कन्धरासन
विधि:
* सीधे लेटकर दोनों घुटनों को मोड़कर पैरों को नितम्ब के समीप रखें।
* हाथों से पैर की एड़ी के ऊपरी हिस्से को पकड़े।
* श्वास अंदर भरकर कमर एवं नितम्बों को उठायें, कंधे, सर एवं एड़ियाँ भूमि पर टिके रहें, इस स्थिति में 15 से 20 सेकण्ड तक रुकें।
* वापस आते समय श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर को भूमि पर टिकायें, इस प्रकार 3 से 4 आवृति करें।
लाभ:
* सूर्य केंद्र (नाभि) को केन्द्रित रखने के सर्वोत्तम आसन है, पेट दर्द, कमर दर्द में उपयोगी है।
* गर्भाशय के लिए विशेष लाभप्रद आसन है, वन्ध्यात्व, मासिक विकृति, श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर एवं पुरूषों के धातुरोगों को दूर करता है।
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