरी 10 ग्राम, रसोत 10 ग्राम और 20 ग्राम गेरू को पीस-कूट व छान लें। इसे लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से खूनी तथा बादी बवासीर में लाभ मिलता है।
9. घाव:
फिटकरी को तवे पर डालकर गर्म करके राख बना लें। इसे पीसकर घावों पर बुरकाएं इससे घाव ठीक हो जाएंगे। घावों को फिटकरी के घोल से धोएं व साफ करें।
2 ग्राम भुनी हुई फिटकरी, 2 ग्राम सिन्दूर और 4 ग्राम मुर्दासंग लेकर चूर्ण बना लें। 120 मिलीग्राम मोम और 30 ग्राम घी को मिलाकर धीमी आग पर पका लें। फिर नीचे उतारकर उसमें अन्य वस्तुओं का पिसा हुआ चूर्ण अच्छी तरह से मिला लें। इस तैयार मलहम को घाव पर लगाने से सभी प्रकार के घाव ठीक हो जाते हैं।
आग से जलने के कारण उत्पन्न हुए घाव को ठीक करने के लिए पुरानी फिटकरी को पीसकर दही में मिलाकर लेप करना चाहिए।
10. किसी भी अंग से खून बहना: एक ग्राम फिटकरी पीसकर 125 ग्राम दही और 250 मिलीलीटर पानी मिलाकर लस्सी बनाकर पीने से कहीं से भी रक्तस्राव हो, बंद हो जाता है।
11. नकसीर (नाक से खून बहना):
गाय के कच्चे दूध में फिटकरी घोलकर सूंघने से नकसीर (नाक से खून आना) ठीक हो जाती है। यदि नकसीर बंद न हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर उसमें कपड़ा भिगोकर मस्तक पर रखते हैं। 5-10 मिनट में रक्तबंद हो जाएगा। चौथाई चाय की चम्मच फिटकरी पानी में घोलकर प्रतिदिन तीन बार पीना चाहिए।
अगर नाक से लगातार खून बह रहा हो तो 30 ग्राम फिटकरी को 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर उस पानी में कोई कपड़ा भिगोकर माथे और नाक पर रखने से नाक से खून बहना रुक जाता है।
12. मुंह का लिबलिबापन:
काला नमक और फिटकरी समान मात्रा में मिलाकर पीसकर इसके पाउडर से मंजन करने से दांतों और मुंह का लिबलिबापन दूर हो जाता है।
13. उंगुलियों की सूजन:
पानी में ज्यादा काम करने से जाड़ों में उंगुलियों में सूजन या खाज हो जाए तो पानी में फिटकरी उबालकर इससे उंगुलियों को धोने से लाभ होता है।
14. पायरिया
मसूढ़ों में दर्द, सूजन, रक्त आना: एक भाग नमक, दो भाग फिटकरी बारीक पीसकर मसूढ़ों पर प्रतिदिन तीन बार लगायें। फिर एक गिलास गर्म पानी में पांच ग्राम फिटकरी डालकर हिलाकर कुल्ले करें। इससे मसूढ़े व दांत मजबूत होंगे। इससे रक्त आना और मवाद का आना बंद हो जाएगा।
15. दांतों का दर्द:
भुनी फिटकरी, सरसों का तेल, सेंधानमक, नौसादर, सांभर नमक 10-10 ग्राम तथा तूतिया 6 ग्राम को मिलाकर बारीक पीसकर कपड़े से छान लें। इससे दांतों को मलने से दांतों का दर्द, हिलना, टीस मारना, मसूढ़ों का फूलना, मसूढ़ों से पीव का निकलना तथा पायरिया रोग ठीक होता है.
16. दस्त और पेचिश:
120 मिलीग्राम फिटकरी को जलाकर शहद के साथ एक दिन में 4 बार पीने से खूनी दस्त और पतले दस्त का आना बंद हो जाता है। खाने में साबूदाने की खीर या जौ का दलिया लें।
1 ग्राम फिटकरी को 1 कप छाछ के साथ एक दिन में 3 बार पीने से गर्मी के कारण आने वाले खूनी दस्तों में लाभ मिलता है।
17. आंतरिक चोट:
चार ग्राम फिटकरी को पीसकर आधा किलो गाय के दूध में मिलाकर पिलाने से लाभ प्राप्त होता है।
18. सूजाक:
सूजाक में पेशाब करते समय जलन होती है। इसमें पेशाब बूंद-बूंद करके बहुत कष्ट से आता है। इतना अधिक कष्ट होता है कि रोगी मरना पसन्द करता है। इसमें 6 ग्राम पिसी हुई फिटकरी एक गिलास पानी में घोलकर पिलाएं। कुछ दिन पिलाने से सूजाक ठीक हो जाता है।
साफ पानी में पांच प्रतिशत फिटकिरी का घोल बनाकर लिंग धोना चाहिए।
फिटकरी, पीला गेरू, नीलाथोथा, हराकसीस, सेंधानमक, लोध्र, रसौत, हरताल, मैनसिल, रेणुका और इलायची इन्हें बराबर लेकर बारीक कूट पीस छान लें। इस चूर्ण को शहद में मिलाकर लेप करने से उपदंश के घाव ठीक हो जाते हैं।
19. हाथ-पैरों में पसीना आना:
यदि पसीना आए तो फिटकरी को पानी में घोलकर इससे हाथ-पैरों को धोएं। इससे पसीना आना बंद हो जाता है।
20. सूखी खांसी:
लगभग 10 ग्राम भुनी हुई हुई फिटकरी तथा 100 ग्राम चीनी को बारीक पीसकर आपस में मिला लें और बराबर मात्रा में चौदह पुड़िया बना लेते हैं। सूखी खांसी में एक पुड़िया रोजाना 125 मिलीलीटर गर्म दूध के साथ सोते समय लेना चाहिए। इससे सूखी में बहुत लाभ मिलता है।
21. गीली खांसी:
10 ग्राम भुनी हुई फिटकरी और 100 ग्राम चीनी को बारीक पीसकर आपस में मिला लें और बराबर मात्रा में 14 पुड़िया बना लें। सूखी खांसी में 125 ग्राम गर्म दूध के साथ एक पुड़िया प्रतिदिन सोते समय लेना चाहिए तथा गीली खांसी में 125 मिलीलीटर गर्म पानी के साथ एक पुड़िया रोजाना लेने से गीली खांसी लाभ होता है।
फिटकरी को पीसकर लोहे की कड़ाही में या तवे पर रखकर भून लें। इससे फिटकरी फूलकर शुद्ध हो जाती है। इस भुनी हुई फिटकरी का कई रोगों में सफलतापूर्वक बिना किसी हानि के उपयोग किया जाता है। इससे पुरानी से पुरानी खांसी दो सप्ताह के अन्दर ही नष्ट हो जाती है। साधारण दमा भी दूर हो जाता है। गर्मियों की खांसी के लिए यह बहुत ही लाभकारी है।
22. श्वास, दमा:
आधा ग्राम पिसी हुई फिटकरी शहद में मिलाकर चाटने से दमा, खांसी में आराम आता है। एक चम्मच पिसी हुई फिटकरी आधा कप गुलाब जल में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से दमा ठीक हो जाता है।
एक गांठ सोंठ, सफेद फिटकरी का फूला दो ग्राम, हल्दी एक गांठ, 5 कालीमिर्च को चीनी में मिलाकर खाने से श्वास और खांसी दूर हो जाती है.
लगभग 120 मिलीग्राम भुनी हुई फिटकरी तथा 120 मिलीग्राम चीनी को मिलाकर सुबह-शाम रोगी को खिलाने से पांच दिनों में ही कालीखांसी दूर हो जाती है। वयस्कों (बालिग व्यक्तियों) को काली (कुकुर) खांसी होने पर उन्हें दुगुनी मात्रा में देना चाहिए। यदि बिना पानी के निगल न सके तो एक-दो घूंट गर्म पानी ऊपर से पिलाना चाहिए।
12 मिलीग्राम भुनी हुई फिटकरी लेकर इसमें 12 मिलीग्राम शक्कर मिलाकर दिन में 3 बार खाने से 5 दिन में ही खांसी ठीक हो जाती है।
23. कान में चींटी चली जाने पर: कान में चींटी चली जाने पर कान में सुरसरी हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर पीने से लाभ मिलता है।
24. बिच्छू के काटने पर:
बिच्छू के काटने पर फिटकरी को पानी में पीसकर लेप करने से बिच्छू का विष उतर जाता है।
25. हैजा:
आधा गिलास पानी में 5-ग्राम फिटकरी घोलकर सेवन करने से हैजा रोग में लाभ मिलता है।
26. सर्पदंश:
सर्पदंश रोगी को फिटकरी पानी में घोलकर पिलाना लाभकारी होता है।
27. घट्टा या आटण:
पैरों में कही-कहीं पर पत्थर की तरह सख्त कठोर गांठ सी हो जाती हैं, चलने में दर्द होता है। फिटकरी, हल्दी और सुहागा तीनों बराबर मात्रा में पीसकर रख लेते हैं। इसका थोड़ा पाउडर लेकर पानी में गाढ़ा-गाढ़ा मिलाकर घट्टे (गांठ) पर प्रतिदिन लगाना चाहिए। इससे कुछ ही दिनों में आटण ठीक हो जाएगा। नींबू के रस से आटण को तर (गीलर) रखने से भी आटण ठीक हो जाता है। यह सफल प्रयोग है।
28. शरीर के अंग-अंग में दर्द:
कच्ची फिटकरी और सोडा बाई कार्ब दोनों समान मात्रा मिलाकर पीस लेते हैं। इसकी आधी चम्मच मात्रा गर्म पानी से फंकी लेने से लाभ मिलता है।
29. हकलाना, तुतलाना:
फिटकरी को भूनकर उसका 2 ग्राम चूर्ण रोज रात को सोते समय जीभ पर रखें और 4-5 मिनट बाद कुल्ला कर लें। कुछ महीनों तक इसका प्रयोग करना लाभकारी होता है।
सोते समय मूंग की दाल के बराबर फिटकरी का टुकड़ा मुंह में रखकर सोंये। ऐसा प्रतिदिन करने से तुतलाना ठीक हो जाता है।
30. कांच निकलना (गुदाभ्रंश):
कच्ची फिटकरी आधा ग्राम को पीसकर 100 मिलीलीटर पानी में घोलकर गुदा को धोने से गुदाभ्रंश ठीक होता है।
लगभग 1 ग्राम फिटकरी को 30 मिलीलीटर जल में घोल लें। शौच के बाद मलद्वार को साफ करके फिटकरी वाले जल को रूई से गुदा पर लगाएं। इससे गुदाभ्रंश ठीक होता है।
31. उर:क्षत (सीने में घाव):
गुलाबी फिटकरी को महीन पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से उर:क्षत (सीने में घाव) मिट जाता है।
32. खून में पीव आना (प्याएमिया):
लगभग 240 से 480 मिलीग्राम फिटकरी मिश्री या शर्बत के साथ मिलाकर सेवन करने से यह खून में पीव की मात्रा को कम करके खून को साफ करता है।
33. कैन्सर कर्कट रोग
फिटकरी एक अच्छा रक्तशोधक माना गया है। इसलिए फिटकरी की 480 मिलीग्राम भस्म (राख) सुबह-शाम मिश्री के साथ या मिश्री मिले शर्बत के साथ रोग का सन्देह होते ही देना प्रारम्भ कर दें। सम्भवत: कुछ लाभ हो सकता है।
34. खून की उल्टी:
भुनी हुई फिटकरी को सुबह और शाम 1-1 ग्राम पानी से लेने से खून की उल्टी बंद हो जाती है।
35. योनि रोग:
फिटकरी अथवा त्रिफला को पानी में डालकर उबाल लें। फिर उसे छानकर गुप्तांग (योनि) में पिचकारी देने से योनि रोग मिट जाते हैं।
36. कान का कीड़ा:
पानी में फिटकरी को मिलाकर कान में डालने से कान में घुसा हुआ कीड़ा बाहर आ जाता है।
37. कान का बहना:
फिटकरी के पानी से कान को धोने से कान में से मवाद बहना ठीक हो जाता है।
38. गुर्दे के रोग:
गुर्दे की सूजन में भूनी हुई फिटकरी एक ग्राम दिन में कम से कम तीन बार जरूर लें।
39. मुंह के छाले एवं रोग:
आधा चम्मच फिटकरी का चूर्ण और आधा चम्मच इलायची का चूर्ण लेकर दर्द होने पर थोड़ी-थोड़ी देर बाद छालों पर बुरकने से मुंह के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।
मुंह में छाले, दाने व घाव होने पर 1 ग्राम कच्ची फिटकरी पीसकर इसमें शहद मिलाकर मुंह में लगाने से लाभ मिलता है।
40. अण्डकोष की सूजन:
लगभग 1-4 ग्राम की मात्रा में फिटकरी और माजूफल को लेकर पानी के साथ बारीक पीस लें, फिर इस तैयार मिश्रण का लेप अण्डकोष पर करने से कुछ ही दिनों में अण्डकोष की सूजन दूर होती है।
भुनी फिटकरी 1-1 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से अण्डकोष के सूजन और बढे़ हिस्से सही हो जाते हैं।
41. दांत घिसना या किटकिटाना:
फिटकरी, सेंधानमक और नौसादर बराबर मात्रा में लें। इन सबको बारीक पीसकर पाउडर (मंजन) बना लें। इससे रोजाना 2 बार दांतों व मसूढ़ों को मलें। इससे दांतों में लगे कीड़े नष्ट हो जाते हैं और दांत का किट-किटाना बंद हो जाता है।
42. दांत मजबूत करना:
भुनी फिटकरी 20-ग्राम तथा नमक 10-ग्राम को बारीक पीसकर पॉउडर (मंजन) बना लें। इसे रोजाना दांत एवं मसूढ़ों पर मलने से दांत मजबूत होते हैं।
43. पायरिया:
1 ग्राम नमक और 2 ग्राम फिटकरी बारीक पीसकर मसूढ़ों व दांतों पर मलें तथा 1 गिलास गर्म पानी में 5 ग्राम फिटकरी मिलाकर कुल्ला करें। इससे पायरिया, मसूढ़ों में दर्द, सूजन और खून का आना बंद होता है।
दांतों में कीड़े लगना: रोजाना दोनों समय फिटकरी को गर्म पानी में घोलकर कुल्ला करें। फिटकरी के पानी से कुल्ला करने से दांतों के कीड़े तथा बदबू खत्म हो जाती है।
44. पसीना:
फिटकरी को पानी में घोलकर शरीर को धोने से पसीना आना कम हो जाता है।
45. पित्ती,
जलन और खुजली: पिसी हुई फिटकरी को आधा कप गर्म पानी में घोलकर पित्ती निकली हुई जगह पर लगाने और धोने से पित्ती के रोग में लाभ मिलता है। इससे खुजली, जलन तथा चकत्ते दूर हो जाते हैं।
46. सन्निपात ज्वर:
1 ग्राम भूनी फिटकरी को 2 ग्राम चीनी में मिलाकर सुबह और शाम पानी के साथ पीने से बुखार ठीक हो जाता है।
47. मोच, चोट:
मोच आ जाने पर, कचूर को फिटकरी के साथ पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
फिटकरी के 3 ग्राम चूर्ण को आधा किलो दूध के साथ लेने से मोच और भीतरी चोट ठीक होती है।
फिटकरी भूनी आधा ग्राम गर्म दूध से सुबह-शाम लें। यह गुम चोट में बहुत लाभकारी होता है।
48. चोट से खून जमना:
10 ग्राम फिटकरी को 40 ग्राम घी में भूनकर रख लें। जब घी जम जाये, तब घी में चीनी और मैदा मिलाकर हलुवा बना लें। फिर इसमें फिटकरी मिलाकर 3 दिनों तक खाने से खून की गांठें बिखर जाती हैं।
डेढ़ ग्राम फिटकरी फांककर ऊपर से दूध सुबह-शाम पीने से चोट लगने के कारण खून जमने और इससे होने वाले दर्द दूर होते हैं।
49. भगन्दर:
भुनी फिटकरी 1-1 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम पानी के साथ पीयें तथा कच्ची फिटकरी को पानी में पीसकर इसे रूई की बत्ती में लगाकर भगन्दर के छेद में भर दें। इससे भगन्दर में अधिक लाभ होता है।
50. श्वेतप्रदर व रक्त प्रदर:
चौथाई चम्मच पिसी हुई फिटकरी को पानी से रोजाना 3 बार फंकी लेने से दोनों प्रदर ठीक हो जाते हैं। इसके साथ ही फिटकरी पानी में मिलाकर योनि को गहराई तक सुबह-शाम धोएं और पिचकारी दें।
51. रक्तप्रदर:
लगभग 240-480 मिलीग्राम फिटकरी को कूट-पीसकर बनाई गई भस्म (राख) मिश्री या मिश्री के शर्बत के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर मिट जाता है।
52. प्रदर रोग:
1-1 चुटकी पिसी हुई फिटकरी सुबह-दोपहर-शाम को पानी के साथ सेवन करने से प्रदर में लाभ मिलता है।
फिटकरी के पानी से नियमित रूप से योनि को अच्छी तरह से धोयें। अगर पिचकारी से योनि के अन्दर धोने की सुविधा हो तो धोयें। इसके बाद 2 चुटकी फिटकरी, 1 चम्मच पिसी हुई हल्दी और 2 चम्मच चीनी मिलाकर सुबह-शाम पानी के साथ करीब 20 दिनों तक इसका सेवन करने से ‘वेत प्रदर मिट जाता है।
फिटकरी के पानी से गुप्तांग (योनि) को धोने, सफाई करने और पिचकारी देने से प्रदर में लाभ होता है।
53. (अन्दरूनी चोट):
अन्दरूनी चोट लगने पर 4 ग्राम फिटकरी को पीसकर आधा गिलास दूध में मिलकार पीने से लाभ होता है।
किसी भी तरह की अन्दरूनी चोट हो, कारण कुछ भी हो एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच फिटकरी घोलकर पी लें इससे खून का अन्दर ही अन्दर थक्का नहीं बनेगा और दर्द भी कम हो जायेगा।
भूनी फिटकरी आधा ग्राम गर्म दूध से सुबह-शाम लें। गुम चोट में लाभदायक है।
54. पथरी:
फिटकरी का फूला 4 ग्राम प्रतिदिन सुबह-शाम छाछ के साथ पीने से पथरी ठीक होती है।
55. गर्भाशय से रक्तस्राव:
फिटकरी का चूर्ण आधा चम्मच लेकर 1 लीटर पानी में घोल बना लें। इस घोल में रूई की फूरेरी भिगोकर गर्भाशय के मुख पर रखने से रक्तस्राव बंद हो जाता है।
56. पित्ती निकलना:
पिसी हुई फिटकरी आधा चम्मच, आधे कप गर्म पानी में घोलकर पित्ती निकलने वाली जगह पर लगायें और धोयें।
57. शीतपित्त:
फिटकरी को तवे पर भूनकर कूटकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की लगभग 480 मिलीग्राम मात्रा को मक्खन मिलाकर खाने से जल्द लाभ मिलता है।
58. संतति निरोध (गर्भनिरोध):
फिटकरी और नौसादर को बराबर मात्रा में अच्छी तरह पीसकर पानी में रूई के साथ डालकर रख दें, फिर इसी रूई को सहवास करने से पहले स्त्री की योनि में रखते हैं। थोड़ी देर बाद रूई हटाकर सहवास (संभोग) करने से गर्भाधान यानी गर्भधारण नहीं होता है।
59. रक्तपित्त (पित्त के कारण रक्तविकार):
लाल फिटकरी पीसकर इसका बारीक चूर्ण 10 ग्राम शीशी में रख लें। यह स्फटिक चूर्ण बहुत से रोगों में फायदा करता है। एक ग्राम चूर्ण 3 ग्राम शक्कर में मिलाकर फांक लें और तुरन्त दूध पी लें। यह रक्तपित्त में खून चाहे कहीं से भी गिर रहा हो तो बंद कर देगा।
लगभग 120 मिलीग्राम फिटकरी को एक चम्मच चीनी में मिलाकर या दोनों को एक साथ पानी में घोलकर रोज दो तीन बार पिलाने से रक्तपित्त की शिकायतें दूर हो जाती हैं।
60. नाक के कीड़े:
लगभग 240 मिलीग्राम फिटकरी के चूर्ण को 100 मिलीलीटर पानी में डालकर रख लें। इस पानी की 3-4 बूंदें रोजाना 3 से 4 बार सिर को पीछे की ओर झुकाकर नाक के नथुनों (छेदों) में डालने से नाक के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
61. वीर्य रोग में:
फिटकरी भूनी 30-ग्राम खांड 60-ग्राम मिला लें। 3-3 ग्राम सुबह-शाम पानी से लें।
62. पेट में दर्द:
पिसी हुई फिटकरी को चूर्ण के रूप में खाने के बाद ऊपर से दही को पीयें।
63. पेशाब में खून आना:
1 ग्राम भुनी हुई फिटकरी को सुबह और शाम पानी के साथ लेने से पेशाब में खून आना बंद हो जाता है।
64. अपरस:
भूनी फिटकरी, आमलासार, गंधक, भुना हुआ सुहागा और शक्कर को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सफेद वैसलीन में मिलाकर रोजाना 2-3 बार त्वचा पर लगाने से लाभ होता है।
65. गठिया रोग:
5 ग्राम फिटकिरी, 15 ग्राम मीठी सुरंजन, 5 ग्राम बबूल की गोंद और 10 पीस कालीमिर्च सबको सूखाकर भूनकर एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें। उसमें से 2 चुटकी चूर्ण रोजाना दो बार लेने से गठिया रोग जल्द ठीक होता है।
66. खाज-खुजली:
गर्म पानी में फिटकरी मिलाकर उससे जननेन्द्रिय को धोने से जननेन्द्रिय की खुजली दूर हो जाती है।
67. हाथ-पैरों की ऐंठन:
10 ग्राम भुनी हुई सफेद फिटकरी, 30 ग्राम सुरज्जन मीठी और 2 ग्राम कीकर के गोंद को पीसकर थोड़ा पानी मिलाकर गोलियां बना लें। एक-एक गोली दिन में तीन बार लेने से हाथ-पैरों की ऐंठन दूर हो जाती है। यह दवा खूनी बवासीर के लिए भी लाभकारी है।
68. हाथ-पैरों की जलन:
पानी में फिटकरी घोलकर हथेली और तलुवे धोने से अधिक पसीना आना बंद हो जाता है और जलन भी दूर हो जाती है।
69. पीलिया रोग:
सफेद फिटकरी को भूनकर पीस लें। पहले दिन आधा ग्राम दवा दही में मिलाकर खाएं, दूसरे दिन एक ग्राम और तीसरे दिन डेढ़ ग्राम........इसी प्रकार बढ़ाते हुए सातवें दिन साढे़ तीन ग्राम दवा दही में डालकर खायें। इससे एक सप्ताह में पीलिया रोग मिट जाता है।
फिटकरी 18 ग्राम को बारीक पीसकर 21 पुड़िया बना लें। प्रात:काल बिना कुछ खाए एक पुड़िया गाय के 20 ग्राम मक्खन में मिलाकर खाने से पाण्डु (पीलिया) रोग में लाभ होता है।
फूली हुई फिटकिरी एक चुटकी, मिश्री में मिलाकर दिन में तीन बार पानी से सेवन करें।
200 ग्राम दही में चुटकी भर फिटकरी घोल कर पिलायें। बच्चों के अनुपान में मात्रा कम लें। दिन भर केवल दही ही सेवन करें। इससे पीलिया शीघ्र ठीक होगा। यदि उल्टी हो तो घबरायें नहीं।
70. मिर्गी (अपस्मार):
लगभग 1-1 ग्राम भुनी हुई फिटकरी को सुबह और शाम गर्म दूध के साथ लेने से मिर्गी के दौरे बंद हो जाते हैं।
71. मानसिक उन्माद (पागलपन):
लगभग 1-1 ग्राम भुनी हुई फिटकरी को दूध के साथ सुबह और शाम को देने से पागलपन या उन्माद खत्म हो जाता है।
3 ग्राम फिटकरी में 250 ग्राम मक्खन मिलाकर रोगी को खिलाने से उन्माद या पागलपन खत्म हो जाता है। ऐसा लगातार एक हफ्ते तक करे
72. सिर का दर्द:
कपूर और फिटकरी को बारीक पीसकर सिर दर्द के रोगी को सुंघाने से रक्तचाप के कारण होने वाला सिर दर्द खत्म हो जाता है। नकसीर के लिए भी इसका प्रयोग कर सकते हैं।
श्वेत प्रदर (White Discharge) से बचाव के उपाय
महिलाओं में श्वेत प्रदर रोग आम बात है। ये गुप्तांगों से पानी जैसा बहने वाला स्त्राव होता है। यह खुद कोई रोग नहीं होता परंतु अन्य कई रोगों के कारण होता है। इसके लिये सबसे पहले जरूरी है साफ-सफाई, कब्ज दूर करना, चाय, मैदे की चीजें न खायें, तली चीजें न खायें। ताजी सब्जियां फल अवश्य खायें काम, क्रोध, उद्वेग से बचें।
उपाय
* आंवला पिसा एक चम्मच 2-3 चम्मच शहद रोज दिन में एक बार खायें। 30दिनों तक खटाई से परहेज करें।
* आंवले का रस व शहद लगातार एक माह तक लें। श्वेत प्रदर ठीक होगा। आंवला में विटामिन सी होने से आपकी त्वचा ग्लो भी करेगी।
* केला खाकर ऊपर से दूध में शहद डालकर पियें। केला दूध अच्छी डाइट है इससे आपकी सेहत भी ठीक होगी। कमजोरी दूर होगी। ये कम से कम तीन माह लगातार लें, गर्म दूध में शहद न डालें।
* कच्चे केले की सब्जी खायें।
* दो केले में शहद डाल कर खायें।
* फालसा मौसम में जितना खा सकें खायें तथा इसका शर्बत बनाकर पियें।
* टमाटर खायें और हो सके तो कच्चा टमाटर ही खायें।
* सिंघाडे का आटा, रोटी खायें, हलुआ खायें।
* अनार के ताजे पत्ते मिल जायें तो 25-30 पत्ते लें और काली मिर्च के साथ पिसलें, उसमें आधा ग्लास पानी डालें छान कर रोज सुबह-शाम पियें।
* 100 ग्राम धुली मूंग तवे पर हल्का भून लें दो मुट्ठी चावल एक कप पानी में भिगा दें, दाल को पीसकर रख ले शीशी में अब इस चूरण को चावल भीगे पानी के साथ एक कप में घोलकर पी जायें।
* भूना चना पीसकर उसमें खाण्ड मिलाकर खायें और एक कप दूध में देशी घी डालकर पियें।
* भूना जीरा चीनी के साथ खायें फायदा होगा।
* गुप्तांगो को फिकरी के पानी से धोयें। सुबह-शाम।
* 10ग्राम सोंठ एक पाव पानी में डालकर काढा बनायें छानकर पीलें। करीब 15-20 दिन तक लगातार पियें।
* एक ग्राम कच्ची फिटकरी पिसी हुई, एक केले को बीच में से काटकर भर दें इसे दिन में या रात में एक बार खायें। सात दिन में प्रदर रोग ठीक हो सकता है।
* तुलसी के पत्तों का रस, उतना ही शहद लें। इसे सुबह-शाम चाटें।
*3 ग्राम शतावरी या सफेद मूसली, 3ग्राम मिश्री इनका चूरण सुबह-शाम गरम दूध से लें। श्वेत प्रदर तो ठीक होगा ही साथ कमजोरी तो ठीक होगी ही साथ स्वास्थ्य ठीक होगा।
*माजू फल, बड़ी इलायची, मिश्री, समान मात्रा में लेंकर पीस लें एक दिन में तीन बार 21दिन तक लें।
*सुबह-शाम दो चममच प्याज का रस बराबर मात्रा में शहद मिलाकर पियें।
*हल्दी चूरण चीनी के साथ लें श्वेत प्रदर ठीक होगा।
* नागर मोथा, लाल चंदन आक के फूल, चिरायता, दारूहल्दी, रसौता सबको 25-25 ग्राम लें तीन पाव पानी में उबालें आधा पानी रह जाय तो छानकर रख दें उसमे 100ग्राम शहद मिलाकर दिन में दो बार 50-50ग्राम लें हर प्रकार का प्रदर ठीक होजाताहै।
* तुलसी का रस 10 ग्राम चावल के माड में मिलाकर पीने से एक सप्ताह में यह रोग ठीक हो जाएगा। इस दवा के खाने तक दूध भात खायें या भात खाना होगा।
इलाज के लिये जो भी चीजें इस्तमाल की गयी हैं वो सब आपकी कमजोरी को दूर करने के साथ-साथ आपके शरीर को हष्ट-पुष्ट भी बनाएगी।
गले के खराब या गले में खराश के घरेलू उपचार
गला खराब होना या गले में खराश रहना एक आम समस्या है। बदलता मौसम, प्रदूषित हवा, गलत खान-पान, अधिक ठंडे पदार्थ खाना-पीना और किसी बीमार व्यक्ति के सम्पर्क में रहने से गले में खराश और दर्द होने की समस्या पैदा होती है। अपने गले का ध्यान रखना बहुत जरूरी है नहीं तो इसके कारण अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। आइए हम आप को बताते है कुछ सरल घरेलू उपाय जिनको अपना कर आप अपने गले की देखभाल कर सकते हैं।
गुनगुने पानी में नमक मिला कर दिन में दो-तीन बार गरारे करें। गरारे करने के तुरन्त बाद कुछ ठंडा न लें। गर्म चाय या गुनगुना पानी पिएं जिससे गले को आराम मिलेगा।
कच्चा सुहागा आधा ग्राम मुंह में रखें और उसका रस चुसते रहें। दो तीन घण्टों मे ही गला बिलकुल साफ हो जाएगा।
खराश या सूखी खाँसी के लिये पिसी हुई अदरक में गुड़ और घी मिलाकर खाएँ। गुड़ और घी के स्थान पर शहद का प्रयोग भी किया जा सकता है। आराम मिलेगा।
सोते समय एक ग्राम मुलहठी की छोटी सी गांठ मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहे। फिर मुंह में रखकर सो जाए। सुबह तक गला साफ हो जायेगा। मुलहठी चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर लिया जाय तो और भी अच्छा रहेगा। इससे सुबह गला खुलने के साथ-साथ गले का दर्द और सूजन भी दूर होती है।
रात को सोते समय सात काली मिर्च और उतने ही बताशे चबाकर सो जायें। बताशे न मिलें तो काली मिर्च व मिश्री मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसते रहने से बैठा गला खुल जाता है।
जिन व्यक्तियों के गले में निरंतर खराश रहती है या जुकाम में एलर्जी के कारण गले में तकलीफ बनी रहती है, वह सुबह-शाम दोनों वक्त चार-पांच मुनक्का के दानों को खूब चबाकर खा लें, लेकिन ऊपर से पानी ना पिएं। दस दिनों तक लगातार ऐसा करने से लाभ होगा।
1 कप पानी में 4-5 कालीमिर्च एवं तुलसी की थोंडी सी पत्तियों को उबालकर काढ़ा बना लें और इस काढ़े को पी जाए।
रात को सोते समय दूध और आधा पानी मिलाकर पिएं। गले में खराश होने पर गुनगुना पानी पिएं।
गुनगुने पानी में सिरका डालकर गरारे करने से भी गले के रोग दूर हो जाते है।
पालक के पत्तों को पीसकर इसकी पट्टी बनाकर गले में बांधे। इस पट्टी को 15-20 मिनट के बाद खोल दें। इससे भी आराम मिलता है।
काली मिर्च को 2 बादाम के साथ पीसकर सेवन करने से गले के रोग दूर हो जाते हैं।
गले मे खराश हो तो इलायची चबाएं और गुनगुना पानी पीना फायदेमंद होता है।
गले की खराश, या गले मे किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन हो, गला बैठ गया है, पानी पिने मे भी तकलीफ हो रही है, लार निकलने मे भी तकलीफ हो रही है, आवाज भरी हो गयी है. इन सबके लिए एक ग्लास देशी गाय का दूध, एक चम्मच देशी गाय का घी और चौथाई चम्मच हल्दी को मिलाके कुछ देर उबालना है फिर उसको सिप सिप करके चाय की तरह पिए ।
पानी में 5 अंजीर को डालकर उबाल लें और इसे छानकर इस पानी को गर्म-गर्म सुबह और शाम को पीने से खराब गले में लाभ होता है।
यदि आप सर्दी, कफ या खराश से पीडित हैं तो आप ताजे प्याज का रस पीजिये। इसमें गुड या फिर शहद मिलाया जा सकता है।
गले में खराश होने पर सुबह-सुबह सौंफ चबाने से बंद गला खुल जाता है।
प्राणायाम : - भ्रामरी प्राणायाम इस के लिए रामबाण हैं, जो लोग ऐसी बीमारियो से नित्य प्रतिदिन ग्रसित रहते हैं, भ्रामरी हर रोज़ १० से १५ मिनट करने से वो इस बीमारी से निजात पा सकते हैं।
मांस, रूखा भोजन, सुपारी, खटाई, मछली, उड़द इन चीजों से परहेज करें।
इन सब घरेलू उपायों को अपनाकर आप भी अपने गले का इलाज घर पर ही कर सकते हैं।
बवासीर का घरेलू इलाज:-
बवासीर दो प्रकार की होती है,खूनी बवासीर और बादी वाली बवासीर,खूनी बवासीर में मस्से खूनी सुर्ख होते है,और उनसे खून गिरता है,जबकि बादी वाली बवासीर में मस्से काले रंग के होते है,और मस्सों में खाज पीडा और सूजन होती है, अतिसार संग्रहणी और बवासीर यह एक दूसरे को पैदा करने वाले होते है।
बवासीर के रोगी को बादी और तले हुये पदार्थ नही खाने चाहिये, जिनसे पेट में कब्ज की संभावना हो, हरी सब्जियों का ज्यादा प्रयोग करना चाहिये,बवासीर से बचने का सबसे सरल उपाय यह है कि शौच करने उपरान्त जब मलद्वार साफ़ करें तो गुदा द्वार को उंगली डालकर अच्छी तरह से साफ़ करें,इससे कभी बवासीर नही होता है।
इसके लिये आवश्यक है कि मलद्वार में डालने वाली उंगली का नाखून कतई बडा नही हो, अन्यथा भीतरी मुलायम खाल के जख्मी होने का खतरा होता है,प्रारंभ में यह उपाय अटपटा लगता है,पर शीघ्र ही इसके अभ्यस्त हो जाने पर तरोताजा महसूस भी होने लगता है,इसके घरेलू उपचार इस प्रकार से है।
जीरे को जरूरत के अनुसार भून कर उसमे मिश्री मिलाकर मुंह में डालकर चूंसने से तथा बिना भुने जीरे को पीस कर मस्सों पर लगाने से बवासीर की बीमारी में फ़ायदा होता है
पके केले को बीच से चीरकर दो टुकडे कर लें और उसपर कत्था पीसकर छिडक दें,इसके बाद उस केले को खुले आसमान के नीचे शाम को रख दें,सुबह को उस केले को प्रात:काल की क्रिया करके खालें,एक हफ़्ते तक इस प्रयोग को करने के बाद भयंकर से भयंकर बवासीर समाप्त हो जाती है।
छोटी पिप्पली को पीस कर चूर्ण बना ले,और शहद के साथ लेने से आराम मिलता है
एक चम्मच आंवले का चूर्ण सुबह शाम शहद के साथ लेने पर बवासीर में लाभ मिलता है,इससे पेट के अन्य रोग भी समाप्त होते है
खूनी बवासीर में नींबू को बीच से चीर कर उस पर चार ग्राम कत्था पीसकर बुरक दें,और उसे रात में छत पर रख दें,सुबह दोनो टुकडों को चूस लें,यह प्रयोग पांच दिन करें खूनी बवासीर की यह उत्तम दवा है
पचास ग्राम रीठे तवे पर रखकर कटोरी से ढक दें,और तवे के नीचे आग जला दें,एक घंटे में रीथे जल जायेंगे,ठंडा होने पर रीठों को खरल कर ले या सिल पर पीस लें,इसके बाद सफ़ेद कत्थे का चूर्ण बीस ग्राम और कुश्ता फ़ौलाद तीन ग्राम लेकर उसमें रीठे बीस ग्राम भस्म मिला दें,उसे सुबह शाम मक्खन के साथ खायें,ऊपर से दूध पी लें,दोनो प्रकार के बवासीर में दस से पन्द्रह दिन में आराम आ जाता है,गुड गोस्त शराब आम और अंगूर का परहेज करें।
खूनी बवासीर में गेंदे के हरे पत्ते नौ ग्राम काली मिर्च के पांच दाने और कूंजा मिश्री दस ग्राम लेकर साठ ग्राम पानी में पीस कर मिला लें,दिन में एक बार चार दिन तक इस पानी को पिएं,गरम चीजों को न खायें,खूनी बवासीर खत्म हो जायेगा।
पचास ग्राम बडी इलायची तवे पर रख कर जला लें,ठंडी होने पर पीस लें,रोज सुबह तीन ग्राम चूर्ण पंद्रह दिनो तक ताजे पानी से लें,बवासीर में लाभ होता है
हारसिंगार के फ़ूल तीन ग्राम काली मिर्च एक ग्राम और पीपल एक ग्राम सभी को पीसकर उसका चूर्ण जलेबी की पचास ग्राम चासनी में मिला लें,रात को सोते समय पांच छ: दिन तक इसे खायें,यह खूनी बवासीर का शर्तिया इलाज है,मगर ध्यान रखें कि कब्ज करने वाले भोजन को न करें
दूध का ताजा मक्खन और काले तिल दोनो एक एक ग्राम को मिलाकर खाने से बवासीर में फ़ायदा होता है
नागकेशर मिश्री और ताजा मक्खन इन तीनो को रोजाना सम भाग खाने से बवासीर में फ़ायदा होता है
जंगली गोभी की तरकारी घी में पकाकर उसमें सेंधा नमक डालें,इस तरकारी को आठ दिन रोटी के साथ खाने से बवासीर में आराम मिलता है
कमल केशर तीन मासे,नागकेशन तीन मासे शहद तीन मासे चीनी तीन मासे और मक्खन तीन मासे (तीन ग्राम) इन सबको मिलाकर खाने से बवासीर में फ़ायदा होता है
नीम के ग्यारह बीज और छ: ग्राम शक्कर रोजाना सुबह को फ़ांकने से बवासीर में आराम मिलता है
पीपल का चूर्ण छाछ में डालकर पीने से बवासीर में आराम मिलता है
कमल का हरा पत्ता पीसकर उसमे मिश्री मिलाकर खायें,बवासीर का खून आना बन्द हो जाता है
सुबह शाम को बकरी का दूध पीने से बवासीर से खून आना बन्द हो जाता है
प्रतिदिन दही और छाछ का प्रयोग बवासीर का नाशक है
प्याज के छोटे छोटे टुकडे करने के बाद सुखालें,सूखे टुकडे दस ग्राम घी में तलें,बाद में एक ग्राम तिल और बीस ग्राम मिश्री मिलाकर रोजाना खाने से बवासीर का नाश होता है
गुड के साथ हरड खाने से बवासीर में फ़ायदा होता है
बवासीर में छाछ अम्रुत के समान है,लेकिन बिना सेंधा नमक मिलाये इसे नही खाना चाहिये
मूली का नियमित सेवन बवासीर को ठीक कर देता है
एक नीबू शाम को लेकर उसे काट लें,और दोनो फ़ांकों पर पांच ग्राम कत्था पीस कर छिडक दें,सुरक्षित और खुली जगह पर रात भर रहने दें,सुबह को सबसे पहले बासी पेट दोनो फ़ांकों को चूस लें,कैसी भी खूनी बबासीर दो या तीन हफ़्तों में ठीक हो जायेगी.यह प्रयोग दो या पुरानी में तीन हफ़्ते लगाता करना है.
मुहांसे दूर करने के घरेलू नुस्खे
आप अपने चेहरे पर मुहांसों से परेशान हैं तो अपनाएं कुछ ऐसे नुस्खे जिससे आपकी सारी समस्या दूर हो जाएगी.
मुहांसे क्या हैं?
मुहांसे (Pimples or Acne) त्वचा की एक स्थिति है जो सफेद, काले और जलने वाले लाल दाग के रूप में दिखते हैं. यह लगभग 14 वर्ष की आयु से शुरू होकर 30 वर्ष तक कभी भी निकल सकते हैं. ये निकलते समय तकलीफ दायक होते हैं और बाद में भी इसके दाग-घब्बे चेहरे पर रह जाते हैं.
मुहांसों के कारण
- त्वचा में तेल की अत्यधिक मात्रा का स्राव
- हार्मोनल परिवर्तन के कारण
- त्वचा के बाहरी हिस्से में रुकावट
- वंशानुगत
- मासिक धर्म
- गर्भावस्था
- तनाव
मुहांसों के लिए घरेलू नुस्खे
- ताजा नींबू का रस मुहांसों और ब्लैक्हेडस पर लगाएं.
- एक चम्मच धनिया पाउडर के साथ थोड़ा सा हल्दी पाउडर मिलाकर मुहांसे वाली त्वचा पर लगाएं. इसे पूरी रात त्वचा पर लगे रहने दें और सुबह अपना चहरा ठंडे पानी से धो लें.
- करी पत्ते का पेस्ट बनाएं और अपनी त्वचा पर पूरी रात लगे रहन दें और सुबह उठकर अपना चेहरा गुनगुने पानी से धो लें. यह झुर्रियों को हल्का करने में मदद करता है.
- कच्चे दूध के साथ जायफल (Jaiphal) का पेस्ट बनाएं. मुहांसो और ब्लैक्हेडस पर 20 मिनट या रात भर लगे छोड़ दें. यह तब तक करते रहें जब तक चेहरा साफ नहीं हो जाता. इसे कम से कम 10-12 दिनों तक करें तभी चेहरे में असर दिखेगा.
- सूखी त्वचा के लिए चिकने पत्थर पर चंदन और कच्चे दूध की कुछ बूंदों के साथ रगड़ें. इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्रों पर लगाएं. 1 घंटे के लिए रखकर धो लें.
- चिकनी त्वचा के लिए चंदन और गुलाब जल का पेस्ट बनाएं जिसे प्रभावित क्षेत्रों पर 1 घंटे के लिए रखें और धो लें.
- ताजा मेथी के पत्तों का पेस्ट बनाएं और यह रात भर में आपके मुहांसो को साफ कर देगा.
बालों की नेचुरल ब्यूटी के लिए
● इसमें कोई दो राय नहीं है कि सुन्दर काले व चमकदार बाल नारी की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। पुराने समय में बालों के रखरखाव व निखार के लिए नारियां अनेक तरीके इस्तेमाल में लाती थीं, जिनसे बाल वास्तव में ही काले, घने, मजबूत और चमकदार बनते थ।
आज के युग में कई तरह के साबुन और अन्य चीजों को बालों की सार-संभाल के लिए प्रयोग में लाया जाने लगा है। इनसे बाल पोषक तत्व हासिल करने के स्थान पर समय से पूर्व टूट कर गिरने लगते हैं, साथ ही सफेद होने लगते हैं। इस लेख में हम अपने पाठकों को बालों के रख रखाव के बारे में कुछ ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहे हैं, जिन्हें इस्तेमाल में लाकर बालों को सुदृढ़, काले और चमकदार बनाया जा सकता है।
● खट्टी दही में चुटकी भर फिटकरी मिला लें, साथ ही थोड़ी सी हल्दी भी मिला लें। इस मिश्रण को सिर के बालों में लगाने से सिर की गंदगी तो दूर होती ही, साथ ही सिर में फैला संक्रमण भी दूर होता है। इस क्रिया को करने से सिर के बाल निखर उठते हैं।
● बालों को धोने के बाद गोलाकार कंघी से बालों में भली प्रकार से ब्रश करना चाहिए। इसके बाद सिर के बालों की जड़ों में उंगली घुमाते हुए अपना हाथ ऊपर से नीचे की ओर फिराएं। ऐसा करने से आपके बाल हमेशा मुलायम बने रहेंगे।
● हफ्ते में कम से कम एक बार अपने सिर के बालों में जैतून के तेल की मालिश अवश्य करें। ऐसा करने से सिर के बाल सफेद होने बंद होते हैं और मजबूती पाते हैं।
● धूल और प्रदूषण के प्रभाव से सिर के बाल रूखे और बेजान से हो जाते हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए हमेशा अच्छे शैम्पू से बालों को धोना चाहिए और अच्छा हेयर टॉनिक लगाना चाहिए
● कुदरती साधनों के इस्तेमाल से बालों को सुंदर बनाया जा सकता है। बालों को अच्छी तरह धोने के बाद बालों में ताजी मेहंदी पीसकर लगानी चाहिए। कुछ वक्त बाद बालों को पानी से धो लेना चाहिए।
● हफ्ते में एक बार बालों में तेल की मालिश जरूर करनी चाहिए। ऐसा करने से बालों की बेहतर कसरत हो जाती है। और सिर में खून का दौरा भी सुचारु रूप से होता रहता है।
● भूलकर भी अपने सिर के बालों के साथ ज्यादा एक्सपेरिमेंट न करें। ऐसा करने से बाल कमजोर होकर असमय टूटने लगते हैं।
● बालों की साफ-सफाई में लापरवाही न बरतें। याद रखें कि पसीना बालों की जड़ों में पहुंचने पर बालों को नुकसान पहुंचाता है। इससे बचने के लिए हफ्ते में कम से कम दो बार बालों की सफाई जरूर करें
● बालों में अक्सर रूसी की समस्या उत्पन्न हो जाया करती है जिससे बाल बेजान होकर टूटने लगते हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए सबसे पहले बालों में अच्छी तरह तेल लगा लें, फिर गर्म पानी में भीगे तौलिए से बालों को भाप दें। ऐसा करने से बालों की रूसी खत्म हो जाएगी।
● प्रयोग में लाई गई चाय की पत्ती को थोड़े से पानी में उबाल लें। इसके ठंडा होने पर इसे बालों में लगाएं। हफ्ते में कम से कम एक बार इस क्रिया को जरूर करें। इस क्रिया को करने से बाल मजबूत हो जाएंगे
Soursop for Health Benefits -
The results of some of the university's research to prove if the magic tree and its fruit can be:
Attacking cancer cells with naturally safe and effective, without nausea, weight loss, hair loss, as happened in chemo therapy.
Protecting the immune system and prevent deadly infections.
Increased energy and improved physical appearance.
Effectively selecting a target and kill the bad cells from 12 different types of cancer, including colon, breast, prostate, lung, and pancreas.
Power works 10,000 times stronger in slowing the growth of cancer cells compared with adriamycin and chemo therapy is commonly used.
Unlike chemo therapy, this juice is only selectively hunt down and kill the bad cells and not harm or kill healthy cells.
एलोवेरा जूस - बेस्ट डाइट जूस
अगर आप एक स्वस्थ तरीके से अपना वजन कम करना चाहती हैं, तो एलो वेरा का जूस बना कर पीजिये। एलो वेरा जूस में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा काफी ज्यादा होती है जिससे इम्मयून सिस्टम बिल्कुल मजबूत हो जाता है और शरीर अंदर से साफ हो जाता है। साथ ही एलो वेरा जूस पीने से शरीर को कोई बीमारी भी नहीं लगती। एलो वेरा जूस में काफी प्रोटीन, 10 तरक के विटामिन और 30 प्रकार के एंजाइम पाए जाते हैं। तो अगर आप डायट पर हैं तो, इस एलो वेरा जूस को रोज पियें। आइये जानते हैं कि एलो वेरा जूस कैसे बनाया जाता है।
कितने- 1 गिलास
तैयारी में समय- 15 मिनट
बनाने में समय- 10 मिनट
सामग्री- 2 चम्मच ऐलो वेरा का रस 1 नींबू अदरक छोटे पीस में कटा चीनी अगर जरुरत हो तो चुटकी भर नमक पानी जरुरत के अनुसार
विधि- एक जूसर में नींबू का रस, पानी, अलो वेरा जेल, अदरक के टुकड़े, चीनी और नमक मिक्स कर के ब्लेंड करें। फिर इसे एक गिलास में छान लें । जरुरत के अनुसार नमक या चीनी को बढ़ा या घटा लें। आपका ऐलो वेरा जूस तैयार है। इसे सर्व करने से पहले इसमें आइस क्यूब्स डालना ना भूलें।
थायराइड के इलाज के लिए करें अखरोट का सेवन
● तितली के आकार की थॉयराइड ग्रंथि गले में पायी जाती है।
● यह ऊर्जा और पाचन की मुख्य ग्रंथि है, यह मास्टर लीवर है।
● अखरोट का सेवन करने से थॉयराइड ग्रंथि सुचारु हो जाती है।
● इसमें सेलेनियम नामक तत्व होता है जो थॉयरइड में प्रभावी है।
● थॉयराइड ग्रंथि की समस्या से ग्रस्त लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, खानपान में अनियमिता के कारण यह समस्या होती है। थॉयराइड ग्रंथि
तितली के आकार की होती है जो गले में पाई जाती है। यह ग्रंथि उर्जा और पाचन की मुख्य ग्रंथि है। यह एक तरह के मास्टर लीवर की तरह है जो ऐसे जीन्स का स्राव करती है जिससे कोशिकाएं अपना कार्य ठीक प्रकार से करती हैं। इस ग्रंथि के सही तरीके से काम न कर पाने के कारण कई तरह की समस्यायें होती हैं। अखरोट इस बीमारी के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लेख में विस्तार से जानें थॉयराइड फंक्शन और इसके उपचार के लिए अखरोट के सेवन के बारे में।
क्या है थॉयराइड समस्या :-
थॉयराइड को साइलेंट किलर माना जाता है, क्योंकि इसके लक्षण व्यक्ति को धीरे-धीरे पता चलते हैं और जब इस बीमारी का निदान होता है तब तक देर हो चुकी होती है। इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से इसकी शुरुआत होती है लेकिन ज्यादातर चिकित्सक एंटी बॉडी टेस्ट नहीं करते हैं जिससे ऑटो-इम्युनिटी दिखाई देती है।
थॉयराइड की समस्या दो प्रकार की होती है :-
हाइपोथॉयराइडिज्म और हाइपरथॉयराइडिज्म। थॉयराइड ग्रंन्थि से अधिक हॉर्मोन बनने लगे तो हाइपरथॉयरॉइडिज्म और कम बनने लगे तो हाइपोथायरॉइडिज्म होता है। थॉयराइड की समस्या होने पर थकान, आलस, कब्ज का होना, चिड़चिड़ापन, अत्यधिक ठंड लगना, भूलने की समस्या, वजन कम होना, तनाव और अवसाद जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
अखरोट है फायदेमंद :-
अखरोट में सेलेनियम नामक तत्व पाया जाता है जो थॉयराइड की समस्या के उपचार में फायदेमंद है। 1 आंउस अखरोट में 5 माइक्रोग्राम सेलेनियम होता है। अखरोट के सेवन से थॉयराइड के कारण गले में होने वाली सूजन को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है। अखरोट सबसे अधिक फायदा हाइपोथॉयराइडिज्म (थॉयराइड ग्रंथि का कम एक्टिव होना) में करता है।
सेलीनियम है फायदेमंद :-
थॉयराइड ग्रंथि में सेलीनियम उच्च सांद्रता में पाया जाता है इसे थायराइड-सुपर-न्युट्रीएंट भी कहा जाता है। यह थॉयराइड से सम्बंधित अधिकांश एंजाइम्स का एक प्रमुख घटक द्रव्य है, इसके सेवन से थॉयराइड ग्रंथि सही तरीके से काम करने लगता है। यह ऐसा आवश्यक सूक्ष्म तत्व है जिस पर शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता सहित प्रजनन आदि अनेक क्षमतायें भी निर्भर करती है। यानी अगर शरीर में इस तत्व की कमी हो गई तो रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। इसलिए खाने में पर्याप्त मात्रा में सेलेनियम के सेवन की सलाह दी जाती है। अखरोट के अलावा सेलेनियम बादाम में भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
● थॉयराइड ग्रंथि की समस्या होने पर नमक का सेवन बढ़ा देना चाहिए, इसके अलावा स्वस्थ खानपान और नियमित रूप से व्यायाम को अपनी दिनचर्या बनायें।.
पथरी के रामबाण घरेलू उपाय
किडनी में स्टोन की समस्या आजकल आम हो चली है। इसकी बड़ी वजह खान-पान की गलत आदतें होती हैं। जब नमक एवं अन्य खनिज (जो हमारे मूत्र में होते हैं) वे एक दूसरे के संपर्क में आते है या अगर किसी कारण से पेशाब गाढा हो जाता है तो किडनी के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर जैसी कठोर वस्तुएं बन जाती हैं जिन्हे गुर्दे की पथरी के रूप में जाना जाता है।
गुर्दे की पथरी अलग अलग आकार की हो सकती है| कुछ पथरी रेत के दानों की तरह बहुत हीं छोटे आकार के होते हैं तो कुछ बहुत हीं बड़े। आमतौर पर छोटे मोटे पथरी मूत्र के जरिये शरीर के बाहर निकल जाया करते हैं लेकिन जो पथरी आकार में बड़े होते हैं वे बाहर नहीं निकल पाते एवं मूत्र के बाहर निकलने में बहुत ही बाधा डालते हैं उससे बहुत हीं ज्यादा पीड़ा उत्पन्न होती है। पथरी का दर्द कभी-कभी बर्दाश्त से बाहर हो जाता है। इसमें पेशाब करने में बहुत दिक्कत होती है और कई बार पेशाब रूक जाता है। पथरी होने की कोई उम्र नहीं होती है, यह किसी भी उम्र में हो सकती है।यहाँ पर हम आपको पथरी के कुछ आसान घरेलू नुस्खे के बारे में जानकारी देते हैं।
*नारियल का पानी पीने से पथरी में फायदा होता है। पथरी होने पर नारियल का प्रतिदिन पानी पीना चाहिए।
*करेला वैसे तो बहुत कड़वा होता है परन्तु पथरी में यह रामबाण की तरह काम करता है। करेले में मैग्नीशियम और फॉस्फोरस नामक तत्व होते हैं, जो पथरी को बनने से रोकते हैं।
*15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दो चम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।
*अंगूर में एल्ब्यूमिन और सोडियम क्लोराइड बहुत ही कम मात्रा में होता हैं, इसलिए किडनी में स्टोन के उपचार के लिए अंगूर को बहुत ही उत्तम माना जाता है। चूँकि इनमें पोटेशियम नमक और पानी भरपूर मात्रा में होते है इसलिए अंगूर प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में भी उत्कृष्ट रूप में कार्य करता है।
*पका हुआ जामुन पथरी से निजात दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।
*किडनी में स्टोन को निकालने में बथुए का साग भी बहुत ही कारगर होता है। इसके लिए आप आधा किलो बथुए के साग को उबाल कर छान लें। अब इस पानी में जरा सी काली मिर्च, जीरा और हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर, दिन में चार बार पीने से शीघ्र ही फायदा होता है।
*आंवला का पथरी में बहुत फायदा करता है। आंवला का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।
*प्याज में गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसका प्रयोग से हम किडनी में स्टोन से निजात पा सकते है। लगभग 70 ग्राम प्याज को पीसकर और उसका रस निकाल कर पियें। सुबह, शाम खाली पेट प्याज के रस का नियमित सेवन करने से पथरी छोटे-छोटे टुकडे होकर निकल जाती है।
*जीरे और चीनी को समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच ठंडे पानी से रोज तीन बार लेने से लाभ होता है और पथरी निकल जाती है।
सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है। आम के पत्ते छांव में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम रोज पानी के साथ लीजिए, फायदा होगा।
*पथरी की समस्या से निपटने के लिए केला जरूर खाना चाहिए क्योंकि इसमें विटामिन बी 6 होता है। विटामिन बी 6 ऑक्जेलेट क्रिस्टल को बनने से रोकता और तोड़ता भी है। विटामिन बी-6, विटामिन बी के अन्य विटामिन के साथ सेवन करना किडनी में स्टोन के इलाज में काफी मददगार माना जाता है ।
*मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए। अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए और फिर पानी में मिलाकर इसका घोल बना लीजिए, इस घोल को पीजिए।ऐसा नियमित रूप से करें शीघ्र ही पथरी निकल जाएगी।
*चाय, कॉफी व अन्य पेय पदार्थ जिसमें कैफीन पाया जाता है, उन पेय पदार्थों का सेवन बिलकुल मत कीजिए। हो सके कोल्ड्रिंक ज्यादा मात्रा में पीजिए।
*शुद्ध तुलसी का रस लेने से भी पथरी को यूरीन के रास्ते निकलने में मदद मिलती है। कम से कम एक महीना तुलसी के पतों के रस के साथ शहद लेने से बहुत लाभ मिलता है। तुलसी के कुछ ताजे पत्तों को भी रोजाना चबाना चाहिए ।
*जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
*नींबू का रस और जैतून के तेल का मिश्रण, गुर्दे की पथरी के लिए सबसे प्रभावी प्राकृतिक उपचार में से एक है। पत्थरी का दर्द होने पर 60 मिली लीटर नींबू के रस में उतनी ही मात्रा में आर्गेनिक जैतून का तेल मिला कर सेवन करने से जल्दी ही आराम मिलता है। नींबू का रस और जैतून का तेल पूरे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा रहता है।
*बेल पत्थर को पर जरा सा पानी मिलाकर घिस लें, इसमें एक साबुत काली मिर्च डालकर सुबह काली मिर्च खाएं। दूसरे दिन काली मिर्च दो कर दें और तीसरे दिन तीन ऐसे सात काली मिर्च तक पहुंचे।आठवें दिन से काली मिर्च की संख्या घटानी शुरू कर दें और फिर एक तक आ जाएं। दो सप्ताह के इस प्रयोग से पथरी समाप्त हो जाती है। याद रखें एक बेल पत्थर दो से तीन दिन तक चलेगा।