Wednesday, 30 April 2014

How acidic foods affect the body

केले के हैं फायदे अनेक



















केले के हैं फायदे अनेक

हालांकि ज्यादातर लोग केले को देखकर नाक चिढ़ाते हैं, लेकिन इस फल के फायदे बहुत हैं। एनर्जी का अच्छा सोर्स होने के साथ इसमें विटामिंस व मिनरल्स की भी अच्छी मात्रा होती है। ऐसे बहुत कम लोग ही होंगे, जो केले को अपने फेवरिट फ्रूट की लिस्ट में रखते हैं। लेकिन इस फल के फायदे बहुत होते हैं। खाने में आसान होने के साथ इसमें काफी न्यूट्रिशंस भी होते हैं।
प्रेग्नेंसी में है जरूरी
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को सबसे ज्यादा विटामिन व मिनरल्स की आवश्यकता होती है। ऐसे में आप अपनी डाइट में केला अवश्य शामिल करें। चूंकि यह बॉडी को धीरे-धीरे एनजीर् देता है और आसानी से डाइजेस्ट भी हो जाता है। आप केले को स्नैक्स के तौर पर ले सकते हैं। अगर आपको ऊबकाई आती है, तो आप रोजाना केला खाएं।
बुढ़ापे का फूड
आपको बता दें कि केला बुजुर्ग लोगों के लिए भी सबसे बेस्ट फल है। इसे आसानी से छिलकर खाया जा सकता है। यही नहीं, इसमें विटामिन सी, बी6 और फाइबर होता है, जो बुढ़ापे में जरूरी है। चूंकि बुढ़ापे में कब्ज की शिकायत ज्यादा होती है। ऐसे में आप रोजाना केला खाएं।
1- केले और दूध की खीर खाने या प्रातः सायं दो केले घी के साथ खाने या दो केले भोजन के साथ घंटे बाद खाकर ऊपर से एक कप दूध में दो चम्मच शहद धोलकर लगातार कुछ दिन पीने से प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
2- एक पका केला एक चम्मच घी के साथ 4-5 बूंद शहद मिलाकर सुबह-शाम आठ दिन तक रोजाना खाने से प्रदर और धातु रोग में लाभ होता है।
3- दो केले आधा पाव दही के साथ कुछ दिन खाने से दस्त ओर पेचिश में लाभ होता है।
4- मुंह में छाले हो जाने पर गाय के दूध के दही के साथ केला खाने से लाभ होता है।
5- यदि बाल गिरते हों तो केले के गूदे में नींबू का रस मिलाकर सिर में लगाने से बाल झड़ना रूक जाता है।
6- पके हुए केले को आंवले रस तथा शक्कर मिलाकर खाने बार-बार पेशाब आने की शिकायत होती है।
7- एक पका केला मीठे दूध के साथ आठ दिन तक तक लगातार खाने से नकसीर में लाभ होता है।

DATES TONIC
















DATES TONIC :

Take 2-3 dry dates and soak them in water every morning. In the evening boil them in 250ml milk until half the quantity of milk remains. Cool and add one teaspoon honey as a sweetener. Eat the dates and drink the milk. This can be taken one hour before going to bed. Do not drink water for 2 hours after taking this tonic. This tonic helps to build all the 'dhatus', gives strength to lungs, increases blood circulation, cleans the bowels

छाछ पीना अमृत सेवन के सामान है




















रोज़ सुबह एक ग्लास ताज़ा छाछ पीना अमृत सेवन के सामान है. 

इससे चेहरा चमकने लगता है.
- खाने के साथ छाछ पीने से जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है।छाछ कैल्शियम से भरी होती है।
- इसका रोजाना सेवन करने वाले को कभी भी पाचन सबंधी समस्याएं प्रभावित नहीं करती हैं। खाना खाने के बाद पेट भारी हो जाना अरूचि आदि दूर करने के लिए गर्मियों में छाछ जरुर पीना चाहिए। 
- एसिडिटी- गर्मी के कारण अगर दस्त हो रही हो तो बरगद की जटा को पीसकर और छानकर छाछ में मिलाकर पीएं। छाछ में मिश्री, काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर रोजाना पीने से एसिडिटी जड़ से साफ हो जाती है।
- रोग प्रतिरोधकता बढाए- इसमें हेल्‍दी बैक्‍टीरिया और कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं साथ ही लैक्‍टोस शरीर में आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है, जिससे आप तुरंत ऊर्जावान हो जाते हैं।
- कब्ज- अगर कब्ज की शिकायत बनी रहती हो तो अजवाइन मिलाकर छाछा पीएं। पेट की सफाई के लिए गर्मियों में पुदीना मिलाकर लस्सी बनाकर पीएं।
- खाना न पचने की शिकायत- जिन लोगों को खाना ठीक से न पचने की शिकायत होती है। उन्हें रोजाना छाछ में भुने जीरे का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर धीरे-धीरे पीना चाहिए। इससे पाचक अग्रि तेज हो जाएगी।
- विटामिन- बटर मिल्‍क में विटामिन सी, ए, ई, के और बी पाये जाते हैं जो कि शरीर के पोषण की जरुरत को पूरा करता है।
- मिनरल्‍स- यह स्वस्थ पोषक तत्वों जैसे लोहा, जस्ता, फास्फोरस और पोटेशियम से भरा होता है, जो कि शरीर के लिये बहुत ही जरुरी मिनरल माना जाता है।
- यदि आप डाइट पर हैं तो रोज़ एक गिलास मट्ठा पीना ना भूलें। यह लो कैलोरी और फैट में कम होता है। 
- हिचकी लगने पर मट्ठे में एक चम्मच सौंठ डालकर सेवन करें।
- उल्टी होने पर मट्ठे के साथ जायफल घिसकर चाटें।
- गर्मी में रोजाना दो समय पतला मट्ठा लेकर उसमें भूना जीरा मिलाकर पीने से गर्मी से राहत मिलती है।
- मट्ठे में आटा मिलाकर लेप करने से झुर्रियाँ कम पड़ती हैं। 
- पैर की एड़ियों के फटने पर मट्ठे का ताजा मक्खन लगाने से आराम मिलता है।
- सिर के बाल झड़ने पर बासी छाछ से सप्ताह में दो दिन बालों को धोना चाहिए।
- मोटापा अधिक होने पर छाछ को छौंककर सेंधा नमक डालकर पीना चाहिए।
- सुबह-शाम मट्ठा या दही की पतली लस्सी पीने से स्मरण शक्ति तेज होती है।
- उच्च रक्तचाप होने पर गिलोय का चूर्ण मट्ठे के साथ लेना चाहिए।
- अत्यधिक मानसिक तनाव होने पर छाछ का सेवन लाभकारी होता है।
- जले हुए स्थान पर तुरंत छाछ या मट्ठा मलना चाहिए।
- विषैले जीव-जंतु के काटने पर मट्ठे में तम्बाकू मिलाकर लगाना चाहिए।
- कहा जाता है किसी ने जहर खा लिया हो तो उसे बार-बार फीका मट्ठा पिलाना चाहिए। परंतु डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
- अमलतास के पत्ते छाछ में पीस लें और शरीर पर मलें। कुछ देर बाद स्नान करें। शरीर की खुजली नष्ट हो जाती है।

Tuesday, 29 April 2014

गर्मियों में जमकर खाएं खरबूज और जानें इसके फायदे
















गर्मियों में जमकर खाएं खरबूज और जानें इसके फायदे
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ठंडक के साथ-साथ पोषण भी देता है खरबूज
गर्मियों का फल खरबूज न सिर्फ स्वाद और ठंडक के लिहाज से बेहतरीन फल है बल्कि पोषक तत्वों से भी भरपूर है।
खरबूज में पानी के अलावा, विटामिन्स और मिनिरल्स 95 प्रतिशत मात्रा में होते हैं जो सेहत से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में मददगार है।
जानिए गर्मियों में खरबूज खाने के पांच बड़े फायदे।
पाचन में फायदेमंद
खरबूज में पानी अच्छी मात्रा में है जो शरीर में एसिडिटी नहीं होने देता है और पाचन दुरुस्त रखता है। खरबूज में मौजूद मिनिरल्स मेटाबॉलिज्म ठीक रखते हैं जिससे पाचन ठीक रहता है।
कैंसर से बचाव
खरबूज में कै‌रोटिनॉयड अच्छी मात्रा में होता है जो कैंसर से बचाव में मददगार होता है। इसके बीज खासतौर पर इस मामले में काफी फायदेमंद हैं।
दिल के रोगों से बचाव
खरबूज में एंडिनोसीन नामक तत्व होता है जो शरीर में खून क्लॉट नहीं होने देता और रक्त संचार ठीक करता है। इसके नियमित सेवन से स्ट्रोक या दिल के दौरे का रिस्क कम हो जाता है।
दमकती त्वचा के लिए
खरबूज में कोलाजेन नामक त्तव अच्छी मात्रा में होता है जो त्वचा को खूबसूरत और दमकदार बनाता है। खासतौर पर बेजान और रूखी त्वचा को इससे आराम मिलता है।
वहीं इसमें मौजूद पानी त्वचा की नमी को बरकरार रखने में मददगार है।
किडनी के लिए फायदेमंद
खरबूज का नियमित सेवन किडनी के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है। खासतौर पर नींबू के रस के साथ इसका सेवन यूरिक एसिड से संबंधित समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद है।

GARLIC HOME REMEDIES















GARLIC HOME REMEDIES 

1. For ear pain: use two crushed garlic, boil, strain and apply a few drops warm.
2. To sleep: to sleep; eat salad with garlic at night.
3. Against warts and spots on the skin: Apply the garlic directly onto the skin to clear spots, especially those caused by acne. Its topical use also removes warts.
4. For rheumatism: Rub the peeled garlic over the sore and swollen joints. This choice leads to a rather anti-inflammatory action and reduces pain.
5. To lower blood pressure: People with high blood pressure can take a garlic clove fasting party. To avoid irritating the stomach lining, it is recommended chopping the garlic clove and swallows every bit as if they were pills. You can also prepare a syrup with two heads of peeled garlic. Must be mixed with sugar, and a glass of water. To lower the pressure should take 2 tablespoons a day.
6. To restore virility: Combine the garlic with wheat germ oil and cayenne. You can also rub garlic in the area of the lumbar spine.
7. Against pertussis: Spread garlic in the chest and back to soften the cough and relieve airway. To prevent flu and allergies, garlic mixed with honey and lemon.
8. For muscle aches: Eating garlic tones the muscles. Prepare a paste of a head of garlic and crushed rub it on the affected area. You can also compress and prepare a place for the entire night on the sore area.
9. Smoking cessation: Take a couple of raw garlic on an empty stomach, two with lemon juice before lunch and before dinner the other two.
10. Hair loss: You can prevent it by rubbing the scalp with a mix of 1 teaspoon of garlic juice, 8 oz. of rosemary tea, 1 tablespoon of honey and lemon juice.
Nursing women should avoid using garlic as it alters the taste of milk and produces pain in the stomach and intestines infant child. People who suffer from headaches should also avoid using garlic.

Discover the incredible health benefits of Nigella seeds



















Discover the incredible health benefits of Nigella seeds:

-They are very good for teeth and gum health
-They help clear arterial blockage and prevent heart ailments
-They boost your memory and keep your eyes healthy
-They help in treating leucohhroea, chronic cough, asthma and diabetes
-They relieve headache, earache and keeps your skin healthy

Top 15 Reasons To Use Apple Cider Vinegar Every Day-


दांत दर्द



















दांत दर्द

दांत दर्द कई कारणों से होता है मसलन किसी तरह के संक्रमण से या डाईबिटिज की वजह से या ठीक ढंग से दांतों की साफ सफाई नहीं करते रहने से। यूँ तो दांत दर्द के लिए कुछ ऐलोपैथिक दवाइयां होती हैं लेकिन उनके बहुत हीं कुप्रभाव होते हैं जिसकी वजह से लोग चाहते हैं की कुछ घरेलू उपचार से इसे ठीक कर लिया जाये। अगर आप भी दांत दर्द से परेशान है एवं इसके उपचार के लिए प्रभावकारी घरेलू उपाय चाहते हैं तो नीचे दिए गए उपायों पर अमल करें।

हींग - जब भी दांत दर्द के घरेलू उपचार की बात की जाती है, हींग का नाम सबसे पहले आता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह दांत दर्द से तुरंत मुक्ति देता है। इसका इस्तेमाल करना भी बेहद आसन है। आपको चुटकी भर हींग को मौसम्मी के रस में मिलाकर उसे रुई में लेकर अपने दर्द करने वाले दांत के पास रखना है। चूँकि हींग लगभग हर घर में पाया जाता है इसलिए दांत दर्द के लिए यह उपाय बहुत सुलभ, सरल एवं कारगर माना जाता है। 

लौंग -- लौंग में औषधीय गुण होते हैं जो बैकटीरिया एवं अन्य कीटाणु (जर्म्स, जीवाणु) का नाश करते हैं। चूँकि दांत दर्द का मुख्य कारण बैकटीरिया एवं अन्य कीटाणु का पनपना होता है इसलिए लौंग के उपयोग से बैकटीरिया एवं अन्य कीटाणु का नाश होता है जिससे दांत दर्द गायब होने लगता है। घरेलू उपचार में लौंग को उस दांत के पास रखा जाता है जिसमें दर्द होता है। लेकिन दर्द कम होने की प्रक्रिया थोड़ी धीमी होती है इसलिए इसमें धैर्य की जरुरत होती है। 

प्याज -- प्याज (कांदा ) दांत दर्द के लिए एक उत्तम घरेलू उपचार है। जो व्यक्ति रोजाना कच्चा प्याज खाते हैं उन्हें दांत दर्द की शिकायत होने की संभावना कम रहती है क्योंकि प्याज में कुछ ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो मुंह के जर्म्स, जीवाणु एवं बैकटीरिया को नष्ट कर देते हैं। अगर आपके दांत में दर्द है तो प्याज के टुकड़े को दांत के पास रखें अथवा प्याज चबाएं। ऐसा करने के कुछ हीं देर बाद आपको आराम महसूस होने लगेगा। 

लहसुन -- लहसुन भी दांत दर्द में बहुत आराम पहुंचाता है। असल में लहसुन में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं जो अनेकों प्रकार के संक्रमण से लड़ने की क्षमता रखते हैं। अगर आपका दांत दर्द किसी प्रकार के संक्रमण की वजह से होगा तो लहसुन उस संक्रमण को दूर कर देगा जिससे आपका दांत दर्द भी ठीक हो जायेगा। इसके लिए आप लहसुन की दो तीन कली को कच्चा चबा जायें। आप चाहें तो लहसुन को काट कर या पीस कर अपने दर्द करते हुए दांत के पास रख सकते हैं। लहसुन में एलीसिन होता है जो दांत के पास के बैकटीरिया, जर्म्स, जीवाणु इत्यादि को नष्ट कर देता है। लेकिन लहसुन को काटने या पीसने के बाद तुरंत इस्तेमाल कर लें। ज्यादा देर खुले में रहने देने से एलीसिन उड़ जाता है जिससे बगैर आपको ज्यादा फायदा नहीं होता। 

गरारे (गार्गल) करें
गरारे भी दांत दर्द दूर करने का एक अति उत्तम घरेलू उपाय है। हल्के गर्म पानी में एक चम्मच नमक डालकर गरारे करें। ऐसे नमकीन पानी से दिन में दो चार बार कुल्ला किया करें। नमक के संपर्क में आने के बाद मुंह के जर्म्स, जीवाणु एवं बैकटीरिया नष्ट हो जाते हैं जिसकी वजह से आपको दर्द से तुरंत राहत मिलती है।
सलाह 
जब दांत दर्द हो तब मीठे पदार्थ खाने या पीने से परहेज करें क्योंकि ये बैकटीरिया, जर्म्स, जीवाणु इत्यादि को और बढ़ावा देते है जिनसे आपकी तकलीफ और बढती है

Monday, 28 April 2014

सुबह उठ कर....
















- सुबह उठ कर २ से ४ ग्लास पानी पीना चाहिए . इसके साथ अपनी प्रकृति के अनुसार कोई ना कोई आयुर्वेदिक औषधि लेनी चाहिए . वात या पित्त प्रवृत्ति
के लोगों को आंवला , एलो वेरा , या बेल पत्र या नीम पत्र या वात
प्रवृत्ति वालों को मेथी दाना (भिगोया हुआ ); थायरोइड के मरीजों को
भिगोया हुआ धनिया , कफ प्रवृत्ति के लोगों को तुलसी , कम रोग प्रतिरोधक
क्षमता वालों को गिलोय घनवटी . इस प्रकार से रूटीन बना ले .
- खाली पेट चाय पीने से एसिडिटी की समस्या बढ़ सकती है .
- चाय का पानी उबालते समय उसमे ऋतू अनुसार कोई ना कोई जड़ी बूटी अवश्य
डाले .अदरक चाय के बुरे गुणों को कम करता है .
- सुबह घुमने जाते समय अपने आस पास के वृक्षों और पौधों पर नज़र डाले .
इनका आयुर्वेदिक महत्त्व समझे और इसके बारे में जानकारी फैलाइए . ताकि
लोग इन्हें संरक्षण दे और काटे नहीं .इसमें कोई ना कोई जड़ी बूटी अपनी चाय
के लिए चुन ले .
- हार्ट के मरीजों को अर्जुन की छाल चाय में डालनी चाहिए
- शकर जितनी कम डालेंगे हमारी आदत सुधरती जायेगी और मोटापा कम होता जाएगा .
- सफ़ेद शकर की जगह मधुरम का प्रयोग करे .
- चाय में तुलसी , इलायची , लेमन ग्रास , अश्वगंधा या दालचीनी डाली जा सकती है .
- चाय के पानी में थोड़ी देर दिव्य पेय डाल कर उबाले .
- राजीव भाई ने बताया था के वाग्भट के अष्टांग हृदयम में बताये गए
सूत्रों के अनुसार दूध सुबह नहीं लिया जाना चाहिए पर ये काढ़े के साथ
लिया जा सकता है . अगर हम चाय के पानी में दिव्य पेय या कोई भी जड़ी बूटी
डाल कर ५-१० मी . उबाल ले तो ये एक काढा ही तैयार हो जाएगा . अब इसमें
हम दूध डाल के ले सकते है .
- जो बच्चें मौसम बदलने पर बार बार बीमार पड़ते है उन्हें रोज़ थोड़ी चाय
(जड़ी बूटी वाली ) दी जानी चाहिए .पेट गड़बड़ होने पर भी बच्चों को चाय
देनी चाहिए .
- चाय के साथ कोई नमकीन पदार्थ ना ले क्योंकि इसमें दूध होता है जिसके
साथ अगर नमक लिया जाए तो ये ज़हर पैदा करता है जिससे त्वचा रोग भी हो सकते
है .
- चाय कम स्ट्रोंग पीनी चाहिए .
- दिन में २ कप से अधिक चाय कभी ना ले .
- चाय हमेशा स्वदेशी ब्रांड की ही ले ताकि हम सुबह का पहला काम तो देश
के नाम कर सके .
- जो शाकाहारी है वे चाय बोन चायना के कप में ना ले क्योंकि ये कप
हड्डियों के चूरे से ही बनाए जाते है .

घर बैठे बनाएं उत्तम कोल्ड ड्रिंक, लेमन ग्रास से














घर बैठे बनाएं उत्तम कोल्ड ड्रिंक, लेमन ग्रास से

लेमन ग्रास यानि गौती चाय, इसे कौन नहीं जानता..नींबू की सुगंध लिए इस घास में जबरदस्त औषधीय गुण होते हैं और ये भी बता दूं कि इसका इस्तेमाल कर आप एक गजब का कोल्ड ड्रिंक तैयार कर सकते हैं। लेमन ग्रास की करीब ५० ग्राम मात्रा लीजिए, इसे कैंची या चाकू से बारीक बारीक टुकडों में तैयार कर लें। करीब आधा लीटर पानी लीजिए और पानी को गर्म करीये। जब पानी खौलने की तैयारी में हो, इन लेमन ग्रास की छोटी-छोटी कटी हुयी पत्तियों को पानी में डाल दीजिए और चूल्हें की आंच को कम कर दीजिए, ऊपर एक एक प्लेट से बर्तन को ढांक दीजिए। दरसल लेमन ग्रास में उडनशील तेल पाया जाता है, बर्तन से ढांक देने से यह औषधीय महत्व का तेल पानी में ही रह जाता है। इस मध्यम आंच पर उबलते लेमन ग्रास के पानी में स्वादानुसार शक्कर भी डाल दें ताकि मिठास आ जाए..आप चाहें तो इसमें थोडा सा अदरक कुचलकर डाल सकते हैं । कु़छ देर पकने पर पत्तियों का रंग हल्का पड जाएगा, तब इसे चूल्हे से उतार दें, इसे ढांककर ही रखें, जब यह ठंडा हो जाए तो इसमें आधा नींबू भी निचोड दीजिए और २ चम्मच शहद भी डाल दें और इसे छान लें और किसी बोतल में डालकर रेफ़्रिजरेट होने दें। जब खूब ठंडा हो जाए, तो मजे से पियें इसे..ये है शुद्धता से सेहत से भरा स्वदेशी ठंडा...इस पेय का सेवन करना सेहत के लिए अति लाभदायक है। तनाव, थकान दूर कर बुद्दि को तेज करने में मदद करने वाला यह पेय बच्चों, बुजुर्गों सबको खूब पिलायें। उच्च रक्तचाप यानि हाई बी पी, सरदर्द, कमजोरी और अनिद्रा से पीडित व्यक्तियों के लिए यह वरदान की तरह है, तो मजे लीजिए लेमन ग्रास के इन गर्मियों में.. सेहत भी बनेगी और गर्मी से राहत भी मिलेगी।

Sunday, 27 April 2014

गुर्दा रोग की प्राकृतिक चिकित्सा



















गुर्दा रोग की प्राकृतिक चिकित्सा 
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गुर्दा शरीर का महत्वपूर्ण अंग है इसे अंग्रेजी में किडनी कहा जाता है। गुर्दे का वजन लगभग 150 ग्राम होता है इसका आकार सेम के बीज या काजू की भांति होता है। यह शरीर में पीछे कमर की ओर रीढ़ के ढांचे के ठीक नीचे के दोनों सिरों पर स्थित होते हैं। शरीर में दो गुर्दे होते हैं। गुर्दे लाखों छलनियों तथा लगभग 140 मील लंबी नलिकाओं से बने होते हैं। गुर्दों में उपस्थित नलिकाएं छने हुए द्रव्य में से जरूरी चीजों जैसे सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम आदि को दोबारा सोख लेती हैं और बाकी अनावश्यक पदार्थों को मूत्र के रूप में बाहर निकाल देती हैं। किसी ख़राबी की वजह से यदि एक गुर्दा कार्य करना बंद कर देता है तो उस स्थिति में दूसरा गुर्दा पूरा कार्य संभाल सकता है।
गुर्दे शरीर को विषाक्‍त होने से बचाते हैं और स्वस्थ रखते हैं। गुर्दों का विशेष संबंध हृदय, फेफड़ों, यकृत और प्लीहा (तिल्ली) के साथ होता है। हृदय एवं गुर्दे परस्पर सहयोग के साथ कार्य करते हैं। इसलिए जब किसी को हृदयरोग होता है तो उसके गुर्दे भी प्रभावित हो सकते हैं। जब गुर्दे ख़राब होते हैं तो रोगी का रक्‍तचाप बढ़ जाता है और वह धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है।

गुर्दे का कार्य : 
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• गुर्दा रक्त में से जल और बेकार पदार्थो को अलग करता है। 

• शरीर में रसायन पदार्थों का संतुलन, हॉर्मोन्स छोड़ना, रक्तचाप नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करता है। 

• यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी सहायता करता है। 

• इसका एक और कार्य है विटामिन-डी का निर्माण करना, जो मनुष्य की हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है। 

• गुर्दे रक्‍त में मौजूद विकारों को छान कर साफ़ करते हैं और शरीर को स्वच्छ रखते हैं। 

• रक्‍त को साफ कर मूत्र बनाने का कार्य भी गुर्दों के द्वारा ही पूरा होता है। 

• गुर्दे रक्‍त में उपस्थित अनावश्यक कचरे को मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकाल देते हैं। 

• गुर्दों के सही से काम न करने पर शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है। 

गुर्दे के रोग के कारण : 
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• लगातार दूषित पदार्थ खाने, दूषित जल पीने और नेफ्रॉन्स के टूटने से गुर्दे के रोग उत्पन्न होते हैं। 

• किडनी के लिए मधुमेह, पथरी और हाईपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) बडे़ जोखिम कारक हैं। 

• गंदा मांस, मछली, अंडा, फल और भोजन और गंदे पानी का सेवन गुर्दे की बीमारी का कारण बन सकते हैं। 

• भोजन और पेय पदार्थों में भी कीटाणुनाशकों, रासायनिक खादों, डिटरजेंट, साबुन, औद्योगिक रसायनों के अंश पाएं जाते हैं। ऐसे में फेफड़े और जिगर के साथ ही गुर्दे भी सुरक्षित नहीं हैं।

• शरीर में नमक की मात्रा अधिक होने के कारण गुर्दे शरीर से व्यर्थ पदार्थो को निकालने में अक्षम हो जाते हैं |

• गुर्दे के रोग का बहुत समय तक पता नहीं चलता, लेकिन जब भी कमर के पीछे दर्द उत्पन्न हो तो इसकी जांच करा लेनी चाहिए।

गुर्दे के रोग :
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गुर्दे के गंभीर रोगों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है- 

1. एक्यूट रीनल फेल्योर :
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इसमें गुर्दे आंशिक अथवा पूर्ण रूप से काम करना बंद कर देते हैं परंतु लगातार उपचार द्वारा यह धीरे-धीरे पुन: कार्यशील हो जाते हैं। 

2. क्रोनिक रीनल फेल्योर :
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यह तब होती है जब किडनी ख़राब हो या तीन माह या इससे अधिक समय से काम नहीं कर रही हो। इसका यदि ठीक प्रकार से इलाज न हो तो क्रोनिक किडनी समस्या बढ़ती जाती है। वृक्क (गुर्दा) रोग में क्रोनिक किडनी रोग के पांच चरण होते हैं। किडनी समस्या के अंतिम चरण में गुर्दे केवल पंद्रह प्रतिशत ही कार्य कर पाते हैं। इसमें नेफ्रॉन्स की अत्यधिक मात्रा में क्षति हो जाती है जिसके कारण गुर्दो की कार्यक्षमता लगातार कम होती चली जाती है।

गुर्दे की जांच : 
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उपर्युक्त दोनों तरह के रोगों के निदान के लिए सबसे पहले रक्त यूरिया, नाइट्रोजन तथा किरेटिनाइन का रक्त परीक्षण करवाना चाहिए। 
मूत्र जांच भी करा लेना चाहिए क्योंकि इससे यह पता चलता है कि गुर्दो की कार्यशीलता और कर्यक्षमता कैसी है।

लक्षण : 
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• जब गुर्दा किसी रोग से रोगग्रस्त हो जाता है तो मूत्र सम्बन्धी तकलीफ शुरू हो सकती है। 
• आंखों के ‍नीचे सूजन या पैरों के पंजों में सूजन हो सकती है। 
• पाचन क्रिया भी कमजोर पड़ जाती है।

प्राकृतिक चिकित्सा :
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1- किडनी पैक : 
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प्राकृतिक चिकित्सा में साधारण सी दिखने वाली क्रियाएं शरीर पर अपना रोगनिवारक प्रभाव छोडती हैं | किसी सूती या खादी के कपडे की पट्टी को सामान्य ठन्डे जल में भिगोकर , निचोड़कर अंग विशेष पर लपेटने के पश्चात् उसके ऊपर से ऊनी कपडे की [सूखी] पट्टी इस तरह लपेटी जाती है कि अन्दर वाली सूती/खादी पट्टी पूर्ण रूप से ढक जाये |

किडनी पैक के लाभ :
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गुर्दों के अतिरिक्त पेट के समस्त रोगों,पुरानी पेचिस, कोलायिटिस,पेट की नयी-पुरानी सूजन,अनिद्रा,बुखार एवं स्त्रियों के गुप्त रोगों की रामबाण चिकित्सा है | इसे रात्रि भोजन के दो घंटे बाद पूरी रात तक लपेटा जा सकता है |

किडनी पैक के लिए आवश्यक साधन :
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* खद्दर या सूती कपडे की पट्टी इतनी चौड़ी जो पेडू सहित नाभि के तीन-चार अंगुल ऊपर तक आ जाये एवं इतनी लम्बी कि पेट के तीन-चार लपेट लग सकें | 
* सूती कपडे से दो इंच चौड़ी एवं इतनी ही लम्बी ऊनी पट्टी |

विधि :-
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खद्दर या सूती पट्टी को ठन्डे पानी में भिगोकर अच्छी तरह से निचोड़ लें तत्पश्चात पेडू से नाभि के तीन – चार अंगुल ऊपर तक लपेट दें ,इसके ऊपर से ऊनी पट्टी इस तरह से लपेट दें कि नीचे वाली गीली पट्टी पूरी तरह से ढक जाये |एक से दो घंटा या सारी रात इसे लपेट कर रखें |

2- कमर (पीठ पर) की गर्म – ठंडी सेंक :
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प्रातः कमर पर गर्म-ठंडी सेंक गुर्दों के लिए अत्यंत लाभदायक है | गर्म-ठंडी सेंक के लिए एक रबड़ की थैली में गर्म पानी भरें | एक बर्तन में खूब ठंडा पानी रख लें | गर्म सेंक रबड़ की थैली से एवं ठंडी सेंक पानी में एक छोटा तौलिया भिगोकर निम्नलिखित क्रम से करें -

• गर्म सेंक – 3 मिनट ठंडी सेंक - 1 मिनट
• गर्म सेंक – 3 मिनट ठंडी सेंक - 1 मिनट
• गर्म सेंक – 3 मिनट ठंडी सेंक - 1 मिनट
• गर्म सेंक – 3 मिनट ठंडी सेंक - 3 मिनट

यदि गर्म सेंक के लिए रबड़ की थैली उपलब्ध न हो तो ठंडी सेंक की तरह गर्म पानी में छोटा तौलिया भिगोकर, हल्का निचोड़कर सेंक की जा सकती है | सेंक के दौरान तौलिया प्रति मिनट पुनः पानी में भिगोकर बदलते रहें |

आहार चिकित्सा एवं परहेज :
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नियंत्रित आहार से खराब किडनी को ठीक किया जा सकता है।

• नियमित नींबू, आलू का रस और हमेशा शुद्ध जल का अधिक से अधिक सेवन करें। 

• गुर्दे की सूजन से पीड़ित रोगी को भोजन करने के तुरंत बाद मूत्र त्याग करना चाहिए। इससे न सिर्फ गुर्दे की बीमारी से बचे रहेंगे बल्कि कमर दर्द, लिवर के रोग, गठिया, पौरुष ग्रंथि की वृद्धि आदि अनेक बीमारियों से भी बचाव होगा। 

• गुर्दे के रोग में बथुआ फायदेमन्द होता है। पेशाब कतरा-कतरा सा आता हो या पेशाब रुक-रुककर आता हो तो इसका रस पीने से पेशाब खुलकर आने लगता है। 

• गुर्दे के रोगी को आलू खाना चाहिए। इसमें सोडियम की मात्रा बहुत पायी जाती है और पोटेशियम की मात्रा कम होती है। 

• मकोय का रस 10-15 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से पेशाब की रुकावट दूर होती है। इससे गुर्दे और मूत्राशय की सूजन व पीड़ा दूर होती है। 

• गुर्दे की खराबी से यदि पेशाब बनना बन्द हो गया हो तो मूली का रस 20-40 मिलीलीटर दिन में 2 से 3 बार पीना चाहिए। 

• पुनर्नवा के 10 से 20 मिलीलीटर पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का काढ़ा सेवन करने से गुर्दे के रोगों में बेहद लाभकारी होता है। 

• गाजर और ककड़ी या गाजर और शलजम का रस पीने से गुर्दे की सूजन, दर्द व अन्य रोग ठीक होते हैं। यह मूत्र रोग के लिए भी लाभकारी होता है।

परहेज :
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• ज्यादा मात्रा में दूध, दही, पनीर व दूध से बनी कोई भी वस्तु न खाएं। 
• इस रोग से पीड़ित रोगी को मांस, मछली, मुर्गा, चॉकलेट, काफी, दूध, चूर्ण, बीयर, वाइन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। 
• गुर्दा रोग में सूखे फल(ड्राई फ्रूट), केक, पेस्ट्री, नमकीन, मक्खन नहीं खाना चाहिए। 
• भोजन में मसालेदार भोज्यपदार्थ का सदा के लिए त्याग कर दें। 
• नमक का प्रयोग कम-से-कम करें |
• तनाव और प्रदूषण से दूर रहें। 

योग चिकित्सा :
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1. खड़े होकर किए जाने वाले आसन :
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वृक्षासन, ताड़ासन,अंर्धचंद्रासन, त्रिकोणासन और पश्चिमोत्तनासन।

2. बैठकर किए जाने वाले आसन :
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उष्ट्रासन और योगमुद्रा ।

3. लेटकर किए जाने वाले आसन : 
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सर्पासन, धनुरासन और हलासन।

यदि उपरोक्त आसन न कर सकें तो सूर्यनमस्कार और खड़े रहकर किए जाने वाले अंग संचालन को नियमित करें। अंगसंचालन (सूक्ष्म व्यायाम) जिसमें कमर का अधिक व्यायाम होता हो वह ‍करें। जल्दी लाभ के लिए किसी योग चिकित्सक से योग के सभी बंधों (मूल बंध,उड्डीयान बंध, जालंधर बंध) को सीख लें। तीनों बंध और अर्थमत्येंद्रासन का नियमित अभ्यास करें। 

Tuesday, 22 April 2014

बालों का बढ़ना
















बालों का बढ़ना

चिकित्सा :

1. अमरबेल : 250 ग्राम अमरबेल को लगभग 3 लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाये तो इसे उतार लें। सुबह इससे बालों को धोयें। इससे बाल लंबे होते हैं।

2. त्रिफला : त्रिफला के 2 से 6 ग्राम चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौह भस्म मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है।

3. कलौंजी : 50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें। इस उबले हुए पानी से बालों को धोएं। इससे बाल 1 महीने में ही काफी लंबे हो जाते हैं।

4. नीम : नीम और बेर के पत्त
ों को पानी के साथ पीसकर सिर पर लगा लें और इसके 2-3 घण्टों के बाद बालों को धो डालें। इससे बालों का झड़ना कम हो जाता है और बाल लंबे भी होते हैं।

5. लहसुन : लहसुन का रस निकालकर सिर में लगाने से बाल उग आते हैं।

6. सीताफल : सीताफल के बीज और बेर के बीज के पत्ते बराबर मात्रा में लेकर पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं। ऐसा करने से बाल लंबे हो जाते हैं।

7. आम : 10 ग्राम आम की गिरी को आंवले के रस में पीसकर बालों में लगाना चाहिए। इससे बाल लंबे और घुंघराले हो जाते हैं।

8. शिकाकाई : शिकाकाई और सूखे आंवले को 25-25 ग्राम लेकर थोड़ा-सा कूटकर इसके टुकड़े कर लें। इन टुकड़ों को 500 ग्राम पानी में रात को डालकर भिगो दें। सुबह इस पानी को कपड़े के साथ मसलकर छान लें और इससे सिर की मालिश करें। 10-20 मिनट बाद नहा लें। इस तरह शिकाकाई और आंवलों के पानी से सिर को धोकर और बालों के सूखने पर नारियल का तेल लगाने से बाल लंबे, मुलायम और चमकदार बन जाते हैं। गर्मियों में यह प्रयोग सही रहता है। इससे बाल सफेद नहीं होते अगर बाल सफेद हो भी जाते हैं तो वह काले हो जाते हैं।

9. मूली : आधी से 1 मूली रोजाना दोपहर में खाना-खाने के बाद, कालीमिर्च के साथ नमक लगाकर खाने से बालों का रंग साफ होता है और बाल लंबे भी हो जाते हैं। इसका प्रयोग 3-4 महीने तक लगातार करें। 1 महीने तक इसका सेवन करने से कब्ज, अफारा और अरुचि में आराम मिलता है।
नोट : मूली जिसके लिए फयदेमन्द हो वही इसका प्रयोग कर सकते हैं।

10. आंवला : सूखे आंवले और मेंहदी को समान मात्रा में लेकर शाम को पानी में भिगो दें। प्रात: इससे बालों को धोयें। इसका प्रयोग लगातार कई दिनों तक करने से बाल मुलायम और लंबे हो जायेंगे।

11. ककड़ी : ककड़ी में सिलिकन और सल्फर अधिक मात्रा में होता है जो बालों को बढ़ाते हैं। ककड़ी के रस से बालों को धोने से तथा ककड़ी, गाजर और पालक सबको मिलाकर रस पीने से बाल बढ़ते हैं। यदि यह सब उपलब्ध न हो तो जो भी मिले उसका रस मिलाकर पी लें। इस प्रयोग से नाखून गिरना भी बन्द हो जाता है।

12. रीठा
* कपूर कचरी 100 ग्राम, नागरमोथा 100 ग्राम, कपूर तथा रीठे के फल की गिरी 40-40 ग्राम, शिकाकाई 250 ग्राम और आंवले 200 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी का चूर्ण तैयार कर लें। इस मिश्रण के 50 ग्राम चूर्ण में पानी मिलाकर लुग्दी (लेप) बनाकर बालों में लगाना चाहिए। इसके पश्चात् बालों को गरम पानी से खूब साफ कर लें। इससे सिर के अन्दर की जूं-लींकें मर जाती हैं और बाल मुलायम हो जाते हैं।
* रीठा, आंवला, सिकाकाई तीनों को मिलाने के बाद बाल धोने से बाल सिल्की, चमकदार, रूसी-रहित और घने हो जाते हैं।

13. गुड़हल : * गुड़हल के फूलों के रस को निकालकर सिर में डालने से बाल बढ़ते हैं।
* गुड़हल के पत्तों को पीसकर लुग्दी बना लें। इस लुग्दी को नहाने से 2 घंटे पहले बालों की जड़ों में मालिश करके लगायें। फिर नहायें और इसे साफ कर लें। इस प्रयोग को नियमित रूप से करते रहने से न केवल बालों को पोषण मिलेगा, बल्कि सिर में भी ठंड़क का अनुभव होगा।
* गुड़हल के पत्ते और फूलों को बराबर की मात्रा में लेकर पीसकर लेप तैयार करें। इस लेप को सोते समय बालों में लगाएं और सुबह धोयें। ऐसा कुछ दिनों तक नियमित रूप से करने से बाल स्वस्थ बने रहते हैं।
* गुड़हल के ताजे फूलों के रस में जैतून का तेल बराबर मिलाकर आग पर पकायें, जब जल का अंश उड़ जाये तो इसे शीशी में भरकर रख लें। रोजाना नहाने के बाद इसे बालों की जड़ों में मल-मलकर लगाना चाहिए। इससे बाल चमकीले होकर लंबे हो जाते हैं।

14. शांखपुष्पी : शांखपुष्पी से निर्मित तेल रोज लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।

15. भांगरा :
* बालों को छोटा करके उस स्थान पर जहां पर बाल न हों भांगरा के पत्तों के रस से मालिश करने से कुछ ही दिनों में अच्छे काले बाल निकलते हैं जिनके बाल टूटते हैं या दो मुंहे हो जाते हैं। उन्हें इस प्रयोग को अवश्य ही करना चाहिए।
* त्रिफला के चूर्ण को भांगरा के रस में 3 उबाल देकर अच्छी तरह से सुखाकर खरल यानी पीसकर रख लें। इसे प्रतिदिन सुबह के समय लगभग 2 ग्राम तक सेवन करने से बालों का सफेद होना बन्द जाता है तथा इससे आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
* आंवलों का मोटा चूर्ण करके, चीनी के मिट्टी के प्याले में रखकर ऊपर से भांगरा का इतना डाले कि आंवले उसमें डूब जाएं। फिर इसे खरलकर सुखा लेते हैं। इसी प्रकार 7 भावनाएं (उबाल) देकर सुखा लेते हैं। प्रतिदिन 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ सेवन से करने से असमय ही बालों का सफेद होना बन्द जाता है। यह आंखों की रोशनी को बढ़ाने वाला, उम्र को बढ़ाने वाला लाभकारी योग है।
* भांगरा, त्रिफला, अनन्तमूल और आम की गुठली का मिश्रण तथा 10 ग्राम मण्डूर कल्क व आधा किलो तेल को एक लीटर पानी के साथ पकायें। जब केवल तेल शेष बचे तो इसे छानकर रख लें। इसके प्रयोग से बालों के सभी प्रकार के रोग मिट जाते हैं।

16. अनन्तमूल : अनन्तमूल की जड़ का चूर्ण 2-2 ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से सिर का गंजापन दूर होता है।

17. तिल :
* तिल के पौधे की जड़ और पत्तों के काढ़े से बालों को धोने से बालों पर काला रंग आने लगता है।
* काले तिलों के तेल को शुद्ध करके बालों में लगाने से बाल असमय में सफेद नहीं होते हैं। प्रतिदिन सिर में तिल के तेल की मालिश करने से बाल हमेशा मुलायम, काले और घने रहते हैं।
* तिल के फूल और गोक्षुर को बराबर मात्रा में लेकर घी और शहद में पीसकर लेप बना लें। इसे सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है।
* तिल के तेल की मालिश करने के एक घंटे बाद एक तौलिया गर्म पानी में डुबोकर उसे निचोड़कर सिर पर लपेट लें तथा ठण्डा होने पर दोबारा गर्म पानी में डुबोकर निचोड़कर सिर पर लपेट लें। इस प्रकार 5 मिनट लपेटे रखें। फिर ठंड़े पानी से सिर को धो लें। ऐसा करने से बालों की रूसी दूर हो जाती है।

और अंत एक बात याद रखे !! किसी भी विदेशी कंपनी का कोई भी शैंपू का प्रयोग मत करे !!
ये clinic all clear,clinic plus, head and shoulder,dove,pantene सब विदेशी कंपनिया बनती है ! और बहुत ही खतरनाक कैमिकलों का प्रयोग करती है ! !! और हर 2 -3 महीने बाद एक ही शैंपू मे थोड़ा बदलाव कर उसका नाम बादल कर फिर बेचने लग जाती है !

आपको मालूम है pantene से एक लड़की के सारे बाल झड़ गये !!और वो खबर अखबार मे भी आई है !!

Sunday, 20 April 2014

गुडहल (फूल) के गुण
















गुडहल (फूल) के गुण :-

गुडहल एक आम सा फूल है जो कि देखने में सुंदर होता है। ऐसे कई गुडहल के फूल हैं जो कि अलग-अलग रंगों में पाये जाते हैं जैसे, लाल, सफेद , गुलाबी, पीला और बैगनी आदि। यह सुंदर सा गुडहल का फूल स्वास्थ्य के खजाने से भरा पड़ा है। इसका इस्तेमाल खाने- पीने या दवाओं लिए किया जाता है। इससे कॉलेस्ट्रॉल, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर और गले के संक्रमण जैसे रोगों का इलाज किया जाता है। यह विटामिन सी, कैल्शियम, वसा, फाइबर, आयरन का बढिया स्रोत है। 
गुडहल के ताजे फूलों को पीसकर लगाने से बालों का रंग सुंदर हो जाता है। 
मुंह के छाले में गुडहल के पते चबाने से लाभ होता है।
डायटिंग करने वाले या गुर्दे की समस्याओं से पीडित व्यक्ति अक्सर इसे बर्फ के साथ पर बिना चीनी मिलाए पीते हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिकमूत्रवर्धक गुण होते हैं। 
क्या आप जानते हैं कि गुडहल की चाय भी बनती है। जी हां, गुडहल की चाय एक स्वास्थ्य हर्बल टी है। तो आइये जानते हैं गुडहल के स्वास्थ्य और औषधीय लाभ के बारे में-
गुडहल के गुण -
1. गुडहल से बनी चाय को प्रयोग सर्दी-जुखाम और बुखार आदि को ठीक करने के लिये प्रयोग की जाती है।
2. गुड़हल के फूल का अर्क दिल के लिए उतना ही फायदेमंद है जितना रेड वाइन और चाय।
3. - विज्ञानियों के मुताबिक चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि गुड़हल का अर्क कोलेस्ट्राल को कम करने में सहायक है। इसलिए यह इनसानों पर भी कारगर होगा।
4. - डायटिंग करने वाले या गुर्दे की समस्याओं से पीडित व्यक्ति अक्सर इसे बर्फ के साथ पर बिना चीनी मिलाए पीते हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक मूत्रवर्धक गुण होते हैं।
5. - अगर गुडहल को गरम पानी के साथ या फिर उबाल कर फिर हर्बल टी के जैसे पिया जाए तो यह हाई ब्लड प्रेशर को कम करेगा और बढे कोलेस्ट्रॉल को घटाएगा क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट होता है।
6. गुडहल का फूल काफी पौष्टिक होता है क्योंकि इसमें विटामिन सी, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट होता है। यह पौष्टिक तत्व सांस संबन्धी तकलीफों को दूर करते हैं। यहां तक की गले के दर्द को और कफ को भी हर्बल टी सही कर देती है।
7. - गुडहल के फूलों का असर बालों को स्वस्थ्य बनाने के लिये भी होता है। इसे पानी में उबाला जाता है और फिर लगाया जाता है जिससे बालों का झड़ना रुक जाता है। यह एक आयुर्वेद उपचार है। इसका प्रयोग केश तेल बनाने मे
भी किया जाता है।
8. - गुडहल के पत्ते तथा फूलों को सुखाकर पीस लें। इस पावडर की एक चम्मच मात्रा को एक चम्मच मिश्री के साथ पानी से लेते रहने से स्मरण शक्ति तथा स्नायुविक शक्ति बढाती है।
9. - गुडहल के फूलों को सुखाकर बनाया गया पावडर दूध के साथ एक एक चम्मच लेते रहने से रक्त की कमी दूर होती है |
10. - यदि चेहरे पर बहुत मुंहसे हो गए हैं तो लाल गुडहल की पत्तियों को पानी में उबाल कर पीस लें और उसमें शहद मिला कर त्वचा पर लगाए |

Prithwi Mudra Benefits



















Prithwi Mudra Benefits

Popularly known as Prithvi mudra, this mudra increases the Prithvi (earth) element within the body. At the same time, it decreases the Agni (fire) element. Therefore, it can also be called Agni-shaamak mudra.
Method:This mudra is formed by joining together the tips of the ring finger and the thumb.
Effects : Prithvi-vardhak mudra increases the Prithvi (earth) element within the body but decreases the Agni (fire) element within the body.The element earth is a vital component of bodily tissues like bones, cartilage, skin, hair, nails, flesh, muscles, tendons, internal organs, etc. Practice of Prithvi-vardhak mudra builds and invigorates these tissues. In other words, this mudra increases vitality, strength and endurance. However, it should be practised in moderation by people who already have an excess of kapha in their bodies. The element Agni (fire) is concerned with body-temperature and metabolism. Since Prithvi-vardhak (= Agni-shaamak) mudra reduces fire, it can be used to pacify an overactive Agni and overcome disorders of Agni-excess like emaciation, fever, inflammation, etc. The element fire is also a component of bodily humor Pitta. Therefore, Prithvi-vardhak (= Agni-shaamak) mudra is an excellent mudra for people with a pronounced Pitta constitution. They can regularly use this mudra even to avoid illness.
Benefits: Prithvi-vardhak mudra can be used to treat the following disorders:
1. Chronic fatigue, general debility, convalescence,
2. Lack of Stamina or endurance,
3. Inexplicable, weight-loss, emaciation,
4. Osteoporosis osteomalacia(diminished bone-density, rickets,)
5. Fracture(to expedite union),
6. Degeneration of articular cartilage(Osteo –Arthritis),
7. Weak, atrophied muscles myopahties,
8. Paresis, paralysis, poliomyelitis,
9. Dry,cracked, burning ,mature skin,
20. Brittle nails,
!2. Hair-los, premature graying of hair,
13. Burning in eyes, stomach(acidity), urine, anus, hands, feet, head,
14. Aphthous ulcers in the mouth,
15. Ulcers in the stomach, intestines,
16. Inflammatory diseases (disease whose names end with ‘it is’),
17. Jaundice,
18. Fever,
19. Hyperthyroidism.
Practice this mudra for half an hour daily. For best result do it twice a day.

सिरके का आयुर्वेद में प्रयोग



















सिरके का आयुर्वेद में प्रयोग ---

- सिरका कई प्रकार का होता है।अंगूर, सेब, संतरे, अनन्नास, जामुन तथा अन्य फलों के रस, जिनमें शर्करा पर्याप्त है, सिरका बनाने के लिए बहुत उपयुक्त हैं क्योंकि उनमें जीवाणुओं के लिए पोषण पदार्थ पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
- आयुर्वेद में सिरके का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। आप अपने बालों को सुंदर बनाने के लिए भी सिरके का प्रयोग कर सकते हैं। सिरका बालों के लिए अच्छा है । डेंड्रफ, जूं जैसी समस्याओं से बचने के लिए सिरके का प्रयोग लाभकारी है। बालों की अच्छी तरह से सफाई और बालों को स्व्स्थ रखने में सिरके का इस्तेमाल किया जाता है। बालों की कंडीशनिंग के लिए भी सिरके का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- बालों में होने वाले फुंसी, फंगस और इसी तरह की अन्य समस्याओं को दूर करने और बैक्टीरिया इत्यादि को नष्ट करने में भी सिरके का प्रयोग किया जाता है।
- बालों की चमक बरकरार रखने के लिए और बालों को मुलायम और सुंदर बनाने के लिए सिरके से किफायती कुछ भी नहीं।
- सिरके से बालों को सीधा भी किया जा सकता है। यदि रूखे और घुंघराले बालों को सीधा करना है तो सिरके का प्रयोग करना चाहिए। ऐसे में आपको चाहिए कि आप सेब के सिरके से बालों को धोएं और इससे जल्द ही आप बाल सीधे कर पाएंगे।
- भोजन के साथ सिरका खाने से रक्त पतला होता है।
- सिरका, चर्बी कम करने और शरीर से विषैले पदार्थ निकालने की प्रक्रिया में सहायक होता है तथा इससे रक्त से वसा और हानिकारक कोलिस्ट्रोल कम होता है।
- सिरका बुद्धि में तीव्रता का कारण बनता है और ह्रदय के लिए लाभदायक होता है।
- सिरके में मौजूद सेट्रिक एसिड आहार में मौजूद कैल्शियम को शरीर का अंश बनाता है और शरीर की भीतरी क्रियाओं के लिए अत्याधिक लाभदायक होता है।
- सिरका, पाचनक्रिया के लिए हानिकारिक बैक्र्टिरिया का नाश करता है। जिन लोगों को पाचनतंत्र की समस्या और क़ब्ज़ तथा दस्त अथवा पेट दर्द में ग्रस्त हैं वह सिरका की सहायता से इन समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
- सिरके का एक अन्य लाभ यह है कि वह अमाशय की एसिड के स्राव को संतुलित करता है ।
- सिरका दांतों की गंदगी दूर करने और मसूड़े की सूजन में लाभदायक है।
- डाक्टर, कमज़ोर स्नायुतंत्र, गठिया और अल्सर के रोगियों के लिए सिरके को हानिकारक बताते हैं।
- जामुन का सिरका पेट सम्बंधी रोगों के लिए लाभकारक है। जामुन के सिरके से भूख बढ़ती है, पेट की वायु निकलती है , कब्ज दूर होती है व मूत्र साफ होता है।काले पके हुए जामुन साफ धो कर पोछ कर मिटटी के बर्तन में नामक मिलाकर साफ कपडे से बांध कर धुप में रख दे । एक सप्ताह धुप में रखने के पश्चात् इसको साफ कपडे से छान कर रस को कांच के बोतल में भर कर रख दे यह सिरका तैयार है । मुली प्याज गाजर शलजम मिर्च आदि के टुकडे भी उसी सिरके में डालकर इसका उपयोग सलाद पर आसानी से किया जा सकता है ।
- किसी ने धतूरा खा लिया हो, तो उसे अंगूर का सिरका दूध में मिलाकर पिलाने से काफी लाभ होता है।
- एक प्याले में सेब का सिरका, एक कप शहद और छिले हुए लहसुन की आठ गाँठे मिलाओ। इन सबको तेज चलने वाली मिक्सी में डाल कर एक मिनट के लिए चला दो और घोल तैयार करो। इस मिश्रण को एक काँच की बोतल में डाल कर पाँच दिन के लिए फ्रिज में बन्द करके रखो। आम खुराक -दो चम्मच पानी या अंगूर या फलों के रस में डाल कर नाश्ते से पहले लो। इस इलाज से बंद नाड़ियों, जोड़ों का दर्द, उच्च रक्तचाप ( हाई ब्लड प्रैशर), कैंसर की कुछ किस्मों, कोलेस्टरोल की अधिक मात्रा, सर्दी ज़ुकाम, बदहज़मी, सिर दर्द, दिल के रोग, रक्त प्रवाह की समस्या, बवासीर, बांझपन, नपुसंकता, दांत दर्द, मोटापा, अल्सर और बहुत सारी बीमारियाँ ठीक करने में सहायता मिलती है।
- एसीडिटी से निजात पाने के लिए एक ग्लास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका तथा दो चम्मच शहद मिलाकर खाने से पहले सेवन करें।
- हृदय रोग, कैलोस्ट्रोल बढ़ने और खून के थक्के होने की शिकायत है, उनके लिए अनुभूत औषधि जो बरसों पहले एक वृद्ध साधू द्वारा बताई गयी है.अदरक का रस एक कप, लहसून का रस एक कप, नीम्बू का रस एक कप, सेब का सिरका एक कप लेकर, उसको मध्यम आंच पर गर्म करे. जब तीन कप रह जाएँ, तो उसको सामान्य तापमान तक ठंडा कर लें . फिर उसमें तीन कप शहद मिला कर, किसी भी बोतल आदि में रख लें. रोज़ प्रात: खाली पेट, दो चम्मच औषधि को सामान मात्रा में जल मिलाकर, भगवान् शिव का ध्यान करते हुए सेवन करें.नाश्ता लगभग आधे घंटे बाद करें.

Know about abdominal pain


Saturday, 19 April 2014

एलोवेरा












हमारे आस पास तमाम ऐसी वनस्पतियां पाई जाती हैं जिनमें औषधीय गुण मिलते हैं। समझ और सजगता का अभाव होने के कारण इनका सही प्रयोग नहीं हो पाता। इन्हीं वस्पतियों में घृतकुमारी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। आयुर्वेद में इसे ग्वारपाठा, घी कुंवारा, स्थूलदला, कुमारी आदि नामों से इसे जाना जाता है। घृतकुमारी के पत्तों का इस्तेमाल यकृत विकार, आमवात, कोष्ठबद्धता, बवासीर, स्त्रियों के अनियमित मासिक चक्र और मोटापा घटाने के साथ ही चर्म रोग में भी लाभकारी होता है। घृतकुमारी सभी स्थानों पर पूरे वर्ष सुगमता से मिलता है। इसके गूदे में लौह, कैल्शियम, पोटैशियम एवं मैग्नीशियम पाया जाता है।
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1- एलोवेरा में 18 धातु, 15 एमिनो एसिड और 12 विटामिन मौजूद होते हैं जो खून की कमी को दूर कर रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढाते हैं।

2- एलोवेरा के कांटेदार पत्तियों को छीलकर रस निकाला जाता है। 3 से 4 चम्मदच रस सुबह खाली पेट लेने से दिन-भर शरीर में चुस्ती व स्फूर्ति बनी रहती है।

3- एलोवेरा का जूस पीने से कब्ज की बीमारी से फायदा मिलता है।

4- एलोवेरा का जूस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार व स्वस्थ होते हैं।

5- एलोवेरा का जूस पीने से शरीर में शुगर का स्तर उचित रूप से बना रहता है।
एलोवेरा का जूस बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग व पेट के विकारों को दूर करता है।

6- एलोवेरा का जूस पीने से त्वचा की खराबी, मुहांसे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्वचा, झुर्रियां, चेहरे के दाग धब्बों, आखों के काले घेरों को दूर किया जा सकता है।

7- एलोवेरा का जूस पीने से मच्छर काटने पर फैलने वाले इन्फेक्शन को कम किया जा सकता है।

8- एलोवेरा का जूस ब्लड को प्यूरीफाई करता है साथ ही हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करता है।

9- शरीर में वहाईट ब्लड सेल्स की संख्या को बढाता है।

10- एलोवेरा का जूस त्वचा की नमी को बनाए रखता है जिससे त्वचा स्वस्थ्य दिखती है। यह स्किन के कोलेजन और लचीलेपन को बढाकर स्किन को जवान और खूबसूरत बनाता है।

11- एलोवेरा के जूस का नियमित रूप से सेवन करने से त्वचा भीतर से खूबसूरत बनती है और बढती उम्र से त्वचा पर होने वाले कुप्रभाव भी कम होते हैं।
12- एलोवेरा के जूस का हर रोज सेवन करने से शरीर के जोडों के दर्द को कम किया जा सकता है।

13- एलोवेरा को सौंदर्य निखार के लिए हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट जैसे एलोवेरा जैल, बॉडी लोशन, हेयर जैल, स्किन जैल, शैंपू, साबुन, फेशियल फोम आदि में प्रयोग किया जा रहा है।

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सावधानी: गर्भवती औरतों और पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये घृतकुमारी-एलोविरा के आन्तरिक सेवन करने की सख्त मनाही है।

Friday, 18 April 2014

साइनस की छुुट्टी

















छोटे-छोटे घरेलू उपाय, ये करेंगे तो साइनस की छुुट्टी हो जाएगी

हमारे चेहरे पर नाक के आसपास कुछ छिद्र होते हैं, जिन्हें साइनस कहा जाता है। इनमें संक्रमण को साइनोसाइटिस या साइनस ही कह दिया जाता है। जब साइनस का संक्रमण होता है तो इसके लक्षण आंखों पर और माथे पर महसूस होते हैं। सिरदर्द आगे झुकने व लेटने से बढ़ जाता है।
लक्षण
- चेहरे पर दर्द का अहसास।
- साइनस में दबाव और दर्द महसूस होना।
- नाक जाम होने का अहसास, कफ, गले में खरखराहट।
- सिरदर्द और कभी-कभी बुखार भी।
साइनस के लिए किया जाने वाला सबसे आम उपचार आपरेशन है, लेकिन अधिकांश मामलों में यह सफल नहीं होता। इसलिए चलिए आज हम आपको साइनस संक्रमण को दूर करने के लिए कुछ खास नुस्खे....
- एक चम्मच मेथी दाने को एक कप पानी में पांच मिनट तक उबालें। इसके बाद इस पानी को छान लें। चाय की तरह पानी को पिएं। फायदा होगा।
-आधा कप पानी में कुछ बूंदे युकेलिप्स तेल की डालें। इस पानी को ढककर उबालें। फिर स्टीम लें। यह साइनस सिरदर्द से तुरंत राहत देने वाला नुस्खा है।
- जब साइनस की समस्या ज्यादा परेशान करने लगे तो सहजन की फली का सूप, लहसुन, प्याज, काली मिर्च और अदरक डालकर बनाएं। इस सूप को गर्मा गर्म पीने से बहुत लाभ होता है।
- प्याज का रस नाक में डालने से साइनस के सिरदर्द से तुरंत राहत मिलती है।
- कमल जड़, अदरक, और आटा मिलाकर लेप बनाएं। इस लेप को रात में सोने से पहले नाक और माथे पर लगाएं। सुबह होते ही उसे गर्म पानी से धो लें।
- रोज कच्चे लहसुन की एक कली खाने से भी साइनस इंफेक्शन से राहत मिलती है।
- रोज सुबह नियमित रूप से शहद जरूर खाएं। इससे साइनस से होने वाली परेशानियों से राहत मिलेगी।
- एक कप पानी गुनगुना कर लें। इस पानी में अदरक को बारीक काटकर डाल लें। कुछ देर बाद छानकर धीरे-धीरे इस पानी को पी जाएं। राहत मिलेगी।
- एक कप साफ गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद और एक चौथाई चम्मच नमक डालें। इस घोल को ड्रापर की सहायता से दो बूंद नाक में डालें। इससे साइनस में राहत मिलती है।
- सब्जियों का प्रयोग साइनस की समस्या में सबसे बेहतरीन घरेलू इलाज है। अगर आप 300 एमएल गाजर का रस, 100 एमएल चुकंदर का रस, 200 एमएल पालक का रस और 100 एमएल ककड़ी का रस मिलाकर रोज पिएं तो साइनस में बहुत जल्दी फायदा होगा।
- एक लहसुन और एक प्याज एक साथ पानी में उबाल कर भाप लेने से साइनस के सिरदर्द में लाभ होता है।
- गर्म कपड़ा या फिर गर्म पानी की बोतल गालों के ऊपर रखकर सिकाई करनी चाहिए। इससे साइनस के रोगियों को बहुत राहत मिलती है।

बिना शैम्पू के धोए बाल













नैचुरोपैथ डा. निर्मला शैट्टी का कहना है, ‘‘बालों के पतले होने तथा गंजेपन की जल्दी शुरूआत का कारण शैम्पू का इस्तेमाल अधिक करना ही है। एक लम्बे समय के बाद शैम्पू तेजी से आपके बालों को नुक्सान पहुंचाने लगता है। वैलनैस कोच लियाना कैपुची कहती हैं, ‘‘पहले-पहले मुझे अपने बालों से नफरत होती थी परन्तु दो हफ्ते बीतने पर मुझे फर्क पता चला। वह शैम्पू की बजाय एप्पल साइडर तथा सादा बेकिंग सोडा इस्तेमाल करती हैं।’’

कई बार बालों हेतु प्राकृतिक तथा घर में बने शैम्पू तथा कंडीशनर का प्रयोग बढिय़ा विचार हो सकता है। डा. निर्मला शैट्टी के अनुसार, ‘‘हमारे दादा-पड़दादा की पीढिय़ों के वृद्धावस्था में भी स्वस्थ बाल होते थे क्योंकि वे बालों की सफाई के लिए प्राकृतिक सामग्री का इस्तेमाल करते थे जैसे उबला हुआ चावल का पानी, ताजा हिबिस्कस या शिकाकाई का पेस्ट। इनसे उनकी खोपड़ी की त्वचा तथा बाल साफ रहते थे। प्राकृतिक सामग्री शरीर में आसानी से जज्ब हो जाती है।’’

अधिकतर शैम्पुओं में नुक्सानदायक रसायन पाए जाते हैं जैसे मिथाइली सोथायाजोलीनोन तथा डाईथैनोलैमाइन जो स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं पैदा कर सकते हैं। कुछ लोगों में शैम्पू के फोमिंग एजैंट जैसे सोडियम लॉरिल सल्फेट (एस. एल.एस.) के बारे में माना जाता है कि ये खोपड़ी की त्वचा पर खुजली पैदा कर सकते हैं।

बाल विशेषज्ञ शहनाज हुसैन कहती हैं, ‘‘नियमित तौर पर शैम्पू करना लाभदायक नहीं है। इससे आपके बाल रूखे और दोमुंहे हो जाते हैं। साथ ही ये सिर की त्वचा के एसिड-एल्कालाइन संतुलन में बाधा पैदा करते हैं, जिससे डैंड्रफ की समस्या पैदा होती है।’’

अगर आप भी अपने बालों को प्राकृतिक ढग़ से साफ रखना चाहते हैं तो करें ये उपाय:-

* दली हुई एक कप मूंग की दाल को लेकर रात को भिगो कर रख दें। फिर इसका एक नरम पेस्ट बना ले। अपने बालों को अलग-अलग हिस्सों में बांट कर यह पेस्ट लगाएं ताकि आपके सिर की पूरी चमड़ी कवर हो जाए। इसको 30 मिनट तक लगाकर रखें और फिर बालों को सादे पानी के साथ धोए। 

* जिन लोगों को डैंड्रफ और ऑयली बालों की समस्या है, उनके लिए यह क्लींजऱ बहुत बढिय़ा रहता है - एक मुट्ठी ताज़े या सूखे गेंदो के फूलों को तीन कप गर्म पानी में मिला दें। इसको एक घंटे के लिए इस तरह ही पड़ा रहने दें। छानने के बाद ठंडा करके इसका प्रयोग अपने बाल धोने के लिए करें। 

* नींबू के रस और कॉफी के 4-4 छोटे चम्मच, 2 कच्चे अंडे और कुछ छानी हुई चाय पत्ती के पानी को मेहंदी पाउडर में मिलाये। इस मिश्रण का एक घना पेस्ट बनाने तक हिलाये। इसको बालों पर लगाये और एक घंटे बाद धोए। अगर आप अंडों का प्रयोग नहीं करना चाहते तो इस  मिश्रण में चाय पत्ती के पानी की मात्रा बढ़ा दें। 

होम-मेड हेयर क्लींजऱ
* बैकिंग सोडे में पानी मिलाये और इसको बोतल में भर कर रखें। इसका प्रयोग शैंम्पू की तरह ही करें। 
* एक कुदरती कंडीशनर बनाने के लिए 1-2 बड़े चम्मच एपल साइडर विनेगर को एक कप पानी में मिलाये।
* अगर आपके बाल ड्राई हैं तो कम बैकिंग सोडे का प्रयोग करें और विनेगर की जगह शहद का प्रयोग करें। 

संधिवात



















संधिवात 

संधिवात में शरीर के किसी संधि जोड में शोध की उत्पत्ति होती है। धीरे-धीरे शोथ विकसित होता है और तीव्र शूल होने लगता है। शोथ के कारण त्वचा लाल हो जाती है। संधि शोथ को स्पर्श करने में भी पीड़ा होती है। रात को अधिक पीड़ा होने से रोगी की नींद नष्ट हो जाती हैं।
संधि शोथ और शूल के कारण रोगी चलने-फिरने में असमर्थ हो जाता है। उठकर खड़े होने में भी तीव्र शूल होता है। संधिवात के कारण रोगी को ज्वर भी हो जाता है। संधिवात के उग्र रूप धारण करने पर रोगी की भूख नष्ट हो जाती है।
क्या खाएं?
* लहसुन की एक-दो कली प्रतिदिन हल्के गर्म जल के साथ सेवन करें।
* गर्म जल व दूध में मधु मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है।
* लहसुन की कलियों को सरसों के तेल में देर तक उबालकर जलाएं, फिर उस तेल को छानकर संधि शोथ के अंगों पर मालिश करें।
* मेथी का चूर्ण बनाकर प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण हल्के गर्म जल के साथ सेवन करने से संधिवात का शूल कम होता है।
* संधिवात का रोगी कोष्ठबद्धता होने पर एरंड का तेल 7-8 ग्राम की मात्रा में उबाले हुए दूध में डालकर पिएं।
* अदरक के 5 ग्राम रस में मधु मिलाकर सेवन करने से संधि शूल नष्ट होता है।
* महा नारायण तेल की संधि शोथ पर मालिश करें।
* चुकंदर का सेवन करने से संधि शूल नष्ट होता है।
* प्याज के रस को सरसों के तेल में मिलाकर हल्का-सा गर्म करके संधि शोथ पर मलने से बहुत लाभ होता है।
* आलू की सब्जी खाने से शूल कम होता है।
* कुलथी को जल में उबालकर क्वाथ बनाएं। क्वाथ को छानकर उसमें सोंठ का चूर्ण और सेंधा नमक मिलाकर पिएं।
* अजवायन का 3 ग्राम चूर्ण थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर हल्के गर्म जल के साथ सेवन करें।
क्या न खाएं?
* संधिवात के रोगी शीतल खाद्य और शीतल पेयों का सेवन न करें।
* सब्जियों में गाजर, मूली, टमाटर, अरबी, कचालू, फूलगोभी, भिंडी न खाएं।
* दही और तक्र (मट्ठे) का सेवन न करें।
* चावल व उड़द की दाल का सेवन न करें।
* घी, तेल, मक्खन से बने पकवान न खाएं।
* मांस, मछली व अंडे के साथ-साथ उष्ण मिर्च-मसालों से बनी तली हुई चीजों का सेवन ना करें।
* नंगे पाव फर्श पर न घूमें।
* भीगे वस्त्रों में देर तक न रहें।
प्रतिदिन पूज्य स्वामी जी महाराज द्वारा सिखाये जाने वाले सातों प्राणायामों का अभ्यास मंद गति से करें ,लाभ होगा |

मुंहासों के लिए घरेलू नुस्खे


















मुंहासों के लिए घरेलू नुस्खे
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1. नीम : यह त्वचा में रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है। इसके प्रयोग से मुंहासे में जादू जैसा लाभ होता है। चार-पांच नीम की पत्तियों को पीसकर मुलतानी मिट्टी में मिलाकर लगाएं, सूखने पर गरम पानी से धो लें
2. दही में कुछ बूंदें शहद की मिलाकर उसे चेहरे पर लेप करना चाहिए। इससे कुछ ही दिनों में मुहांसे दूर हो जाते हैं।
3. जामुन की गुठली को पानी में घिसकर चेहरे पर लगाने से मुहासे दूर होते हैं।
4. नीम के पेड़ की छाल को घिसकर मुहांसों पर लगाने से भी मुहांसे घटते हैं।
5. तुलसी व पुदीने की पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें तथा थोड़ा-सा नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से भी मुहांसों से निजात मिलती है।
6. 1 चम्मच टमाटर का रस, 1 छोटा चम्मच मुल्तानी मिट्टी और 1 चम्मच पिसी हुई मसूर की दाल को थोड़े से गुलाबजल में मिलाकर चेहरे पर लगा लें और सूखने के बाद ठण्डे पानी से धो लें।
7. जैतून के तेल को रोज रात में सोते समय चेहरे पर लगाएं ऐसा करने से मुंहासे और चेहरे पर हो रही फुंसियां ठीक हो जाती हैं।
8. नीबू के रस में गुलाबजल मिलाकर चेहरे पर लगाएं। तीस मिनट बाद चेहरा पानी से धो लें।
9. आलू उबाल कर छिलके छील लें और इसके छिलकों को चेहरे पर रगड़ें, मुंहासे ठीक हो जाएंगे।

पेठे के गुण
























पेठे के गुण

* पेठा या कुम्हडा व्रत में भी लिया जा सकता है .
* आयुर्वेद ग्रंथों में पेठे को बहुत उपयोगी माना गया है। यह पुष्टिकारक, वीर्यवर्ध्दक, भारी, रक्तदोष तथा वात-पित्त को नष्ट करने वाला है।
* कच्चा पेठा पित्त को समाप्त करता है लेकिन जो पेठा अधिक कच्चा भी न हो और अधिक पका भी न हो, वह कफ पैदा करता है किन्तु पका हुआ पेठा बहुत ठंडा, ग्राही, स्वाद खारी, अग्नि बढ़ाने वाला, हल्का, मूत्राशय को शुध्द करने वाला तथा शरीर के सारे दोष दूर करता है।
* यह मानसिक रोगों में जैसे मिरगी, पागलपन आदि में तो बहुत लाभ पहुंचाता है। मानसिक कमजोरी-मानसिक विकारों में विशेषकर याद्दाश्त की कमजोरी में पेठा बहुत उपयोगी रहता है। ऐसे रोगी को 10-20 ग्राम गूदा खाना चाहिए अथवा पेठे का रस पीना चाहिए।
* शरीर में जलन-पेठे के गूदे तथा पत्तों की लुगदी बनाकर लेप करें। साथ-साथ बीजों को पीसकर ठंडाई बनाकर प्रयोग करें। इससे बहुत लाभ होगा।
* नकसीर फूटना- पेठे का रस पीएं या गूदा खाएं। सिर पर इसके बीजों का तेल लगाएं। बहुत लाभ होगा।
* दमा रोग – दमे के रोगियों को पेठा अवश्य खिलाएं। इससे फेफड़ों को शांति मिलती है।
खांसी तथा बुखार- पेठा खाने से खांसी तथा बुखार रोग भी ठीक होते हैं।
* पेशाब के रोग- पेठे का गूदा तथा बीज मूत्र विकारों में बहुत उपयोगी है। यदि मूत्र रूक-रूककर आता हो अथवा पथरी बन गई हो तो पेठा तथा उसके बीज दोनों का प्रयोग करें। लाभ होगा।
* वीर्य का कमी- इस रोग में पेठे का सेवन अति उपयोगी है।
* कब्ज तथा बवासीर-पेठे के सेवन से कब्ज दूर होती है। इसी कारण बवासीर के रोगियों के लिए यह बहुत लाभकारी है। इससे बवासीर में रक्त निकलना भी बंद हो जाता है।
भूख न लगना- जिन लोगों की आंतों में सूजन आ गई है, भूख नहीं लगती, वे सुबह दो कप पेठे का रस पीएं। भूख लगने लगेगी और आंतों की सूजन भी ठीक हो जाएगी।
* खाली पेट पेठा खाने से शारीर में लचीलापन और स्फूर्ति बनी रहती है .

Thursday, 10 April 2014

Moles:
























Moles:
• Moles are round in shape, plain or raised spots on the skin
• They are harmless but their appearance can be a cosmetic concern
• Moles are present during birth but grow and darken with time
Symptoms to look for:
• Usually moles are black or brown in colour
• Some can even be red or pink
• Moles could also have hair growing out of them
Causes:
• Melanin gives the skin its colour 
• Over-active melanocytes in the body produce excess melanin resulting in moles
Natural home remedy using coriander leaves:
1. Crush some coriander leaves to make paste
2. Apply this paste on the spots
3. Let it stay overnight
Natural home remedy using pineapple:
1. Cut a pineapple
2. Rub on the moles for about 5-10 min
3. Do this several times a day
Natural home remedy using garlic:
1. Crush a few garlic cloves to make paste
2. Apply this paste on the mole
3. Hold it for 30 min using a bandage or cloth
4. Do this every day for 2-3 weeks
Natural home remedy using cashew nuts:
1. Take ½ bowl of crushed cashew nuts
2. Add some water to make a paste
3. Apply this paste on moles
4. Applying this paste regularly will help fade the marks

Wednesday, 9 April 2014

नज़र उतारने के उपाय




















नज़र उतारने के उपाय

नजर लग जाना कोई बीमारी नहीं , बल्कि उपरी हवाओ के समान ही एक ऐसी समस्या है जिसका मेडिकल और हकीम डॉक्टरो के पास कोई इलाज नहीं | नजर की काट टोटके और गंडे तावीज ही हैं , कोई भी दवा बुरी नजर से ग्रस्त बालक को ठीक नहीं कर पाती | सबसे बड़ी बात तो यह हैं कि दुसरो की ही नहीं , स्वयं माता पिता तक की नजर बालको को अक्सर ही लग जाती हैं | जब आपका बालक बुरी नज़र का शिकार हो जाए, तब इधर - उधर भटकने की बजाय इन टोनों - टोटकों को स्वयं ही कर लीजिए | कुदृष्टी के शिकार बालक को स्वस्थ करने में रामबाण औषधि का कार्य करते हैं ये टोने - टोटके और गंडे तावीज |

नजर हटाने वाले उपाय

1. जिस स्त्री या पुरुष पर आपको संदेह हो कि उसकी नजर बच्चे को लगी हैं , तो उसका हाथ बच्चे के सिर पर फिकवा दें | नजर उतर जाएगी |

2. गाय के ताज़ा गोबर का दीपक बनाकर, उसमे छोटा सा गुड का एक टुकड़ा और सरसों का तेल डालकर घर के प्रमुख द्वार की देहलीज़ के मध्य जलाकर नजर लगे या बच्चे को दिखाकर दीपक की ज्योति को किसी चमड़े की चप्पल से बुझा दें | इससे नजर उतर जाएगी |

3. रविवार के दिन बच्चे के सिर से तीन बार दूध उतारकर मिट्टी के पात्र में भर दे और कुत्ते को पिला दें |

4. शनिवार के दिन हनुमानजी के मदिर से हनुमानजी के कन्धों का सिन्दूर लाना चाहिए और नजर लगे व्यक्ति के मस्तिक पर लगाना चाहिए |

5.बुरी नजर उतारने के लिए राई के सात दाने , नमक की सात छोटी - छोटी डली , सात साबुन लाल मिर्च नजर से पीड़ित बच्चे के सिर के उपर से सात बार उतारकर जलती आग में दाल दें | इस क्रिया को करते समय किसी की टोक नहीं होनी चाहिए | साथ हे ये समस्त कार्य बाएं हाथ से करने चाहिए | आग के लिए लकड़ी देसी आम की होनी चाहिए |

6. नजर लगे व्यक्ति के उपर से फिटकिरी उतारकर उसे बाएं हाथ से कूट लें और फिर उस चूर्ण को कुएं में दाल देना चाहिए | नजर उतर जाएगी |

7. लहसुन, बाक, राई, नमक, प्याज़ के छिलके एवं सूखी लाल मिर्च | ये सब नजर लगे बच्चे पर सात बार उतारकर अंगारों पर दाल दें | जलने पर बदबू नं आये तो समझें नजर लगी हैं | इससे नजर उतर जाएगी |

8. किसी भी दिन साएकाल में गाय का कच्चा दूध मिट्टी के किसी पात्र में भरकर, बाएं हाथ से नजर लगे बच्चे के सिर से सात बार उतारकर चौराहे पर रख आएं अथवा किसी कुत्ते को पिला दे | कुत्ता आपका पालतू नहीं होना चाहिए |

9. दुकान को नजर लगी हो तो रविवार अथवा मंगलवार के दिन लाल मिर्चे धागे में पिरोएं और बीच में नींबू पिरो दें | फिर इन्हें दुकान के प्रवेश द्वार पर माला की तरह बांध दें | नजर उतर जाएगी |

10. अस्वस्थ व् नजर लगे व्यक्ति के उपर चारो ओर से फिटकिरी का टुकड़ा घुमाकर चूल्हे में दाल दें | तीन दिन लगातार तीनो समय यह क्रिया करे, नजर उतर जाएगी और व्यक्ति या बच्चा स्वस्थ हो जायेगा |

नजर कैसे उतारे

1. ज्वार के आटे से एक ओर कच्ची ओर पक्की रोटी तेयार कराएं तथा पके हिस्से पर घी चुपड़ लें | तत्पश्चात इसको पीले धागे में लपेटकर, नजर से प्रभावित बच्चे या बड़े पर सात बार उतारकर किसी चौराहे पर चुपचाप रखवा दें | कुदृष्टी का प्रभाव समाप्त हो जायेगा |

3. गाय के ताज़े गोबर का दीपक बनाकर उसमे गुड का छोटा सा टुकड़ा और सरसों का तेल डालकर, घर के प्रमुख द्वार की देहलीज़ के मद्ये जलाकर नजर लगे व्यक्ति या बच्चे को दिखाकर, दीपक की लौ को चमड़े के जूते या चप्पल से बुझा दें | नजर उतर जाएगी |

3. इस उतारे के लिए चौराहे की रेत मौन रहकर लाएं | फिर रेत में नमक, राई व् सात साबुन लाल मिर्च मिलाकर, शनिवार व् रविवार को तीनो समय सुबह, दोपहर व् शाम को सूर्यास्त के समय उस व्यक्ति के उपर से उतारकर चूल्हे में डाल दें | जैसी भी नजर होगी, उतर जाएगी |

4. नजर लगे व्यक्ति के उपर चारों ओर से फिटकिरी का टुकड़ा घुमाकर चूल्हे में दल दें | तीन दिन तक यह प्रयोग करने से नजर उतर जाती हैं |

Tuesday, 8 April 2014

Charoli seeds (Chironji in Hindi)



Charoli seeds (Chironji in Hindi) are a great way to boost your wellness:

-They provide body strength and sharpen your concentration
-Their extract acts as a digestive tonic and blood purifier
-They enhance liver health and add radiance to your skin
-They are helpful in diarrhoea, ulcers, urinary infections and blood disorders
-They act as an aphrodisiac, increase haemoglobin and improve eyesight 

Monday, 7 April 2014

Simple tip for sun stroke














Simple tip for sun stroke

1.Take ripen tamarind fruit with out seeds , 25 gms in weight or one lemon size . wash and soak in cup of water for 1/2 hr . squeeze 
and add 1 glass of water to it . Filter the juice and add 4 to 5 spoons of sugar to it . 

This juice reduces sun stroke complications , healthy person can take one glass of juice daily in summer . This prevents from sunstroke 
and protects health in summer.

2. Take fresh onion juice apply on both sides of forehead ( temporal region ) and on chest it will reduce complications of sun stroke.

3. For general weakness in summer : ( in hindi : mehndi ; english : henna ; sanskrit : madayanti ; scientific name : lawsonia inermis )
Take 10gms of fresh henna leaves wash and soak in 250ml of water for night . In early morning squeeze leaves to small pieces filter it 
and add 50gms of misri powder( sugar crystals ) to it . Take 1glass daily it is very good blood purifier , increases body strength in summer.