कैसे करें दांतों की देखभाल
दांतों संबंधी कुछ आम प्रक्रियाएं ऐसी हैं जिन्हें बहुत स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है परन्तु वास्तव में वे आपके लिए नुक्सानदायक हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि असल में यह बढिय़ा दांतों के लिए आपका शॉर्टकट नहीं हो सकता। सर गंगाराम अस्पताल के मैडीसन हैड डा. एस.पी. बयोत्रा के अनुसार, ‘‘माऊथवॉश हमेशा जरूरी नहीं होते। आज इंडस्ट्री बहुत बड़ी है और मार्कीटिंग से बचना बहुत मुश्किल परन्तु हम में से अधिकांश लोगों के लिए नियमित तौर पर ब्रश करना ही काफी है। ’’
यदि आप सोचती हैं कि मुंह की साफ-सफाई के लिए आप अपना सर्वश्रेष्ठ काम कर रही हैं तो हो सकता है ऐसा न हो। डा. बयोत्रा आगे कहते हैं, ‘‘इनमें से कुछ आदतें आपके लिए अच्छे की बजाय अधिक नुक्सान कर सकती हैं। वास्तव में माऊथवॉश का अधिक प्रयोग दांतों पर स्टेनिंग (दाग-धब्बों) और मुंह के सूखने का कारण बन सकता है। ’’
हालांकि बाजार में उपचारात्मक थैरेप्यूटिकतथा सौंदर्यात्मक कॉस्मैटिक माऊथवॉश उपलब्ध हैं, फिर भी इनमें से उपचारात्मक माऊथवॉश का इस्तेमाल दांतों के सडऩे, मसूढ़ों के रोगों और मुंह के कैंसर के कुछ मामलों जैसी समस्या का उपचार करने में भी किया जाता है। इसके अतिरिक्त फ्लोराइड आधारित तथा पोटाशियम नाइट्रेट आधारित माऊथवॉश भी बाजार में उपलब्ध हैं जो दांतों की संवेदनशीलता (सैंसिटिविटी) की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए बढिय़ा हैं। माऊथवॉश का लम्बे समय तक प्रयोग इसके प्रभाव को उल्टा कर देता है।
न्यू दिल्ली की दंत चिकित्सक डा. रीति मेहरा कहती हैं, ‘‘बाजार में कई कॉस्मैटिक माऊथवॉश बहुत प्रसिद्ध हैं परन्तु वास्तव में जैसा वे दावा करते हैं उसके अनुसार विभिन्न रोगों से आपके दांतों की रक्षा नहीं कर पाते। वे सांस की बदबू के विरुद्ध काम करने का वादा तो करते हैं परन्तु वास्तव में उनसे कोई सहायता नहीं मिलती क्योंकि वे छुपी हुई समस्या को और दबा देते हैं जो कुछ भी हो सकती है।’’
नियमित तौर पर दांतों की सफाई ही सांस की बदबू से लडऩे का एकमात्र तरीका है। अध्ययनों से पता चलता है कि सांस की बदबू से जूझ रहे 80 प्रतिशत लोगों को माऊथवॉश या च्यूइंगम का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं होती। सांस की बदबू के लिए हमारी जीभ पर मौजूद बैक्टीरिया जिम्मेदार होता है और इसकी नियमित तौर पर सफाई जरूरी है।
डा. रीति मेहरा कहती हैं, ‘‘मिंट स्प्रे या च्यूइंगम बैक्टीरिया को हटाने में बिल्कुल सहायता नहीं करते परन्तु वे समस्या को और छुपा देते हैं। दांतों को ब्रश करना एकमात्र प्रक्रिया है जो आपके मसूढ़ों तथा दांतों से जुड़े भोजन कणों को हटाने में बहुत सहायक सिद्ध होती है।’’
अधिक न करें
हालांकि बहुत से लोग ऐसे हैं जो मुंह की साफ-सफाई का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखते परन्तु ऐसे भी लोग हैं जो ऐसा अधिक करते हैं। डा. बयोत्रा के अनुसार, ‘‘यह एक आम धारणा है कि दांतों की नियमित सफाई मुंह की साफ-सफाई रखने का सबसे आदर्श तरीका है। बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपने दांतों को अधिक साफ रखते हैं। अक्सर ऐसा करने की जरूरत नहीं होती। जिन लोगों के दांतों में प्लॉक या स्टेन्स हों उन्हें ही ऐसा करना चाहिए।
सफेद दांतों के प्रति जुनून के चलते कई लोगों को दांतों की ब्लीचिंग के लिए दंत चिकित्सालय जाना पड़ता है। डा. मेहरा कहती हैं, ‘‘लोगों को यह समझ नहीं आता कि उपचार सिर्फ उन लोगों के लिए है जिन लोगों के दांत किसी आनुवांशिक समस्या, धूम्रपान या तम्बाकू चबाने के कारण काले हो चुके हैं। वे यह नहीं समझ पाते कि यह एक अस्थायी हल है और यह एक वर्ष से अधिक नहीं जाएगा। साथ ही इसमें बहुत सारी पूर्व सावधानियां बरतनी होती हैं।’’
लगातार ब्लीचिंग से दांतों का एनेमल उखडऩे लगता है जिससे दांत सैंसिटिव हो जाते हैं और इन पर स्टेन्स का खतरा पैदा हो जाता है। दांतों के स्वास्थ्य को यकीनी बनाने के लिए कुछ आसान से मापदंडों को अपनाना बढिय़ा रहता है। मुंह की साफ-सफाई आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य की खिड़की है इसलिए मुंह को नियमित तौर पर साफ करना, दांतों को फ्लॉस करना तथा समय-समय पर दंत चिकित्सक के पास जाना यकीनी बनाना ही आपके लिए अच्छा है।
टंग पियर्सिंग अच्छी नहीं
हो सकता है किसी की जीभ में लगा हुआ स्टड एकदम आपका ध्यान खींच ले परन्तु यह आपको गंभीर समस्या में डाल सकता है। डा. बयोत्रा कहते हैं, ‘‘युवाओं में टंग पियर्सिंग का बहुत क्रेज है। इसके कारण विभिन्न प्रकार की इन्फैक्शन्स के केस सामने आते हैं। इनमें दांतों के फ्रैक्चर, बैक्टीरियल इनफैक्शन, सूजन तथा अन्य कई समस्याएं शामिल हैं। युवा अधिकतर बाजार में ऐसे स्थानों पर पियर्सिंग करवाने जाते हैं जहां न तो ऐसे स्टड और न ही सूइयां स्टरलाइका की हुई होती हैं। ’’
कुछ लोगों में इन स्टड्स के कारण एलर्जिक रिएक्शन्स भी देखे गए हैं। यदि आप ऐसा करवाना ही चाहते हैं तो इस बात को यकीनी बनाएं कि ऐसा करने वाला सैंटर काफी जाना-माना और साफ-सफाई वाला हो।
क्या करें, क्या नहीं
1 पियर्सिंग के लिए किसी बढिय़ा प्रोफैशनल को चुनें।
2 सैंटर में साफ-सफाई के स्तर को अच्छी तरह जांचें।
3 इस बात को सुनिश्चित बनाएं कि पियर्सिंग करने वाला उपकरण स्टरलाइज्ड हो और इस प्रक्रिया के दौरान डिस्पोजेबल दस्ताने पहने जाएं।
4 पियर्सिंग करवाने के पहले 24 या 48 घंटों के दौरान सिर्फ नर्म खाद्यों का ही इस्तेमाल करें।
5 जब तक जख्म का उपचार चल रहा हो तब तक धूम्रपान या मदिरापान न करें।
6 अपने लिए अल्कोहल फ्री माऊथवॉश का चयन करें।
7 रक्त बहने, सूजन, बुखार तथा अन्य लक्षणों का ध्यान रखें और पता चलने पर शीघ्र डाक्टर से सम्पर्क करें।
दांतों संबंधी भ्रांतियां और उनका निवारण
भ्रांति 1
सांस की बदबू सिर्फ घटिया तरीके से ब्रश करने के कारण ही होती है।
निवारण
सांस की बदबू कई अन्य कारकों से भी हो सकती है और इनमें से एक है दांतों की साफ-सफाई का ध्यान न रखना। इसके अतिरिक्त लहसुन या प्याज जैसे खाद्यों को भी इसका दोषी माना जा सकता है। सांस की बदबू किसी छुपी हुई समस्या का संकेत भी हो सकती है।
भ्रांति 2
खाने के बाद शूगरफ्री गम चबाना ब्रश करने जैसा ही प्रभावी है।
निवारण
हालांकि यह आपके दांतों की सफाई और सांस को ताजा करने में सहायता कर सकता है परन्तु यह अच्छी तरह ब्रश करने और प्लॉक हटाने का स्थान नहीं ले सकता।
भ्रांति 3
यदि आपके दांतों में सडऩ हो तो आपको पता चल जाएगा।
निवारण
हमेशा ऐसा नहीं होता क्योंकि दांतों की सडऩ के स्पष्ट लक्षण नहीं होते।
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