Thursday, 29 May 2014

आड़ू













आड़ू --

आड़ू को संस्कृत में आरुक कहते हैं यह लगभग ८ मीटर ऊँचा,विशाल या छोटा वृक्ष होता है जिसकी शाखाएं अरोमिल होती हैं | इसके पत्ते आम के पत्तों जैसे गहरे हरेरंग के होते हैं जो पक कर गिरने से पहले लाल रंग के हो जाते हैं | फल गोलाकार,५-७ सेंटीमीटर व्यास के,गूदेदार ,पीले रंग के,रक्ताभ,आभायुक्त तथा अत्यंत कठोर गुठली युक्त होते हैं | इनका पुष्पकाल फ़रवरी-मार्च में तथा फल काल अप्रैल से जून में होता है | इसकी गिरी में से एक प्रकार का तेल निकला जाता है जो कड़वे बादाम तेल की तरह होता है ।आड़ू के फल में शर्करा,साइट्रिक अम्ल,एस्कॉर्बिक अम्ल,प्रूसिक अम्ल,ओलिक अम्ल,लिनोलिक अम्ल,प्रोटीन,खनिज,विटामिन A ,B तथा C आदि प्राप्त होते हैं | आज हम आपको आड़ू के औषधीय गुणों से अवगत कराएंगे-

१- कर्णशूल- आड़ू बीज तेल को १-२ बूँद कान में डालने से कान की वेदना का शमन होता है | 

२-विबन्ध - प्रतिदिन सोने से पूर्व छिलका सहित एक आड़ू फल का सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है |

३- आंत्र कृमि - १०-२० मिलीलीटर आड़ू स्वरस में १२५ मिलीग्राम हींग मिलाकर पिलाने से आँतों के कीड़ों का शमन होता है 

४-आमाशय शूल - १०-२० मिलीलीटर आड़ू फल स्वरस में ५०० मिलीग्राम अजवाइन चूर्ण मिलाकर पिलाने से पेट दर्द में लाभ होता है | 

५- व्रण - आड़ू के पत्तों को पीसकर लगाने से घाव,रोएँ की सूजन,खुजली तथा बवासीर में लाभ होता है | 

६- चर्म रोग - आड़ू बीज तेल की शरीर पर मालिश करने से चर्मरोगों में लाभ होता है|

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