प्राकृतिक दिनचर्या [भाग - १ ]
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प्रकृति हमारे जीवन का अभिन्न अंग है | हमें प्राकृतिक दिनचर्या का पालन करना चाहिये क्योंकि इसी से हम अपने आपको स्वस्थ एवं निरोगी रख सकते हैं |
आज हम आपको प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों से अवगत कराएंगे --
१-प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिए । सुबह उठते समय बायीं करवट लेकर उठना चाहिए |
२-उठने के बाद तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी , तीन-चार गिलास की मात्रा में बासी मुँह पीना चाहिए | सुबह के समय , खाली पेट ,चाय का सेवन नहीं करना चाहिए |
३-शौच के लिए जाने में किसी प्रकार का आलस्य नहीं करना चाहिए तथा शौच के समय दांतों को दबाकर रखना चाहिए , इससे हमारे दांत मजबूत होते हैं । सूर्य की ओर मुख करके मलमूत्र का त्याग नहीं करना चाहिए |
४-दांतों की सफ़ाई के लिए नीम की दातुन का प्रयोग करना चाहिए |
५-सुबह के समय हमें अवश्य ही टहलना चाहिए तथा प्राणायाम व आसन का अभ्यास भी अवश्य करना चाहिए |
प्राकृतिक दिनचर्या [भाग - २ ]
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प्रकृति हमारे जीवन का अभिन्न अंग है | हमें प्राकृतिक दिनचर्या का पालन करना चाहिये क्योंकि इसी से हम अपने आपको स्वस्थ एवं निरोगी रख सकते हैं |
आज हम आपको प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों से अवगत कराएंगे ----
१-स्नान करने से पहले १० मिनट के लिए शरीर की मालिश करनी चाहिए | यदि प्रतिदिन यह संभव न हो तो सप्ताह में एक दिन ऐसा अवश्य करें |
२- भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए तथा भूख से थोड़ा कम ही खाना चाहिए , इससे पाचन सम्बन्धी विकार नहीं होते हैं |
३-भोजन करने के बाद थोड़ी देर वज्रासन में अवश्य बैठना चाहिए | रात्रि के भोजन के पश्चात 10-15 मिनट अवश्य टहलना चाहिए |
४-स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए | यदि हम प्रतिदिन चार - पांच तुलसी और नीम की पत्तियों का सेवन करें तो इससे शरीर में रोग नहीं होते हैं |
५-दिन में नहीं सोना चाहिए क्योंकि यह स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होता है |
६- रात को सोने से पूर्व पैर धोकर सोने से नींद अच्छी आती है | हमेशा पश्चिम या उत्तर दिशा की ओर पैर करके ही सोना चाहिए अथवा पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर सर करके ही सोना चाहिए | विशषकर विद्यार्धियों को पूर्व दिशा की ओर सर करके सोना चाहिए |
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