पेट की गैस
पेट में हवा भरने को उदर वायु, अफारा आना, गैस भरना, गैस बनना, वायु इकट्ठी होना कहते है। उदर वायु एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पेट में वायु एकत्रित होती है। आंतों और पेट दोनों में एक साथ वायु अपच अथवा कब्ज के कारण इकट्ठी होती है। वायु निगलने से जो वायु पेट में एकत्रित होती है, उसे 'स्ायविक उदर वायु' कहते हैं। स्वस्थ रहने के लिये भोजन में मसाले आवश्यक है। प्रायः हल्दी, धनिया, नमक, मिर्च इत्यादि मसालों के रूप में प्रयोग किये ही जाते हैं।
हींग भूनकर सेवन करने से वायु (वात), जीरा पित्त और गर्म मसाले कफ को ठीक करते हैं। रूखा भोजन गैस को बढ़ाता है। पेट में अधिक गैस रूखे भोजन के कारण ही बनती है। जिन व्यक्तियों को ज्यादा गैस बनती है, उन्हें अपने भोजन में चिकनाई, तेल, घी का प्रयोग कम करना चाहिए। रूखे भोजन में मसालेयुक्त सब्जियां, घी, दूध, दही, मीठा शामिल हों तो अच्छा है।
गैस दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं :-
पानी : गैस होने पर खाना खाने के बाद एक गिलास गर्म-गर्म पानी, जितना भी गर्म पीया जा सके, लगातार कुछ सप्ताह तक पीएं। ऐसा करने से गैस की बीमारी दूर होगी।
सौंफ : नींबू के रस में भीगी हुई सौंफ को भोजन के बाद खाने से पेट का भारीपन दूर होता है, गैस निकलती है, भूख लगती है तथा मल भी साफ होता है।
सेब : सेब का रस पाचन अंगों पर पतली तह चढ़ा देता है, जिससे वे संक्रमण तथा बदबू से बचे रहते हैं, गैस उत्पन्न होना रूक जाता है और मलाशय तथा निचली आंतों में दुर्गन्ध व संक्रमण नहीं होता।
हल्दी : पेट में गैस इकट्ठी होने से बहुत दर्द होता है। ऐसी स्थिति में पिसी हुई हल्दी और नमक पांच-पांच ग्राम गर्म पानी से लें। तुरन्त लाभ होगा।
काली मिर्च : 10 पिसी हुई काली मिर्च फांककर ऊपर से गर्म पानी में नींबू निचोड़कर सुबह-शाम पीते रहने से गैस बनना बंद हो जाती है। 6 काली मिर्च और 3 लौंग पीसकर स्वादानुसार नमक मिलाकर एक कप पानी में उबालकर पीएं। यह भी बहुत फायदेमंद है।
सरसों का तेल : नाभि के स्थान से हटने से, सही काम न करने से प्रायः पेट गैस, दर्द, भूख न लगना इत्यादि होते हैं। इनको दूर करने के लिए नाभि को सही बैठाना चाहिए। नाभि पर सरसों की तेल लगाने से लाभ होता है। रोग की तीव्रता होने पर रूई का फाया सरसों के तेल में भिगोकर नाभि पर रखें और पट्टी से बांधें।
अदरक : 6 ग्राम अदरक बारीक काटकर थोड़ा सा नमक दिन में एक बार लगाकर 10 दिनों तक भोजन से पहले खाएं। इससे पेट की गैस दूर होगी।
दूध : दूध उबालते समय उसमें एक पीपल डालकर पीएं।
पुदीना : प्रातः काल एक गिलास पानी में 25 ग्राम पुदीने का रस, 30 ग्राम शहद लाकर पीने से गैस की बीमारी में विशेष लाभ होता है।
बैंगन : ताजा लम्बे बैंगन की सब्जी, जब तक मौसम में बैंगन रहें, खाते रहें। इससे गैस की बीमारी दूर होगी।
अजवायन : 6 ग्राम पिसी हुई अजवायन में डेढ़ ग्राम काला नमक मिलाकर भोजन के बाद गर्म पानी के साथ फांक लें। इससे अफारा मिटता है, पेट की गैस बाहर निकलती है। भोजन में किसी भी रूप में अजवायन लेते रहें।
हींग : हींग को गर्म पानी में घोलकर नाभि से आसपास लेप करें। एक ग्राम हींग भूनकर किसी भी चीज के साथ खाने से भी लाभ होता है। यदि पेट दर्द गैस की वजह से हो तो दो ग्राम हींग आधा किलो पानी में उबाल लें। चौथाई पानी रह जाने पर गर्म-गर्म पीएं।
लौंग : पांच लौंग पीसकर उबलते हुए पानी में डालें, फिर कुछ ठंडा होने पर पीएं। इस प्रकार तीन बार हर रोज करें।
श्वांस : भोजन के बाद सीधे लेटकर आठ लम्बे श्वांस लें। दाहिनी करवट लेकर सोलह और अंत में बायीं करवट लेकर बत्तीस श्वांस लें। ऐसा करने से भोजन यथास्थान पहुंच जायेगा और गैस मुंह से डकार के रूप में या गुदा से अपान वायु के रूप में उसी समय निकल जाती है।
इस नुस्खे को नित्य नियम से करते रहने से आप गैस की बीमारी से बचे रहेंगे।
धनिया : दो चम्मच सूखा धनिया एक गिलास पानी में उबलाकर छानकर उस पानी को तीन बार बराबर मात्र में पीएं।
करेला : गैस ठीक करने के लिए करेले की सब्जी खाएं। करेले का रस भी बहुत लाभदायक है।
अमरूद : अमरूद के सेवन से गैस दूर होती है। अमरूद काटकर सैंधा नमक लगाकर सुबह-शाम खाने से पाचन शक्ति भी बढ़ती है।
गुड़ : खाना खाने के बाद गुड़ खाने से उदर वायु ठीक होती है।
मूली : भोजन के साथ मूली पर नमक व काली मिर्च डालकर दो माह तक नित्य खाएं। ऐसा करने से उदर वायु, गैस, अफारा नहीं बनता।
वज्र आसन : भोजन के बाद बीस मिनट तक वज्र आसन पर बैठे।
अपान मुद्रा : रोजाना 30 मिनट तक अपान मुद्रा में बैठें। गैस की बीमारी से निजात मिलेगी।
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