Thursday, 29 May 2014

सूर्य दर्शन












सूर्य दर्शन - 

रोजाना कुछ समय सूर्य की और देखने के अनेक लाभ है....
- संध्या वंदन और सूर्य को अर्घ्य देने के कारण हम जल चढाते हुए कुछ समय सूर्य को देखते रहते है. संध्या वंदन में दोपहर में भी सूर्य को देखने का नियम है; पर यह दर्शन दोनों हाथों से एक मुद्रा बना कर उसमे से किया जाता है ताकि ज़्यादा रौशनी से आँखों पर बुरा असर ना हो. 
- कहा जाता है की जिस तरह पेड़ पौधों में क्लोरोफिल सूर्य प्रकाश से क्रियाशील हो कर भोजन निर्माण करता है , उसी तरह मनुष्य की आँखों में एक तत्व होता है जो सूर्य प्रकाश से क्रियाशील हो कर ऊर्जा का निर्माण करता है और शरीर को आरोग्य प्रदान करता है. 
- रोज़ सूर्य दर्शन करने से अवसाद , होरमोन , आँखों के रोग आदि ठीक होते है. 
- सूर्योदय के एक घंटे बाद तक और सूर्यास्त से एक घंटे पहले तक का समय सूर्य दर्शन के लिए सुरक्षित होता है. 
- सबसे पहले अपने पैरों से चप्पल आदि निकाल कर मिटटी पर खड़े हो जाए और दस सेकण्ड तक लगातार सूर्य की और देखें. फिर आँखों को हाथों से ढक ले. 
- रोज़ इसमें दस सेकण्ड की वृद्धि करते जाए. 
- ऐसा अधिकतम 45 मि. तक किया जा सकता है. यह समय धीरे धीरे नौ महीनों में पहुंचा जा सकता है. 
- एक महीने में 5 मि का समय हो जाएगा , यह आँखों के लिए लाभदायक है. चश्मे छुट जाते है. 
- मानसिक क्षमता बढाने के लिए 3 महीनो में १५ मि तक पहुँच कर फिर रोजाना 5 मि सूर्य दर्शन करे. 
- शारीरिक क्षमता के लिए 30 मि तक पहुँच कर फिर धीरे धीरे समय कम करते हुए रोजाना दस मि तक सूर्य दर्शन कर लाभ बनाए रखे. 
- आध्यात्मिक लाभ के लिए नौ महीनों में 45 मि तक पहुँच कर फिर धीरे धीरे समय कम कर के रोजाना १५ मि तक सूर्य दर्शन करे. 
- समय दस सेकण्ड रोज़ बढाते जाए. एक ही दिन में समय अधिक बढ़ाना सही नहीं है. 
- साथ ही सूर्य की रौशनी में रखा हुआ पानी पियें. 
- साथ ही थोड़े समय नंगे पैर ज़मीन पर चलें.

आड़ू













आड़ू --

आड़ू को संस्कृत में आरुक कहते हैं यह लगभग ८ मीटर ऊँचा,विशाल या छोटा वृक्ष होता है जिसकी शाखाएं अरोमिल होती हैं | इसके पत्ते आम के पत्तों जैसे गहरे हरेरंग के होते हैं जो पक कर गिरने से पहले लाल रंग के हो जाते हैं | फल गोलाकार,५-७ सेंटीमीटर व्यास के,गूदेदार ,पीले रंग के,रक्ताभ,आभायुक्त तथा अत्यंत कठोर गुठली युक्त होते हैं | इनका पुष्पकाल फ़रवरी-मार्च में तथा फल काल अप्रैल से जून में होता है | इसकी गिरी में से एक प्रकार का तेल निकला जाता है जो कड़वे बादाम तेल की तरह होता है ।आड़ू के फल में शर्करा,साइट्रिक अम्ल,एस्कॉर्बिक अम्ल,प्रूसिक अम्ल,ओलिक अम्ल,लिनोलिक अम्ल,प्रोटीन,खनिज,विटामिन A ,B तथा C आदि प्राप्त होते हैं | आज हम आपको आड़ू के औषधीय गुणों से अवगत कराएंगे-

१- कर्णशूल- आड़ू बीज तेल को १-२ बूँद कान में डालने से कान की वेदना का शमन होता है | 

२-विबन्ध - प्रतिदिन सोने से पूर्व छिलका सहित एक आड़ू फल का सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है |

३- आंत्र कृमि - १०-२० मिलीलीटर आड़ू स्वरस में १२५ मिलीग्राम हींग मिलाकर पिलाने से आँतों के कीड़ों का शमन होता है 

४-आमाशय शूल - १०-२० मिलीलीटर आड़ू फल स्वरस में ५०० मिलीग्राम अजवाइन चूर्ण मिलाकर पिलाने से पेट दर्द में लाभ होता है | 

५- व्रण - आड़ू के पत्तों को पीसकर लगाने से घाव,रोएँ की सूजन,खुजली तथा बवासीर में लाभ होता है | 

६- चर्म रोग - आड़ू बीज तेल की शरीर पर मालिश करने से चर्मरोगों में लाभ होता है|

क्या आपकी हाईट कम है ?
















क्या आपकी हाईट कम है ?
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तो आईये आज हम आपको बताते हैं हाईट बढ़ाने का नुस्का 

कुछ लोगों की हाइट समय से पहले ही बढ़ना रुक जाती है।
इसका मुख्य कारण शरीर को पर्याप्त पोषक तत्व न मिलना और हार्मोन की गड़बड़ी है।

दरअसल, हमारी लंबाई बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन यानी एचजीएच का होता है। 

एचजीएच पिट्युटरी ग्लैंड से निकलता है।
यही कारण है कि सही प्रोटीन और न्यूट्रिशन न मिलने पर शरीर का विकास रुक जाता है। यदि आपके साथ भी यह समस्या है तो आज हम
आपको बताने जा रहे हैं हाइट बढ़ाने और कर्वी फिगर पाने का खास नुस्खा.

नुस्खा- अश्वगंधा और सूखी नागौरी दोनों को ही आयुर्वेद में शारीरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।
सामग्री - 20 ग्राम सूखी नागौरी। 
- 20 ग्राम अश्वगंधा। 
- 20 ग्राम चीनी।
बनाने की विधि-
सूखी नागौरी और अश्वगंधा की जड़ को बारीक पीस लें। इस चूर्ण में बराबर मात्रा में चीनी मिला लें। यह मिश्रण कांच की बोतल में भर लें। .

ऐसे करें सेवन- रात को सोते समय रोज दो चम्मच चूर्ण लें। फिर गाय का दूध पिएं। 

इससे हाइट बढ़ने के साथ ही हेल्थ भी बन जाती है। 

इस चूर्ण को लगातार 40 दिन तक लें। 
सर्दियों में यह चूर्ण अधिक फायदा करता है।

ताडासन :- ताडासन का नियमित 15-20 मिनट
अभ्यास सुबह और शाम हितकर होगा।

इमली










इमली-

इमली से हम सब परिचित हैं | इमली के वृक्ष काफी ऊँचे होते हैं तथा सघन छायादार होने के कारण सडकों के किनारे भी इसके वृक्ष लगाए जाते हैं | इमली का वृक्ष उष्णकटिबंधीय अफ्रीका तथा मेडागास्कर का मूल निवासी है | वहां से यह भारत में आया और अब पूरे भारतवर्ष में प्राप्त होता है | यहाँ से ईरान तथा सऊदी अरब में पहुंचा जहाँ इसे तमार-ए-हिन्द (भारत का खजूर ) कहते हैं |इसका पुष्पकाल फ़रवरी से अप्रैल तथा फलकाल नवंबर से जनवरी तक होता है | इसके फल में शर्करा,टार्टरिक अम्ल,पेक्टिन,ऑक्जेलिक अम्ल तथा मौलिक अम्ल आदि तथा बीज में प्रोटीन,वसा,कार्बोहायड्रेट तथआ खनिज लवण प्राप्त होते हैं | यह कैल्शियम,लौह तत्व,विटामिन B ,C तथा फॉस्फोरस का अच्छा स्रोत है |आज हम आपको इमली के औषधीय गुणों से अवगत करा रहे हैं -

१- १० ग्राम इमली को एक गिलास पानी में भिगोकर,मसल-छानकर ,शक्कर मिलाकर पीने से सिर दर्द में लाभ होता है | 

२- इमली को पानी में डालकर ,अच्छी तरह मसल- छानकर कुल्ला करने से मुँह के छालों में लाभ होता है| 

३- १० ग्राम इमली को १ लीटर पानी में उबाल लें जब आधा रह जाए तो उसमे १० मिलीलीटर गुलाबजल मिलाकर,छानकर, कुल्ला करने से गले की सूजन ठीक होती है |

४-इमली के दस से पंद्रह ग्राम पत्तों को ४०० मिलीलीटर पानी में पकाकर ,एक चौथाई भाग शेष रहने पर छानकर पीने से आंवयुक्त दस्त में लाभ होता है | 

५- इमली की पत्तियों को पीसकर गुनगुना कर लेप लगाने से मोच में लाभ होता है | 

६-इमली के बीज को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता है | 

७- गर्मियों में ताजगी दायक पेय बनाने के लिए इमली को पानी में कुछ देर के लिए भिगोएँ व मसलकर इसका पानी छान लें। अब उसमें स्वादानुसार गुड़ या शक़्कर , नमक व भुना जीरा डाल लें। इसमें ताजे पुदीने की पत्तियाँ स्फूर्ति की अनुभूति बढ़ाती हैं ,अतः ताजे पुदीने की पत्तियाँ भी इस पेय में डाली जा सकती हैं | 

नोट -- चूँकि इमली खट्टी होती है अतः इसे भिगोने के लिए कांच या मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाना चाहिए |

Wednesday, 21 May 2014

Boost your health with Pumpkin Seeds:























Boost your health with Pumpkin Seeds:

-They are a good source of omega-3, copper, manganese, magnesium and iron
-They are loaded with proteins, fibre and healthy fats that lower the cholesterol level 
-For men, they are a boon as they contain good levels of zinc for optimum reproductive health
-They are full of vitamin K that makes them useful in blood clotting, bone maintenance and growth
-They provide you with a much needed energy boost on a lazy day

How To Make Turmeric Pain Relief Tea












Turmeric Tea Recipe

2 tablespoons of grated fresh turmeric root, or 1 heaped teaspoon of ground turmeric
4 cups of water
Honey/fresh lemon to taste

Instructions

Bring the water to the boil on the stove and then add the turmeric. If using fresh grated turmeric, boil for 15-20 minutes. If using powdered turmeric, boil for 10 minutes. When ready, strain the tea through a fine sieve, and add the honey and lemon to taste.

पेट के कीड़ों से परेशान हैं तो अपनाएं यह उपाय














पेट के कीड़ों से परेशान हैं तो अपनाएं यह उपाय......

आपने पेट की बीमारियों के बारे में सुना और पढ़ा होगा, जैसे-पेट की गैस, सूजन, बदहजमी आदि का होना। इनमें से एक बीमारी है पेट में कीड़ों का होना। कई कारणों से पेट में कीड़े हो जाते हैं और इससे पेट में काफी दर्द भी होता है।

पेट में कीड़े़ होने के लक्षण :

- सोते समय पेट में दर्द होना।
- शरीर का रंग पीला या काला पड़ जाना।
- भोजन का सेवन न करना।
- होठों का सफेद पड़ना।
- शरीर में सूजन होना ।

 इससे निजात पाने के कुछ सरल उपाय 

- अनार के छिलके को सूखाकर चूर्ण बना लेना। फिर इसको दिन में 3 बार एक-एक चम्मच खाना। इसके सेवन से पेट में कीड़े खत्म हो जाते हैं। 
- टमाटर को काट कर उसके ऊपर काला नमक या काली मिर्च पाउडर डाल कर सेवन करें। इसके प्रयोग के साथ भी पेट के कीड़े मर जाते हैं और गुर्दा के रास्ते से बाहर निकल जाते हैं। 
- लहसुन की चटनी बना कर उस पर काला नमक डाल कर खाने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। 
- नीम के पत्तों का रस शहद में मिला कर पीने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
- कच्चे केले की सब्जी 7-8 दिन तक लगातार सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। 
- तुलसी की पत्तियों का एक चम्मच रस दिन में 2 बार पीने से पेट के कीड़े से छुटकारा मिलता हैं। 
- अजवायन का 1-2 ग्राम चूर्ण को लस्सी के साथ पीने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं। 

अगर आपके घर में भी छोटे बच्चे पेट कीड़ों से परेशान है तो आप इन उपायों से उन्हें इस तकलीफ से निजात दिला सकती हैं और बच्चे जल्द से स्वस्थ हो जाएं......

Facial Masks Home Remedies For Oily Skin























Facial Masks Home Remedies For Oily Skin

A weekly face mask can help to revive an oily face. Clay or mud-based masks help to draw out and absorb the oil in your skin.
Honey Oatmeal Mask - An oatmeal and honey mask can be very effective for treating excessively oily skin. The oatmeal is a gentle exfoliant while the honey adds moisture and nutrients. Simply make a paste using uncooked oatmeal, honey, and lemon juice. Spread this mixture on your face and leave the mask on for about 15-20 minutes, and rinse it off with warm water. 
Cucumber Mask - Mix together 2 tbsp. of grated cucumber flesh into 1 beaten egg white. Apply mixture mask to face. Leave on for 15-20 minutes. Rinse off with warm water.
Oatmeal Egg Mask - Blend ½ C cooked oatmeal, 1 egg white, 1 tbsp lemon juice and ½ C mashed apple into a smooth paste. Apply this paste on your face for 15-20 minutes. Rinse with warm water. The acids in the apple help exfoliation.
Basic Green Clay Mask - Clay masks are soothing and healing to skin. They help draw out toxins, dirt and excess sebum.
Fullers earth green clay (Betonite) (found at health food store)
Mix enough with water to form a paste
Add 1 tsp. pure honey
Optional: Few drops of your favorite essential oil Leave on for 15-20 minutes and rinse of with lukewarm water.
Halloween Facial Mask – Autumn Special
Puree together in blender equal parts of apple and fresh pumpkin slice (peeled and cored)
Add 1 tbsp. honey
Add plain yogurt to form creamy paste
Apply to face. Leave on for 15-20 minutes. Rinse off with tepid water.

Improve your health with Peepal remedies























Improve your health with Peepal remedies :

-Take 1 tsp of dried leaf powder with water to relieve bleeding piles
-Infuse the leaves in water overnight,distill it in the morning and consume 15 mg of this infusion thrice daily to relieve heart palpitation and cardiac weakness
-Dry the fruits in shade and then powder it, consume ½ to 1 tsp of this powder with milk daily to treat premature ejaculation
-Make a paste with 2 tsp each of bark powder, gram flour powder with water and use it as a face mask for a glowing complexion 

Stuffy nose
















Stuffy nose? Leave a sliced onion near where you sleep and let it sit for the night. When you wake up you'll have a clear nose.

Monday, 19 May 2014

एसिडिटी का आयुर्वेदिक उपचार


" Health Benefits of Consuming Dates"





















" Health Benefits of Consuming Dates"

1) Dates are free from cholesterol and contain very low fat. Dates are rich in vitamins and minerals.
2) They are rich source of protein, dietary fiber and rich in vitamin B1, B2, B3 and B5 along with vitamin A1 and C.
3)It helps improve the digestive system as it contains soluble and insoluble fibers and different kinds of amino acids.
4) Dates are great energy boosters as they contain natural sugars like glucose, sucrose and fructose. To get more advantage add dates to milk and make it a very nutritious snack.
5)Dates are very low in calories and are extremely suitable for health conscious people.
6) Dates are rich in potassium and reduced in sodium. This helps regulate a healthy nervous system. Researchers have revealed the fact that potassium intake up to a certain extent can reduce risk of stroke.
7) Dates also help in lowering of the LDL cholesterol.
Dates have high iron content and are very useful in treating anemia. The patients can eat many dates for better advantages.
9) Dates also have fluorine that slows down the process of tooth decay.
10) It helps people suffering from constipation. Soak dates overnight and take it along with water to have added advantage.
11) Dates help in weight gain and are beneficial for those who suffer from over slimming problem.
12) Dates are excellent for alcoholic intoxication.Cures abdominal cancer.
13) It also helps in improving eye sight and helps in curing night blindness as well.
"The best thing is that it does not have any side effect on the body and is completely natural as well as it works better than medicine."

Apple Cider Vinegar























How to Use Apple Cider Vinegar For Healthier Skin and Hair

Aloe on Cholesterol
















Aloe on Cholesterol

When used internally, aloe vera gel improves the quality of the blood and helps rebalance the blood chemistry in a way that lowers cholesterol and total triglycerides (in people with elevated levels).
Include fresh aloe juice in your daily diet to maintain your cholesterol level and increase the level of good cholesterol.
Aloe vera won't kill you. Aloe is completely safe to eat like a food. There are natural alternatives that are far safer, less expensive and more effective. Aloe vera is one of them!
More Health Benefits of Aloe Vera
Helps heal skin wounds
stimulates cellular rejuvenation of the skin
hydrates the skin 
reduces pain of canker sores
increases stomach mucosal production 
supports digestion & detoxification
anti-obesity effect 
hypoglycemic activity
powerful antioxidant helps with pre-diabetes & metabolic syndrome
helps with high blood pressure 
helps with burning mouth syndrome 
anti-fungal properties 
anti-bacterial & antiseptic properties
useful with burns – repairs skin tissue 
helps with joint & muscle pain 
anti-inflammatory properties 
high in essential amino acids 
boosts oxygenation of blood anti-aging properties

स्वास्थ्य व सौंदर्य का दुश्मन मोटापा
















स्वास्थ्य व सौंदर्य का दुश्मन मोटापा

मनपसन्द खान-पान और आराम-तलब जीवनशैली की देन मोटापा- जो स्वयं में कोई रोग नहीं दिखते हुए भी वास्तव में रोगों का घर साबित होता है । यदि किसी व्यक्ति का वजन उसकी लम्बाई के अनुपात से 20 किलो भी ज्यादा हो तो इसका मतलब उसने अपने शरीर पर 20किलो वजन की ऐसी गठरी लाद रखी है जिसे उसे हर समय उठाकर चलना ही है ।

अधिक वजन वाले व्यक्तियों के शरीर के प्रत्येक अंग को सामान्य वजन के व्यक्तियों की तुलना में अधिक कार्य करना पडता है । उनके दिल को सिर्फ शारीरिक अवयवों तक ही खून नहीं पहुँचाना पडता बल्कि बढी हुई चर्बी के कोषों तक भी खून भेजना होता है । फेफडों को अतिरिक्त वायु बढी हुई चर्बी की तह के लिये भेजनी पडती है . गुर्दों को अधिक पेशाब छानना पडता है । इनके भोजन की मात्रा भी सामान्य व्यक्तियों की तुलना में अधिक होने के कारण पाचक अंगों को भी ज्यादा काम करना पडता है । आंतों को उस भोजन को पचाने में अधिक श्रम करना पडता है और सोते समय आराम के क्षणों में भी मोटे व्यक्तियों की अधिक उर्जा खर्च होती है । निष्कर्ष ये कि मोटे व्यक्ति अपने आप के लिये ऐसे खर्चीले इंजन साबित होते है जो अपनी शक्ति का अधिकांश हिस्सा अपना वजन ढोने में ही खर्च कर रहे होते है ।

रोगों की दृष्टि से समझा जाये तो ह्रदय रोग तो मोटे व्यक्तियों में होना आम स्थिति होती है, इसके अलावा मधुमेह (शुगर), उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर), जोडों का दर्द और केन्सर तक के खतरे इनके साथ सामान्य वजन के व्यक्तियों की तुलना में कहीं अधिक रहते हैं । इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी इस समस्या के कारण कम हो जाने से बीमारी की अवस्था में इन्हें अधिक लम्बे समय तक रोगों से लडते रहना पडता है जहाँ प्रायः रोग ही इन पर अधिक भारी साबित होते हैं और कई बार औसत से कम उम्र में बीमारियां इनके प्राणों पर भारी साबित होती हैं ।

यदि मोटापे के कारणों पर चर्चा की जावे तो आलू, चांवल, सभी तरह के तले पदार्थ, मिठाईयों का अधिक सेवन, रात को देर तक जागकर सुबह देर तक सोये रहना । इन पूर्ववर्ती कारणों के अलावा आजकल जो अतिरिक्त कारण इस समस्या को बढावा देने में जुड गये हैं वे हैं फास्टफूड- पिज्जा, बर्गर के साथ ही कोल्ड ड्रिंक का निरन्तर बढता प्रयोग । इनके नियमित सेवन के साथ जब बच्चे टी. वी., कम्प्यूटर के सामने देर तक बैठकर अपने मनपसन्द टी. वी. शो या कम्प्यूटर पर मनोरंजक गेम खेल रहे होते हैं तो बालपन से ही यह समस्या तेज गति से इन्हे अपनी गिरफ्त में ले लेती है ।

यदि आपका पेट औसत से अधिक बढ रहा है तो ये इस बात का सूचक भी है कि आप मोटापे की गिरफ्त में तेजी से आते जा रहे हैं । अतः यदि आप इस स्थिति से बचना चाहते हैं तो उपरोक्त वर्णित कारणों का त्याग करने के साथ ही निम्न उपाय पर नियमित अमल करने का प्रयास करें-

1. सुबह उठते ही एक गिलास पानी में एक निंम्बु का रस मिलकर लें । 

2. तत्पश्चात 20 मिनिट के लिये तेज चाल से घूमने या दौडने और कम से कम 20 मिनिट के लिये कसरत, योगाभ्यास या स्वीमिंग का अनिवार्य क्रम अपनी जीवनचर्या में बनालें ।

3. वापसी के बाद एक सेवफल के लच्छे कसवाकर और यदि गाजर उपलब्ध हो तो उसमें एक गाजर के कसे हुए लच्छे मिलवाकर नाश्ते के रुप में उसका सेवन करके कुछ समय रुककर ही न्यूनतम मिठास की चाय या गाय के दूध का सेवन करें ।

4. भोजन में गेहूँ की चपाती खाना बन्द करके देशी चने व जौ का बराबर अनुपात में मिक्स आटा पिसवाकर उसकी रोटी खाना प्रारम्भ करदें । अपनी भूख से एक या सम्भव हो तो दो रोटी कम खाएँ । उसकी पूर्ति कच्चे सलाद की अधिकतम मात्रा अपने आहार में बढाकर करें । भोजन के पश्चात एक या दो घूंट से अधिक पानी न पिएँ । भोजन के एक घंटे बाद ही पानी पिएँ ।

5. चांवल के मांड में स्वाद के मुताबिक सेंधा नमक मिलाकर उसे कुनकुना गर्म पीने की कुछ समय आदत बनालें । 

6. पालक का 50 ग्राम ज्यूस निकलवाकर व उसमें 10 ग्राम नींबू का रस मिलाकर प्रतिदिन पीने की आदत बनालें । 

7. शाम को भी नियमित शौचक्रिया जाने का प्रयास करें । आपके नियमित प्रयास करने से शरीर की निश्चित ही वैसी आदत भी बन जाएगी । शाम का भोजन अत्यधिक हल्का रखें । यदि सम्भव हो सके तो शाम को कच्चे सलाद व मौसमी फल से ही गुजारा करने का प्रयास करें ।

8. शाम को एक बर्तन में पानी लेकर उसमें एक मुट्ठी अजवायन डालकर उस पानी को उबलवालें । फिर उसपर दूध ढकने की जाली ढककर व दो नेपकीन लेकर उस जाली पर बारी-बारी से नेपकीन गर्म करके सहते-सहते गर्म नेपकीन से सीने के नीचे से लगाकर पेट की नाभि तक लगभग 20 मिनीट नियमित सेक करने की आदत बनालें । इससे पेट का मोटापा घटाने में विशेष सफलता मिल सकेगी । अजवायन युक्त यह पानी तीन दिन तक गर्म करके आप उपयोग में ले सकते हैं ।

9. सोने के दो घण्टे पहले बिना मलाई का या सप्रेटा या गाय का दूध अथवा न्यूनतम मिठास की चाय पीकर सोते समय कब्जीना चूर्ण या त्रिफला चूर्ण पानी के साथ लेकर सोने की आदत बनालें ।

इन उपायों को करने के साथ ही फास्टफूड, कोल्ड ड्रिंक, आलू, चावल, तले पदार्थ व मिठाईयों का सेवन यथासम्भव पूरी तरह से बन्द करदें । इसके साथ ही यह भी ध्यान रखें कि मोटापा दो-चार दिनों में नहीं बढा है बल्कि लम्बे समय तक खानपान व रहन-सहन की अनुचित आदतों के कारण ही बढा है अतः इन उपायों को भी लम्बे समय का लक्ष्य बनाकर ही प्रयत्न आरम्भ करें । अलबत्ता उपचार प्रारम्भ करने के पूर्व अपना वजन व पेट तथा शरीर के वे अंग जिनपर अधिक चर्बीयुक्त मोटापा दिखाई देता है उनका माप लेकर एक डायरी में नोट करलें और फिर लगभग प्रति माह अपनी प्रोग्रेस स्वयं चेक करते चलें ।

Pomegranate peels for bleeding gums, मसूडों से खून आ रहा? अनार के छिलकों को जरा आजमाएं























Pomegranate peels for bleeding gums, मसूडों से खून आ रहा? अनार के छिलकों को जरा आजमाएं

अनार छीलने के बाद छिलकों को फेंके नहीं, इन्हें बारीक काटकर मिक्सर में थोडे पानी के साथ डालकर पीस लें। बाद में इसे मुंह में डालकर कुछ देर कुल्ला करें और थूक दें, दिन में दो तीन बार ऐसा करने से मसूडों और दांतों पर किसी तरह के सूक्ष्मजीवी संक्रमण हो तो, काफी हद तक आराम मिल जाता है। जिन्हें मसूडों से खून निकलने की शिकायत हो उन्हें यह फार्मुला बेहद फायदा करेगा। सैकडों साल से आजमाए जाने वाले इस आदिवासी फार्मुलों के असर को वैज्ञानिक परिक्षण के तौर पर सिद्ध किया जा चुका है। स्ट्रेप्टोकोकस मिटिस और स्ट्रेप्टोकोकस संगस नामक बैक्टिरिया की वजह से ही जिंजिवायटिस और कई अन्य मुख रोग होते हैं और इनकी वृद्धि को रोकने के लिए अनार के छिलके बेहद असरकारक होते हैं। आजमाएं जरूर इस नुस्खे को, असर दिखकर रहेगा, दावा है मेरा..

Peels of Pomegranate fruit should never be thrown away. Cut it into small pieces and grind it adding little water to it. The mixture should be gargled at least twice to thrice a day and thrown away. According to tribesmen, this is said to very effective in curing oral disorders such as gingivitis or bleeding gums. This age old formulation has clinically been proven by many scientists. It basically suppresses the growth of oral bacteria i.e. Streptococcus mitis and Streptococcus sangus. Try it, it must give results, I challenge.

बेल


















बेल -

बेल का वृक्ष बहुत प्राचीन है |यह लगभग २०-३० फुट ऊंचा होता है | इसके पत्ते जुड़े हुए त्रिफाक और गंधयुक्त होते हैं | इसका फल ३-४ इंच व्यास का गोलाकार और पीले रंग का होता है | बीज कड़े और छोटे होते हैं | बेल के फल का गूदा और बीज एक उत्तम विरेचक (पेट साफ़ करने वाले ) माने जाते हैं | बेल शर्करा को कम करने वाला,कफ व वात को शांत करने वाला,अतिसार, मधुमेह,रक्तार्श,श्वेत प्रदर व अति रज : स्राव को नष्ट करने वाला होता है | आइए जानते हैं बेल के औषधीय गुण -

१- पके हुए बेल का शर्बत पुराने आंव की महाऔषधि है | इसके सेवन से संग्रहणी रोग बहुत जल्दी ही दूर हो जाता है | 

२- बेल का मुरब्बा खाने से पित्त व अतिसार में लाभ होता है | पेट के सभी रोगों में बेल का मुरब्बा खाने से लाभ मिलता है | 

३- दस ग्राम बेल के पत्तों को ४-५ कालीमिर्च के साथ पीसकर उसमे १० ग्राम मिश्री मिलकर शरबत बना लें | इसका दिन में तीन बार सेवन करने से पेट दर्द ठीक हो जाता है | 

४- बेल के गूदे को गुड़ मिलाकर सेवन करने से रक्तातिसार (खूनी दस्त ) के रोगी का रोग दूर हो जाता है | 

५- मिश्री मिले हुए दूध के साथ बेल की गिरी के चूर्ण का सेवन करने से, खून की कमी व शारीरिक दुर्बलता दूर होती है | 

६- बेल के पत्तों को पीसकर छान लें, इस १० मिलीलीटर रस के प्रतिदिन सेवन से मधुमेह में शर्करा आना कम हो जाती हैं |

Sprouted Grains Dosa:

Sprouted Grains Dosa:

अंकुरित दालें (Sprouted Grains) बहुत ही पौष्टिक खाना है. अंकुरित दालों को कच्चा भी खाया जाता है और हल्का सा उबाल कर भी खाया जाता है, अंकुरित दालों से बना चीला आपको नाश्ते में और बच्चों को टिफिन में बहुत पसंद आयेगा. तो आइये बनाना शुरू करते हैं ये अंकुरित दाल का चीला (Sprouted Grains Cheela).
आवश्यक सामग्री - Ingredients for Sprouted Grains pooda
• अंकुरित किये हुये चना और मूंग - 2, 2 कप
• गेहूं या चावल का आटा - 1 कप
• हरी मिर्च - 1-2
• अदरक - 1 इंच लम्बा टुकड़ा
• नमक - स्वादानुसार ( 1 छोटी चम्मच)
• हींग - 1 पिंच
• लाल मिर्च - 1 - 2 पिंच (यदि आप चाहें)
• धनियां पाउडर - 1 छोटी चम्मच
• हरा धनियां - 2 टेबल स्पून (बारीक कटा हुआ)
• तेल - 2 -3 टेबल स्पून
विधि - How to makeSprouted Grains Cheela
हरी मिर्च के डंठल तोड़ कर धो लीजिये, अदरक छील कर, धोइये और बड़े टुकड़े में काट लीजिये.
अंकुरित चना और मूंग दाल को मिक्सर जार में डालिये, थोड़ा पानी, हरी मिर्च और अदरक डालकर कर बारीक पीस लीजिये.
मिश्रण को बड़े प्याले में डालिये और आटा डाल कर अच्छी तरह फैट कर मिला लीजिये. मिश्रण को पकोड़े के घोल जैसा पतला कर लीजिये, नमक, हींग, लाल मिर्च, धनियां पाउडर और हरा धनियां भी डाल कर मिला दीजिये.
नान स्टिक तवा गैस पर रख कर गरम कीजिये, पहली बार 3-4 बूंदे तेल की डाल कर तवे को चिकना कर दीजिये. एक बड़ा चमचा भर कर मिश्रण, गरम तवे पर डालिये और चमचे से ही घुमाकर, गोल आकार देते हुये पतला चीला फैलाइये. चीले के चारों ओर एक छोटी चम्मच तेल डालिये और एक छोटी चम्मच तेल चीले के ऊपर डालिये.
चीले की ऊपरी सतह का कलर बदलने पर और निचली सतह ब्राउन होने के बाद चीले को पलटिये, चीले को दूसरी ओर से भी हल्का ब्राउन होने तक सेक लीजिये. सिका चीला किसी प्लेट के ऊपर नैपकिन पेपर बिछाकर रखिये या गरम गरम चीला तवे वे उतार कर खाने वाले की प्लेट में रखिये.
एक चीले के बाद दूसरा चीला भी इसी तरह तवे पर फैलाइये और सेकिये. सारे चीले इसी तरह सेक कर तैयार कर लीजिये.
अंकुरित चना और मूंग के चीले (Sprouted Grains Cheela) तैयार हैं, अंकुरित दाल से बने चीले दही और हरे धनिये की चटनी के साथ परोसिये और खाइये.
सुझाव:
अंकुरित दाल (Sprouted Grains) के मिश्रण में आप अपने स्वाद के अनुसार सब्जियां, कद्दूकस किये गये गाजर, बन्द गोभी, फूल गोभी या जो भी सब्जी आपको पसन्द हो मिला सकते हैं.

वज्रासन
















वज्रासन

तुलसी के बीज का औषधीय उपयोग















तुलसी के बीज का औषधीय उपयोग

जब भी तुलसी में खूब फूल यानी मञ्जरी लग जाए तो उन्हें पकने पर तोड़ लेना चाहिए वरना तुलसी के पौधे में चीटियाँ और कीड़ें लग जाते है और उसे समाप्त कर देते है |इन पकी हुई मञ्जरियों को रख ले , इनमे से काले काले बीज अलग होंगे उसे एकत्र कर ले , इसे सब्जा कहते है | अगर आपके घर में तुलसी के पौधे नही है तो बाजार में पंसारी या आयुर्वैदिक दवाईयो की दुकान से भी तुलसी के बीज ले सकते हैं वहाँ पर भी ये आसानी से मिल जाएंगे |
शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी ---- तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है

नपुंसकता---- तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है।

मासिक धर्म में अनियमियता------ जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है और जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो भी ठीक होती है

तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है . इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है . इसे भिगाने से यह जैली की तरह फूल जाता है . इसे हम दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां डाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है .इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है तथा यह पित्त घटाता है |
ये त्रिदोषनाशक व क्षुधावर्धक है |

Barley water























Barley water can be prepared by boiling barley in water. Discover its benefits:

-It helps lower bad cholesterol and boosts heart health
-It improves complexion and reduces signs of ageing
-It relieves gastric inflammations and removes toxins from the body
-Its diuretic properties keep the urinary tract healthy
-Its high fiber content prevents constipation and helps in weight loss

कैसे करें दांतों की देखभाल



















कैसे करें दांतों की देखभाल

दांतों संबंधी कुछ आम प्रक्रियाएं ऐसी हैं जिन्हें बहुत स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है परन्तु वास्तव में वे आपके लिए नुक्सानदायक हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि असल में यह बढिय़ा दांतों के लिए आपका शॉर्टकट नहीं हो सकता। सर गंगाराम अस्पताल के मैडीसन हैड डा. एस.पी. बयोत्रा के अनुसार, ‘‘माऊथवॉश हमेशा जरूरी नहीं होते। आज इंडस्ट्री बहुत बड़ी है और मार्कीटिंग से बचना बहुत मुश्किल परन्तु हम में से अधिकांश लोगों के लिए नियमित तौर पर ब्रश करना ही काफी है। ’’

यदि आप सोचती हैं कि मुंह की साफ-सफाई के लिए आप अपना सर्वश्रेष्ठ काम कर रही हैं तो हो सकता है ऐसा न हो। डा. बयोत्रा आगे कहते हैं, ‘‘इनमें से कुछ आदतें आपके लिए अच्छे की बजाय अधिक नुक्सान कर सकती हैं। वास्तव में माऊथवॉश का अधिक प्रयोग दांतों पर स्टेनिंग (दाग-धब्बों) और मुंह के सूखने का कारण बन सकता है। ’’ 

हालांकि बाजार में उपचारात्मक थैरेप्यूटिकतथा सौंदर्यात्मक कॉस्मैटिक माऊथवॉश उपलब्ध हैं, फिर भी इनमें से उपचारात्मक माऊथवॉश का इस्तेमाल दांतों के सडऩे, मसूढ़ों के रोगों और मुंह के कैंसर के कुछ मामलों जैसी समस्या का उपचार करने में भी किया जाता है। इसके अतिरिक्त फ्लोराइड आधारित तथा पोटाशियम नाइट्रेट आधारित माऊथवॉश भी बाजार में उपलब्ध हैं जो दांतों की संवेदनशीलता (सैंसिटिविटी) की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए बढिय़ा हैं। माऊथवॉश का लम्बे समय तक प्रयोग इसके प्रभाव को उल्टा कर देता है। 

न्यू दिल्ली की दंत चिकित्सक डा. रीति मेहरा कहती हैं, ‘‘बाजार में कई कॉस्मैटिक माऊथवॉश बहुत प्रसिद्ध हैं परन्तु वास्तव में जैसा वे दावा करते हैं उसके अनुसार विभिन्न रोगों से आपके दांतों की रक्षा नहीं कर पाते। वे सांस की बदबू के विरुद्ध काम करने का वादा तो करते हैं परन्तु वास्तव में उनसे कोई सहायता नहीं मिलती क्योंकि वे छुपी हुई समस्या को और दबा देते हैं जो कुछ भी हो सकती है।’’

नियमित तौर पर दांतों की सफाई ही सांस की बदबू से लडऩे का एकमात्र तरीका है। अध्ययनों से पता चलता है कि सांस की बदबू से जूझ रहे 80 प्रतिशत लोगों को माऊथवॉश या च्यूइंगम का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं होती। सांस की बदबू के लिए हमारी जीभ पर मौजूद बैक्टीरिया जिम्मेदार होता है और इसकी नियमित तौर पर सफाई जरूरी है। 

डा. रीति मेहरा कहती हैं, ‘‘मिंट स्प्रे या च्यूइंगम बैक्टीरिया को हटाने में बिल्कुल सहायता नहीं करते परन्तु वे समस्या को और छुपा देते हैं।  दांतों को ब्रश करना एकमात्र प्रक्रिया है जो आपके मसूढ़ों तथा दांतों से जुड़े भोजन कणों को हटाने में बहुत सहायक सिद्ध होती है।’’

अधिक न करें
हालांकि बहुत से लोग ऐसे हैं जो मुंह की साफ-सफाई का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखते परन्तु ऐसे भी लोग  हैं जो ऐसा अधिक करते हैं। डा. बयोत्रा के अनुसार, ‘‘यह एक आम धारणा है कि दांतों की नियमित सफाई मुंह की साफ-सफाई रखने का सबसे आदर्श तरीका है। बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपने दांतों को अधिक साफ रखते हैं। अक्सर ऐसा करने की जरूरत नहीं होती। जिन लोगों के दांतों में प्लॉक या स्टेन्स हों उन्हें ही ऐसा करना चाहिए। 

सफेद दांतों के प्रति जुनून के चलते कई लोगों को दांतों की ब्लीचिंग के लिए दंत चिकित्सालय जाना पड़ता है। डा. मेहरा कहती हैं, ‘‘लोगों को यह समझ नहीं आता कि उपचार सिर्फ उन लोगों के लिए है जिन लोगों के दांत किसी आनुवांशिक समस्या, धूम्रपान या तम्बाकू चबाने के कारण काले हो चुके हैं। वे यह नहीं समझ पाते कि यह एक अस्थायी हल है और यह एक वर्ष से अधिक नहीं जाएगा। साथ ही इसमें बहुत सारी पूर्व सावधानियां बरतनी होती हैं।’’ 

लगातार ब्लीचिंग से दांतों का एनेमल उखडऩे लगता है जिससे दांत सैंसिटिव हो जाते हैं और इन पर स्टेन्स का खतरा पैदा हो जाता है। दांतों के स्वास्थ्य को यकीनी बनाने के लिए कुछ आसान से मापदंडों को अपनाना बढिय़ा रहता है। मुंह की साफ-सफाई आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य की खिड़की है इसलिए मुंह को नियमित तौर पर साफ करना, दांतों को फ्लॉस करना तथा समय-समय पर दंत चिकित्सक के पास जाना यकीनी बनाना ही आपके लिए अच्छा है। 

टंग पियर्सिंग अच्छी नहीं
हो सकता है किसी की जीभ में लगा हुआ स्टड एकदम आपका ध्यान खींच ले परन्तु यह आपको गंभीर समस्या में डाल सकता है। डा. बयोत्रा कहते हैं, ‘‘युवाओं में टंग पियर्सिंग का बहुत क्रेज है। इसके कारण विभिन्न प्रकार की इन्फैक्शन्स के केस सामने आते हैं। इनमें दांतों के फ्रैक्चर, बैक्टीरियल इनफैक्शन, सूजन तथा अन्य कई समस्याएं शामिल हैं। युवा अधिकतर बाजार में ऐसे स्थानों पर पियर्सिंग करवाने जाते हैं जहां न तो ऐसे स्टड और न ही सूइयां स्टरलाइका की हुई होती हैं। ’’ 

कुछ लोगों में इन स्टड्स के कारण एलर्जिक रिएक्शन्स भी देखे गए हैं।  यदि आप ऐसा करवाना ही चाहते हैं तो इस बात को यकीनी बनाएं कि ऐसा करने वाला सैंटर काफी जाना-माना और साफ-सफाई वाला हो।

क्या करें, क्या नहीं
1 पियर्सिंग के लिए किसी बढिय़ा प्रोफैशनल को चुनें। 

2 सैंटर में साफ-सफाई के स्तर को अच्छी तरह जांचें।

3 इस बात को सुनिश्चित बनाएं कि पियर्सिंग करने वाला उपकरण स्टरलाइज्ड हो और इस प्रक्रिया के दौरान डिस्पोजेबल दस्ताने पहने जाएं।

4 पियर्सिंग करवाने के पहले 24 या 48 घंटों के दौरान सिर्फ नर्म खाद्यों का ही इस्तेमाल करें। 

5 जब तक जख्म का उपचार चल रहा हो तब तक धूम्रपान या मदिरापान न करें।

6 अपने लिए अल्कोहल फ्री माऊथवॉश का चयन करें। 

7 रक्त बहने, सूजन, बुखार तथा अन्य  लक्षणों का ध्यान रखें और पता चलने पर शीघ्र डाक्टर से सम्पर्क करें। 

दांतों संबंधी भ्रांतियां और उनका निवारण

भ्रांति 1
सांस की बदबू सिर्फ घटिया तरीके से ब्रश करने के कारण ही होती है। 

निवारण
सांस की बदबू कई अन्य कारकों से भी हो सकती है और इनमें से एक है दांतों की साफ-सफाई का ध्यान न रखना।  इसके अतिरिक्त लहसुन या प्याज जैसे खाद्यों को भी इसका दोषी माना जा सकता है। सांस की बदबू किसी छुपी हुई समस्या का संकेत भी हो सकती है। 

भ्रांति 2
खाने के बाद शूगरफ्री गम चबाना ब्रश करने जैसा ही प्रभावी है।

निवारण
हालांकि यह आपके दांतों की सफाई और सांस को ताजा करने में सहायता कर सकता है परन्तु यह अच्छी तरह ब्रश करने और प्लॉक हटाने का स्थान नहीं ले सकता। 

भ्रांति 3
यदि आपके दांतों में सडऩ हो तो आपको पता चल जाएगा।

निवारण
हमेशा ऐसा नहीं होता क्योंकि दांतों की सडऩ के स्पष्ट लक्षण नहीं होते।

Tuesday, 13 May 2014

पेट में कीड़े














पेट में कीड़े 

कई बार किन्ही कारणों से पेट में कीड़े हो जाते हैं जिनसे काफी पीड़ा होती है | पेट में पाए जाने वाले कीड़ों के सामान्य लक्षण है --- सोते हुए दाँत पीसना ,शरीर का रंग पीला या काला होना , भोजन से अरुचि , होंठ सफ़ेद होना , शरीर में सूजन होना आदि | तो आइए जानते हैं इनसे छुटकारा पाने के कुछ सरल उपाय :-----

1-अनार के छिलकों को सुखाकर चूर्ण बना लें | यह चूर्ण दिन में तीन बार एक -एक चम्मच लें , इससे पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं | 

2 -टमाटर को काटकर ,उसमें सेंधा नमक और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करें | इस प्रयोग से पेट के कीड़े मर कर गुदामार्ग से बाहर निकल जाते हैं | 

3-लहसुन की चटनी बनाकर उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर सुबह -शाम खाने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं | 

4 -नीम के पत्तों का रस शहद में मिलकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं | 

5 -कच्चे केले की सब्ज़ी 7 -8 दिन तक लगातार सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं | 

6 -तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस दिन में दो बार पीने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं | 

7 - अजवायन का 1-2 ग्राम चूर्ण छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं | यदि छोटे बच्चों के पेट में कीड़े हो गए हों तो आप उन्हें लगभग आधा ग्राम काला नमक व आधा ग्राम अजवायन का चूर्ण मिलकर सोते समय गुनगुने पानी से दें लाभ होगा |

मुनक्का















मुनक्का

मुनक्कों से तो हम सब परिचित हैं | इसकी प्रकृति गर्म होती है | इसका प्रयोग करने से प्यास शांत हो जाती है व यह गर्मी और पित्त को ठीक करता है | यह पेट और फेफड़ों के रोगों में भी बहुत लाभकारी है | आज हम जानेंगे मुनक्कों से विभिन्न रोगों का उपचार ---------
१ - 10 -12 मुनक्के धोकर रात को पानी में भिगो दें | सुबह को इनके बीज निकालकर खूब चबा -चबाकर खाएं , तीन हफ़्तों तक यह प्रयोग करने से खून साफ़ होता है तथा नकसीर में भी लाभ होता है |
२ - 5 मुनक्के लेकर उसके बीज निकल लें , अब इन्हें तवे पर भून लें तथा उसमें कालीमिर्च का चूर्ण मिला लें | इन्हें कुछ देर चूस कर चबा लें ,खांसी में लाभ होगा |
३- बच्चे यदि बिस्तर में पेशाब करते हों तो उन्हें 2 मुनक्के बीज निकालकर व उसमें एक-एक काली मिर्च डालकर रात को सोने से पहले खिला दें , यह प्रयोग लगातार दो हफ़्तों तक करें , लाभ होगा |
४- पुराने बुखार के बाद जब भूख लगनी बंद हो जाए तब 10 -12 मुनक्के भून कर सेंधा नमक व कालीमिर्च मिलाकर खाने से भूख बढ़ती है |
५ - यदि किसी को कब्ज़ की समस्या है तो उसके लिए शाम के समय 10 मुनक्कों को साफ़ धोकर एक गिलास दूध में उबाल लें फिर रात को सोते समय इसके बीज निकल दें और मुनक्के खा लें तथा ऊपर से गर्म दूध पी लें , १इस प्रयोग को नियमित करने से लाभ स्वयं महसूस करें | इस प्रयोग से यदि किसी को दस्त होने लगें तो मुनक्के लेना बंद कर दें |
६- मुनक्के के सेवन से कमजोरी मिट जाती है और शरीर पुष्ट हो जाता है |
७- मुनक्के में लौह तत्व [ Iron ] की मात्रा अधिक होने के कारण यह [ Heamoglobin ] खून के लाल कण को बढ़ाता है अतः रंग को है |
८ - 4-5 मुनक्के पानी में भिगोकर खाने से चक्कर आने बंद हो जाते हैं |

Saturday, 10 May 2014



आँख आना [ Conjunctivitis ]
Conjunctivitis एक आम वायरल इन्फ़ेक्शन है जो कभी-कभी बैक्टीरिया से भी होता है , इसे आम भाषा में आँख आना कहते हैं | 
आँख का लाल होना , दर्द होना और आँख से पानी आना इसके मुख्य लक्षण हैं | आँख आने पर आँखों में कुछ अटका हुआ सा प्रतीत होता है | इस रोग में आँख खोलने से भी दर्द होता है और रोग के बढ़ने पर गाढ़ा -गाढ़ा पदार्थ भी निकलता है इसलिए रात में पलकें चिपक जाती हैं, जोकि पीड़ादायक है |
यह एक संक्रामक रोग है , यह रोगी के तौलिये या रुमाल के इस्तेमाल से भी फैलता है | आज हम आपको इसके कुछ घरेलू उपचारों से अवगत कराते हैं :--
1- मुलहठी को दो घंटे तक पानी में भिगोकर रखें। उसके बाद उस पानी में रुई डुबोकर पलकों पर रखें , ऐसा करने से आँखों की जलन व दर्द में आराम मिलता है | 
2 -आधे गिलास पानी में दो चम्मच त्रिफ़ला चूर्ण दो घंटे भिगोकर रखें | अब इसे छान लें ,इस पानी से दिन में 3 -4 बार छींटें मारकर आँखें धोने से लाभ होता है | 
3 -नीम के पानी से आँख धोने के बाद आँखों में गुलाबजल डालें लाभ होगा |
4 -हरी दूब (घास ) का रस निकालें अब इस रस में रुई भिगोकर पलकों पर रखें ,आँखों में ठंडक मिलेगी | 
5 -हरड़ को रात भर पानी में भिगोकर रखें | सुबह उस पानी को छानकर उससे आँख धोएं , आँखों की लाली और जलन दूर होगी | 
6 -दूध पर जमी मलाई उत्तर लें, अब इसे दोनों पलकों पर रख कर ऊपर से रुई रखकर पट्टी बांध दें | यह प्रयोग रात को सोते समय करें ,लाभ होगा | 
7- प्रातःकाल उठते ही अपना बासी थूक भी संक्रमित आँखों पर लगा सकते हैं |

कान के रोगों को दूर करेंगे ये जादुई "आयुर्वेदिक नुश्खें "



















कान के रोगों को दूर करेंगे ये जादुई "आयुर्वेदिक नुश्खें "

कान में पीब(मवाद) होने परः
पहला प्रयोगः फुलाये हुए सुहागे को पीसकर कान में डालकर ऊपर से नींबू के रस की बूँद डालने से मवाद निकलना बंद होता है।
मवाद यदि सर्दी से है तो सर्दी मिटाने के उपाय करें। साथ में सारिवादी वटी 1 से 3 गोली दिन में दो बार व त्रिफला गुग्गल 1 से 3 गोली दिन में तीन बार सेवन करना चाहिए।
दूसरा प्रयोगः शुद्ध सरसों या तिल के तेल में लहसुन की कलियों को पकाकर 1-2 बूँद सुबह-शाम कान में डालने से फायदा होता है।

बहरापनः
पहला प्रयोगः दशमूल, अखरोट अथवा कड़वी बादाम के तेल की बूँदें कान में डालने से बहरेपन में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः ताजे गोमूत्र में एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर हर रोज कान में डालने से आठ दिनों में ही बहरेपन में फायदा होता है।
तीसरा प्रयोगः आकड़े के पके हुए पीले पत्ते को साफ करके उस पर सरसों का तेल लगाकर गर्म करके उसका रस निकालकर दो-तीन बूँद हररोज सुबह-शाम कान में डालने से बहरेपन में फायदा होता है।
चौथा प्रयोगः करेले के बीज और उतना ही काला जीरा मिलाकर पानी में पीसकर उसका रस दो-तीन बूँद दिन में दो बार कान में डालने से बहरेपन में फायदा होता है।
पाँचवाँ प्रयोगः कम सुनाई देता हो तो कान में पंचगुण तेल की 3-3 बूँद दिन में तीन बार डालें। औषधि में सारिवादि वटी 2-2 गोली सुबह, दोपहर तथा रात को लें। कब्ज न रहने दें। भोजन में दही, केला, फल व मिठाई न लें।

कान का दर्दः
अदरक का रस कान में डालने से कान के दर्द, बहरेपन एवं कान के बंद होने पर लाभ होता है।
कान में आवाज होने परः
लहसुन एवं हल्दी को एकरस करके कान में डालने पर लाभ होता है। कान बंद होने पर भी यह प्रयोग हितकारक है।

कान में कीड़े जाने परः
दीपक के नीचे का जमा हुआ तेल अथवा शहद या अरण्डी का तेल या प्याज का रस कान में डालने पर कीड़े निकल जाते हैं।

कान के सामान्य रोगः
सरसों या तिल के तेल में तुलसी के पत्ते डालकर धीमी आँच पर रखें। पत्ते जल जाने पर उतारकर छान लें। इस तेल की दो-चार बूँदें कान में डालने से सभी प्रकार के कान-दर्द में लाभ होता है।

पीलिया



















पीलिया -

रक्त में लाल कणों की निश्चित आयु होती है | यदि किसी कारण इनकी आयु कम हो जाए और ये जल्दी ही अधिक मात्रा में नष्ट होने लगें तो पीलिया होने लगता है | यदि जिगर का कार्य भी पूरी तरह न हो तो पीलिया हो जाता है | हमारे रक्त में बिलीरुबिन नामक पीले रंग का पदार्थ होता है | यह पदार्थ लाल कणों के नष्ट होने पर निकलता है इसलिए शरीर में पीलापन आने लगता है | त्वचा का पीलापन ही पीलिया कहलाता है | रोग बढ़ने पर सारा शरीर हल्दी की तरह पीला दिखाई देता है | इस रोग में जिगर, पित्ताशय , तिल्ली और आमाशय आदि खराब होने की संभावना रहती है | अत्यंत तीक्ष्ण पदार्थों का सेवन, अधिक खटाई , गर्म तथा चटपटे और पित्त को बढ़ने वाले पदार्थों का अधिक सेवन,शराब अधिक पीने आदि कारणों से वात , पित्त और कफ कुपित होकर पीलिया को जन्म देते हैं| कुछ प्रयोग निम्न प्रकार हैं -----
1- ५० ग्राम मूली के पत्ते का रस निचोड़कर १० ग्राम मिश्री मिला लें, और बासी मुहँ पियें | 
2- पीलिया के रोगी को जौं ,गेंहू तथा चने की रोटी ,खिचड़ी ,हरी सब्ज़ियाँ,मूंग की दाल तथा नमक मिला हुआ मट्ठा आदि देना चाहिए | 
3- तरल पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए | 
4- रोगी को भोजन बिना हल्दी का देना चाहिए तथा मैदे से बनी वस्तुएं ,खटाई ,उड़द ,सेम ,सरसों युक्त गरिष्ठ भोजन नहीं देना चाहिए |
5- कच्चे पपीते का खूब सेवन करें | पका हुआ पपीता भी पीलिया में बहुत लाभदायक होता है |
6- उबली हुई बिना मसाले व मिर्च की सब्ज़ी का सेवन करें |
7- मकोय के ४ चम्मच रस को हल्का गुनगुना करके सात दिन तक सेवन करें ,लाभ होगा |
8- पीलिया के रोगी को पूर्णतः विश्राम करना चाहिए तथा नमक का सेवन भी कम करना चाहिए |
9- अनार के रस के सेवन से रुक हुआ मल निकल जाता है और पीलिया में फायदा होता है |
10- आंवला रस पीने से भी पीलिया दूर होता है |

Thursday, 8 May 2014

प्याज के लाभ















प्याज के लाभ ---

- प्याज काट कर रखने से यह वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया सोख लेता है.
- कान दर्द : प्याज गर्म राख में भुनकर उसका पानी निचोड़कर कान में डाले। दर्द में तुरंत लाभ होगा

- मोतिया बिन्द : प्याज का रस एक तोला, असली शहद एक तोला, भीमसेनी कपूर तीन माशे सबको खूब मिलाकर लगाने से मोतिया का असर नहीं होता।

- पेट के कीड़े-प्याज का कच्चा रस पिलाने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हें
- बारूद से जलने पर- यदि शरीर का कोई भाग बारूद से जल जाये तो उस स्थान पर प्याज का रस लगाने से लाभ होता है।
- कब्‍ज दूर करता है .
- गले की खराश मिटाए- यदि आप सर्दी, कफ या खराश से पीडित हैं तो आप ताजे प्‍याज का रस पीजिये। इमसें गुड या फिर शहद मिलाया जा सकता है। 
- ब्‍लीडिंग समस्‍या दूर करे- नाक से खून बह रहा हो तो कच्‍चा प्‍याज काट कर सूघ लीजिये। 
- पाइल्‍स की समस्‍या में सफेद प्‍याज खाना शुरु कर दें। - मधुमेह करे कंट्रोल- कच्‍चा प्याज खाया जाए तो यह शरीर में इंसुलिन उत्‍पन्‍न करेगा। 
- दिल की सुरक्षा- कच्‍चा प्‍याज हाई ब्‍लड प्रेशर को नार्मल करता है और बंद खून की धमनियों को खोलता है जिससे दिल की कोई बीमारी नहीं होती। 
- कोलेस्‍ट्रॉल कंट्रोल करे- इसमें मिथाइल सल्‍फाइड और अमीनो एसिड होता है जो कि खराब कोलेस्‍ट्रॉल को घटा कर अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल को बढाता है। 
- कैंसर सेल की ग्रोथ रोके- प्‍याज में सल्‍फर तत्‍व अधिक होते हैं। सल्‍फर शरीर को पेट, कोलोन, ब्रेस्‍ट, फेफडे और प्रोस्‍टेट कैंसर से बचाता है। 
- एनीमिया ठीक करे- प्‍याज काटते वक्‍त आंखों से आंसू टपकते हैं, ऐसा प्‍याज में मौजूद सल्‍फर की वजह से होता है। इस सल्‍फर में एक तेल मौजूद होता है जो कि एनीमिया को ठीक करने में सहायक होता है। खाना पकाते वक्‍त यही सल्‍फर जल जाता है, तो ऐसे में कच्‍चा प्‍याज खाइये।
- बाल गिरने की समस्या से निजात पाने के लिए प्याज बहुत ही असरकारी है। गिरते हुए बालों के स्थान पर प्याज का रस रगडने से बाल गिरना बंद हो जाएंगे। इसके अलावा लेप लगाने पर काले बाल उगने शुरू हो जाते हैं। 
- पथरी की शिकायत में प्याज बहुत उपयोगी है। प्याज के रस को चीनी में मिलाकर शरबत बनाकर पीने से पथरी की से निजात मिलता है। प्याज का रस सुबह खाली पेट पीने से पथरी अपने-आप कटकर बाहर निकल जाती है।
- गठिया के लिए – गठिया में प्याज बहुत ही फायदेमंद होता है। गठिया में सरसों का तेल व प्याज का रस मिलाकर मालिश करें, फायदा होगा। 
- प्याज का पेस्ट लगाने से फटी एडियों को राहत मिलती है।
- दांत में पायरिया है, तो प्याज के टुकड़ों को तवे पर गर्म कीजिए और दांतों के नीचे दबाकर मुंह बंद कर लीजिए। इस प्रकार 10-12 मिनट में लार मुंह में इकट्ठी हो जाएगी। उसे मुंह में चारों ओर घुमाइए फिर निकाल फेंकिए। दिन में 4-5 बार 8-10 दिन करें, पायरिया जड़ से खत्म हो जाएगा, दांत के कीड़े भी मर जाएंगे और मसूड़ों को भी मजबूती प्राप्त होगी । 
- प्याज के सेवन से आंखों की ज्योति बढ़ती है। 
- प्याज के रस का नाभि पर लेप करने से पतले दस्त में लाभ होता है। अपच की शिकायत होने पर प्याज के रस में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करें। 
- सफेद प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करना दमा रोग में बहुत लाभदायक है।

आलू



















आलू

भारत और विश्व में आलू विख्यात है और अधिक उपजाया जाता है| आलू को हमेशा छिलके समेत पकाना चाहिए क्योंकि आलू का सबसे अधिक पौष्टिक भाग छिलके के एकदम नीचे होता है, जो प्रोटीन और खनिज से भरपूर होता है। आलू में स्टॉर्च, पोटाश और विटामिन ए व डी होता है।
यह अन्य सब्जियों के मुकाबले सस्ता मिलता है लेकिन है गुणों से भरपूर | आलू से मोटापा नहीं बढ़ता| आलू को तलकर तीखे मसाले, घी आदि लगाकर खाने से जो चिकनाई पेट में जाती है, वह चिकनाई मोटापा बढ़ाती है| आलू को उबालकर अथवा गर्म रेत या राख में भूनकर खाना लाभदायक और निरापद है|
आलू में विटामिन बहुत होता है| आलू को छिलके सहित गरम राख में भूनकर खाना सबसे अधिक गुणकारी है|
-भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज और अंतड़ियों की सड़ांध दूर करता है| आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है|
-चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर नित्य खाएं। इससे गठिया ठीक हो जाता है|
हरा भाग खतरनाक
आलू के हरे भाग में सोलेनाइन विषैला पदार्थ होता है, जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। आलू के अंकुरित हिस्से का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।
आलुओं में प्रोटीन होता है, सूखे आलू में 8.5 प्रतिशत प्रोटीन होता है| आलू का प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत ही शक्ति देने वाला और बुढ़ापे की कमजोरी दूर करने वाला होता है|
आलू में कैल्शियम, लोहा, विटामिन-बी तथा फास्फोरस बहुतायत में होता है| आलू खाते रहने से रक्त वाहिनियां बड़ी आयु तक लचकदार बनी रहती हैं तथा कठोर नहीं होने पातीं|
इसको छिलके सहित पानी में उबालें और गल जाने पर खाएं। 
यदि दो-तीन आलू उबालकर छिलके सहित थोड़े से दही के साथ खा लिए जाएं तो ये एक संपूर्ण आहार का काम करते हैं|
आलू के छिलके ज्यादातर फेंक दिए जाते हैं, जबकि अच्छी तरफ साफ़ किये छिलके सहित आलू खाने से ज्यादा शक्ति मिलती है| 
- कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाएँ|
- शरीर पर कहीं जल गया हो, तेज धूप से त्वचा झुलस गई हो, त्वचा पर झुर्रियां हों या कोई त्वचा रोग हो तो कच्चे आलू का रस निकालकर लगाने से फायदा होता है।|
-गुर्दे की पथरी में केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है| पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ और रेत आसानी से निकल जाती हैं|
-उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएँ तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है|
-आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा|

Wednesday, 7 May 2014

Barley Grass

















Barley Grass is one of the most nutrient rich foods in nature and has been used since ancient times for medicinal and healing purposes. Barley grass JUICE powder (not to be confused with barley grass powder) is one of the best ways to consume this food as it concentrates the nutritional properties and is the easiest way for the body to digest, assimilate, and utilize its nutrients. Barley Grass Juice Powder is rich in vitamins A, C, B and minerals iron, calcium, potassium, magnesium, and phosphorus. It is also very high in absorbable protein and contains 20 amino acids, including 8 of the essential amino acids that body can’t produce itself. Barley Grass Juice Powder contains the enzymes fatty acid oxidase, cytochrome oxidase, peroxidase, catalase and transhydrogenase which help the decomposition of fats in the body proceed smoothly, helping to balance body weight. It is also especially high in chlorophyll, which helps to inhibit the growth of disease bacteria, along with balancing the PH of the body to promote excellent health and immunity. Barley Grass Juice powder has been shown to strengthen the immune system, alkalinize the body, increase energy, aid digestion, relieve constipation, and improve health of skin, hair and nails. It has also been credited as helpful for healing arthritis, migraine headaches, asthma, fatigue, gastrointestinal and skin issues, cancer, and diabetes. Barley Grass Juice Powder is also excellent for assisting circulation of the lymph system by nourishing and oxygenating the vascular system and healing and soothing mucous membranes. Barley Grass Juice Powder comes from the tender young grass grown from barley seed, harvested when it’s at the peak of its chlorophyll, protein and vitamin concentration, before the grass produces any grain. Therefore, Barley Grass Juice Powder is Gluten-Free and is fine for anyone with celiac disease or gluten intolerance. Barley Grass Juice Powder can be mixed in water, juice, or added to a smoothie. The highest quality and most effective barley grass juice powder extract can be found online at amazon.com

लौकी



















लौकी

हमारे देश मे कुछ सब्जियां लोग बड़े ही चाव से खाते और खिलाते हैं ,अर्थात खुद तो फायदे लेते ही हैं ,औरों के स्वास्थ्य का ध्यान भी रखते हैं। सब्ज़ी के रुप में खाए जाने वाली लौकी हमारे शरीर के कई रोगों को दूर करने में सहायक होती है। यह बेल पर पैदा होती है और कुछ ही समय में काफी बड़ी हो जाती है।
वास्तव में यह एक औषधि है और इसका उपयोग हजारों रोगियों पर सलाद के रूप में अथवा रस निकालकर या सब्ज़ी के रुप में एक लंबे समय से किया जाता रहा है। लौकी को कच्चा भी खाया जाता है, यह पेट साफ करने में भी बड़ा लाभदायक साबित होती है । लंबी तथा गोल दोनों प्रकार की लौकी वीर्यवर्धक, पित्त तथा कफनाशक और धातु को पुष्ट करने वाली होती है। अंग्रेजी में बाटल गार्ड के नाम से प्रचलित इसके बारे में कहा जाता है, कि मनुष्य द्वारा सबसे पहले उगाई गयी सब्ज़ी लौकी ही थी। प्रोटीन,फाइबर ,मिनरल,कार्बोहाइड्रेट से भरपूर इसके औषधीय गुणों पर एक नज़र डालते हैं-
1-इसे उबाल कर कम मसालों के साथ सब्ज़ी बनाकर खाने पर यह मूत्रल (डायूरेटीक), तनावमुक्त करनेवाली (सेडेटिव) और पित्त को बाहर निकालनेवाली औषधि है।
2- हृदय रोग में, एक कप लौकी के रस में थोडी सी काली मिर्च और पुदीना डालकर पीने से हृदय रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
3- इसका जूस निकालकर नींबू के रस में मिलाकर एक गिलास की मात्रा में सुबह सुबह पीने से यह प्राकृतिक एल्कलाएजर का काम करता है ,और कैसी भी पेशाब की जलन चंद पलों में ठीक हो जाती है।
4- हैजा होने पर 25 एमएल लौकी के रस में आधा नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। इससे मूत्र बहुत आता है।
5 -अगर डायरिया के मरीज को केवल लौकी का जूस हल्के नमक और चीनी के साथ मिलकर पिला दिया जाय तो यह प्राकृतिक जीवन रक्षक घोल बन जाता है।
6-लौकी में श्रेष्ठ किस्म का पोटैशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिसकी वजह से यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है।
7-लौकी के बीज का तेल कोलेस्ट्रोल को कम करता है तथा हृदय को शक्ति देता है। यह रक्त की नाड़ियों को भी स्वस्थ बनाता है। लौकी का उपयोग आंतों की कमजोरी, कब्ज, पीलिया, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, शरीर में जलन या मानसिक उत्तेजना आदि में बहुत उपयोगी है।
8-लौकी का रस मिर्गी और अन्य तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित बीमारियों में भी फायदेमंद है।
9-अगर आप एसिडीटी,पेट क़ी बीमारियों एवं अल्सर से हों परेशान, तो न घबराएं बस लौकी का रस है इसका समाधान।
10- केवल पर्याप्त मात्रा में लौकी क़ी सब्ज़ी का सेवन पुराने से पुराने कब्ज को भी दूर कर देता है।
तो लौकी इस नाम क़ी सब्ज़ी को इसके नाम से हल्का न समझें, इसके गुण बड़े भारी हैं ,लेकिन शरीर पर प्रभाव बड़ा ही हल्का और सुखदाई है।
सावधानी - जूस निकालने से पहले लौकी का एक छोटा टुकड़ा काटकर उसे चख लेना चाहिए। अगर वह कड़वा हो तो लौकी का किसी भी रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

Sunday, 4 May 2014

बेल पत्र के औषधीय प्रयोग


















बेल पत्र के औषधीय प्रयोग ----

- बेल पत्र के सेवन से शरीर में आहार के पोषक तत्व अधिकाधिक रूप से अवशोषित होने लगते है |
- मन एकाग्र रहता है और ध्यान केन्द्रित करने में सहायता मिलती है |
- इसके सेवन से शारीरिक वृद्धि होती है |
- इसके पत्तों का काढा पीने से ह्रदय मज़बूत होता है | 
- बारिश के दिनों में अक्सर आँख आ जाती है यानी कंजक्टिवाईटीस हो जाता है . बेल पत्रों का रस आँखों में डालने से ; लेप करने से लाभ होता है |
- इसके पत्तों के १० ग्राम रस में १ ग्रा. काली मिर्च और १ ग्रा. सेंधा नमक मिला कर सुबह दोपहर और शाम में लेने से अजीर्ण में लाभ होता है | 
- बेल पत्र , धनिया और सौंफ सामान मात्रा में ले कर कूटकर चूर्ण बना ले , शाम को १० -२० ग्रा. चूर्ण को १०० ग्रा. पानी में भिगो कर रखे , सुबह छानकर पिए | सुबह भिगोकर शाम को ले, इससे प्रमेह और प्रदर में लाभ होता है | शरीर की अत्याधिक गर्मी दूर होती है | 
- बरसात के मौसम में होने वाले सर्दी , खांसी और बुखार के लिए बेल पत्र के रस में शहद मिलाकर ले |
- बेल के पत्तें पीसकर गुड मिलाकर गोलियां बनाकर रखे. इसे लेने से विषम ज्वर में लाभ होता है |
- दमा या अस्थमा के लिए बेल पत्तों का काढा लाभकारी है|
- सूखे हुए बेल पत्र धुप के साथ जलाने से वातावरण शुद्ध होता है|
- पेट के कीड़ें नष्ट करने के लिए बेल पत्र का रस लें|
- एक चम्मच रस पिलाने से बच्चों के दस्त तुरंत रुक जाते है |
- संधिवात में बेल पत्र गर्म कर बाँधने से लाभ मिलता है |
- महिलाओं में अधिक मासिक स्त्राव और श्वेत प्रदर के लिए और पुरुषों में धातुस्त्राव हो रोकने के लिए बेल पत्र और जीरा पीसकर दूध के साथ पीना चाहिए|

सदाबहार

















1 -सदाबहार की तीन - चार कोमल पत्तियाँ चबाकर रस चूसने से मधुमेह रोग से राहत मिलती है | 
2 - सदाबहार के पौधे के चार पत्तों को साफ़ धोकर सुबह खाली पेट चबाएं और ऊपर से दो घूंट पानी पी लें | इससे मधुमेह ,मिटता है | यह प्रयोग कम से कम तीन महीने तक करना चाहिए | 
3 - आधे कप गरम पानी में सदाबहार के तीन ताज़े गुलाबी फूल 05 मिनिट तक भिगोकर रखें | उसके बाद फूल निकाल दें और यह पानी सुबह ख़ाली पेट पियें | यह प्रयोग 08 से 10 दिन तक करें | अपनी शुगर की जाँच कराएँ यदि कम आती है तो एक सप्ताह बाद यह प्रयोग पुनः दोहराएँ |

Saturday, 3 May 2014

कुछ जानने योग्य बातें











कुछ जानने योग्य बातें

सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर लेना चाहिए। प्रातः खाली पेट मटके का बासी पानी पीना स्वास्थ्यप्रद है।
 तुलसी के पत्ते सूर्योदय के पश्चात ही तोड़ें। दूध में तुलसी के पत्ते नहीं डालने चाहिए तथा दूध के साथ खाने भी नहीं चाहिए। तुलसी के पत्ते खाकर थोड़ा पानी पीना पियें।
 जलनेति से पंद्रह सौ प्रकार के लाभ होते हैं। अपने मस्तिष्क में एक प्रकार का विजातिय द्रव्य उत्पन्न होता है। यदि वह द्रव्य वहीं अटक जाता है तो बचपन में ही बाल सफेद होने लगते हैं। इससे नजले की बीमारी भी होती है। यदि वह द्रव्य नाक की तरफ आता है तो सुगन्ध-दुर्गन्ध का पता नहीं चल पाता और जल्दी-जल्दी जुकाम हो जाता है। यदि वह द्रव्य कान की तरफ आता है तो कान बहरे होने लगते हैं और छोटे-मोटे बत्तीस रोग हो सकते हैं। यदि वह द्रव्य दाँत की तरफ आये तो दाँत छोटी उम्र में ही गिरने लगते हैं। यदि आँख की तरफ वह द्रव्य उतरे तो चश्मे लगने लगते हैं। जलनेति यानि नाक से पानी खींचकर मुँह से निकाल देने से वह द्रव्य निकल जाता है। गले के ऊपर के प्रायः सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
आईसक्रीम खाने के बाद चाय पीना दाँतों के लिए अत्याधिक हानिकारक होता है।
भोजन को पीना चाहिए तथा पानी को खाना चाहिए। इसका मतलब यह है कि भोजन को इतना चबाओ कि वह पानी की तरह पतला हो जाये और पानी अथवा अन्य पेय पदार्थों को धीरे-धीरे पियो।
 किसी भी प्रकार का पेय पदार्थ पीना हो तो दायां नथुना बन्द करके पियें, इससे वह अमृत जैसा हो जाता है। यदि दायाँ स्वर(नथुना) चालू हो और पानी आदि पियें तो जीवनशक्ति(ओज) पतली होने लगती है। ब्रह्मचर्य की रक्षा के लिए, शरीर को तन्दरुस्त रखने के लिए यह प्रयोग करना चाहिए।
तुम चाहे कितनी भी मेहनत करो किन्तु जितना तुम्हारी नसों में ओज है, ब्रह्मचर्य की शक्ति है उतने ही तुम सफल होते हो। जो चाय-कॉफी आदि पीते हैं उनका ओज पतला होकर पेशाब द्वारा नष्ट होता जाता है। अतः ब्रह्मचर्य की रक्षा के लिए चाय-कॉफी जैसे व्यसनों से दूर रहना चाहिए।
 पढ़ने के बाद थोड़ी देर शांत हो जाना चाहिए। जो पढ़ा है उसका मनन करो। शिक्षक स्कूल में जब पढ़ाते हों तब ध्यान से सुनो। उस वक्त मस्ती-मजाक नहीं करना चाहिए। विनोद-मस्ती कम से कम करो और समझने की कोशिश अधिक करो।
 जो सूर्योदय के पूर्व नहीं उठता, उसके स्वभाव में तमस छा जाता है। जो सूर्योदय के पूर्व उठता है उसकी बुद्धिशक्ति बढ़ती है।
 नींद में से उठकर तुरंत भगवान का ध्यान करो, आत्मस्नान करो। ध्यान में रुचि नहीं होती तो समझना चाहिए कि मन में दोष है। उन्हें निकालने के लिए क्या करना चाहिए?
 मन को निर्दोष बनाने के लिए सुबह-शाम, माता-पिता को प्रणाम करना चाहिए, गुरुजनों को प्रणाम करना चाहिए एवं भगवान के नाम का जप करना चाहिए। भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि 'हे भगवान! हे मेरे प्रभु! मेरी ध्यान में रुचि होने लगे, ऐसी कृपा कर दो।' किसी समय गंदे विचार निकल आयें तो समझना चाहिए कि अंदर छुपे हुए विचार निकल रहे हैं। अतः खुश होना चाहिए। 'विचार आया और गया। मेरे राम तो हृदय में ही हैं।' ऐसी भावना करनी चाहिए।