Sunday, 20 April 2014

सिरके का आयुर्वेद में प्रयोग



















सिरके का आयुर्वेद में प्रयोग ---

- सिरका कई प्रकार का होता है।अंगूर, सेब, संतरे, अनन्नास, जामुन तथा अन्य फलों के रस, जिनमें शर्करा पर्याप्त है, सिरका बनाने के लिए बहुत उपयुक्त हैं क्योंकि उनमें जीवाणुओं के लिए पोषण पदार्थ पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
- आयुर्वेद में सिरके का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। आप अपने बालों को सुंदर बनाने के लिए भी सिरके का प्रयोग कर सकते हैं। सिरका बालों के लिए अच्छा है । डेंड्रफ, जूं जैसी समस्याओं से बचने के लिए सिरके का प्रयोग लाभकारी है। बालों की अच्छी तरह से सफाई और बालों को स्व्स्थ रखने में सिरके का इस्तेमाल किया जाता है। बालों की कंडीशनिंग के लिए भी सिरके का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- बालों में होने वाले फुंसी, फंगस और इसी तरह की अन्य समस्याओं को दूर करने और बैक्टीरिया इत्यादि को नष्ट करने में भी सिरके का प्रयोग किया जाता है।
- बालों की चमक बरकरार रखने के लिए और बालों को मुलायम और सुंदर बनाने के लिए सिरके से किफायती कुछ भी नहीं।
- सिरके से बालों को सीधा भी किया जा सकता है। यदि रूखे और घुंघराले बालों को सीधा करना है तो सिरके का प्रयोग करना चाहिए। ऐसे में आपको चाहिए कि आप सेब के सिरके से बालों को धोएं और इससे जल्द ही आप बाल सीधे कर पाएंगे।
- भोजन के साथ सिरका खाने से रक्त पतला होता है।
- सिरका, चर्बी कम करने और शरीर से विषैले पदार्थ निकालने की प्रक्रिया में सहायक होता है तथा इससे रक्त से वसा और हानिकारक कोलिस्ट्रोल कम होता है।
- सिरका बुद्धि में तीव्रता का कारण बनता है और ह्रदय के लिए लाभदायक होता है।
- सिरके में मौजूद सेट्रिक एसिड आहार में मौजूद कैल्शियम को शरीर का अंश बनाता है और शरीर की भीतरी क्रियाओं के लिए अत्याधिक लाभदायक होता है।
- सिरका, पाचनक्रिया के लिए हानिकारिक बैक्र्टिरिया का नाश करता है। जिन लोगों को पाचनतंत्र की समस्या और क़ब्ज़ तथा दस्त अथवा पेट दर्द में ग्रस्त हैं वह सिरका की सहायता से इन समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
- सिरके का एक अन्य लाभ यह है कि वह अमाशय की एसिड के स्राव को संतुलित करता है ।
- सिरका दांतों की गंदगी दूर करने और मसूड़े की सूजन में लाभदायक है।
- डाक्टर, कमज़ोर स्नायुतंत्र, गठिया और अल्सर के रोगियों के लिए सिरके को हानिकारक बताते हैं।
- जामुन का सिरका पेट सम्बंधी रोगों के लिए लाभकारक है। जामुन के सिरके से भूख बढ़ती है, पेट की वायु निकलती है , कब्ज दूर होती है व मूत्र साफ होता है।काले पके हुए जामुन साफ धो कर पोछ कर मिटटी के बर्तन में नामक मिलाकर साफ कपडे से बांध कर धुप में रख दे । एक सप्ताह धुप में रखने के पश्चात् इसको साफ कपडे से छान कर रस को कांच के बोतल में भर कर रख दे यह सिरका तैयार है । मुली प्याज गाजर शलजम मिर्च आदि के टुकडे भी उसी सिरके में डालकर इसका उपयोग सलाद पर आसानी से किया जा सकता है ।
- किसी ने धतूरा खा लिया हो, तो उसे अंगूर का सिरका दूध में मिलाकर पिलाने से काफी लाभ होता है।
- एक प्याले में सेब का सिरका, एक कप शहद और छिले हुए लहसुन की आठ गाँठे मिलाओ। इन सबको तेज चलने वाली मिक्सी में डाल कर एक मिनट के लिए चला दो और घोल तैयार करो। इस मिश्रण को एक काँच की बोतल में डाल कर पाँच दिन के लिए फ्रिज में बन्द करके रखो। आम खुराक -दो चम्मच पानी या अंगूर या फलों के रस में डाल कर नाश्ते से पहले लो। इस इलाज से बंद नाड़ियों, जोड़ों का दर्द, उच्च रक्तचाप ( हाई ब्लड प्रैशर), कैंसर की कुछ किस्मों, कोलेस्टरोल की अधिक मात्रा, सर्दी ज़ुकाम, बदहज़मी, सिर दर्द, दिल के रोग, रक्त प्रवाह की समस्या, बवासीर, बांझपन, नपुसंकता, दांत दर्द, मोटापा, अल्सर और बहुत सारी बीमारियाँ ठीक करने में सहायता मिलती है।
- एसीडिटी से निजात पाने के लिए एक ग्लास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका तथा दो चम्मच शहद मिलाकर खाने से पहले सेवन करें।
- हृदय रोग, कैलोस्ट्रोल बढ़ने और खून के थक्के होने की शिकायत है, उनके लिए अनुभूत औषधि जो बरसों पहले एक वृद्ध साधू द्वारा बताई गयी है.अदरक का रस एक कप, लहसून का रस एक कप, नीम्बू का रस एक कप, सेब का सिरका एक कप लेकर, उसको मध्यम आंच पर गर्म करे. जब तीन कप रह जाएँ, तो उसको सामान्य तापमान तक ठंडा कर लें . फिर उसमें तीन कप शहद मिला कर, किसी भी बोतल आदि में रख लें. रोज़ प्रात: खाली पेट, दो चम्मच औषधि को सामान मात्रा में जल मिलाकर, भगवान् शिव का ध्यान करते हुए सेवन करें.नाश्ता लगभग आधे घंटे बाद करें.

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.