स्वाद भोजन में नहीं भूख में है :-
भूख लगना शरीर की एक स्वाभाविक क्रिया है। अगर भूख अपने आप लगती है तो किसी भी व्यक्ति को कोई सा भी भोजन खिला लो उसे सब स्वादिष्ट लगता है। लेकिन इसके विपरीत जब किसी व्यक्ति को भूख नहीं लगती तो उसके सामने कितना भी स्वादिष्ट भोजन क्यों न हो उसे अच्छा नहीं लगता है। अगर भूख न लगने पर भोजन किया जाए तब व्यक्ति का मन ऐसा करता है कि वह अचार, मुरब्बा, तेज मिर्च-मसाले, खटाई आदि जैसी चीजे खाएं। जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक होते हैं। ऐसी चीजों में स्वाद कुछ ज्यादा होता है इसलिए व्यक्ति स्वाद-स्वाद में इस तरह का भोजन ज्यादा खा जाता है। लेकिन इस तरह के भोजन को खाने से बदहजमी का रोग हो जाता है और भोजन पचाने की क्रिया खराब हो जाती है।
• आजकल के समय में भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें नकली रंगों, रसायनों आदि का इस्तेमाल ज्यादातर होने लगा है जो कि किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक होता है।
• हर व्यक्ति को यह बात जानना बहुत जरूरी है कि उसे क्या खाना चाहिए, कितना खाना चाहिए, कब खाना चाहिए और कब नहीं खाना चाहिए।
• प्रकृति ने मनुष्य के शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राकृतिक भोजन जैसे फल, सब्जियां, मेवे आदि को खाने के लिए बनाया है लेकिन फिर भी मनुष्य अपनी आदत से मजबूर होकर ज्यादातर दूसरी तरह के भोजन पर निर्भर रहता है जो उसके स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने की बजाय हानि पहुंचाता है।
• अगर आप एक समय का भोजन कर चुके हो तो दूसरे समय के भोजन में कम से कम 6 घंटे का अंतर तो रखना ही चाहिए जिससे भूख अपने आप लगे तो हर तरह का भोजन स्वादिष्ट लगे।
• बाहर के तले-भुने भोजन को छोड़कर अगर हम फल, सलाद आदि जैसा प्राकृतिक भोजन करने की आदत डालते हैं तो उस समय भोजन करने में जो मजा आता है उसके सामने हर चीज बेकार नज़र आती है।
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