रक्त में शर्करा की मात्रा अधिक होना और मूत्र में शर्करा होना 'मधुमेह' रोग होना होता है। यहाँ मधुमेह रोग को नियन्त्रित करने वाली परीक्षित और प्रभावकारी घरेलू चिकित्सा में सेवन किए जाने योग्य आयुर्वेदिक योग 'मधुमेह नाशक चूर्ण' का परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है।
सामग्री - नीम के सूखे पत्ते 20 ग्राम, ग़ुडमार 80 ग्राम, बिनोले की मींगी 40 ग्राम, जामुन की गुठलियों की मींगी 40 ग्राम, बेल के सूखे पत्ते 60 ग्राम।
निर्माण विधि - सब द्रव्यों को खूब कूट-पीसकर मिला लें और इस मिश्रण को तीन बार छानकर एक जान कर लें। छानकर किसी कांच के जार आदि में भरकर इस्तेमाल करें।
मात्रा और सेवन विधि - आधा-आधा चम्मच चूर्ण, ठण्डे पानी के साथ सुबह शाम सेवन करें।
लाभ - यह योग मूत्र और रक्त में शर्करा को नियन्त्रित करता है। इसका प्रभाव अग्न्याशय और यकृत के विकारों को नष्ट कर देता है। इसका सेवन कर मधुमेह रोग को नियन्त्रित किया जा सकता है। इसके साथ वसन्त कुसुमाकर रस की एक गोली प्रतिदिन लेने से यह रोग निश्चित रूप से नियन्त्रित रहता है।
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