गर्दन में दर्द (Cervical Spondylosis):
हमें पूर्ण विश्वास है कि 'नियमित सदस्य' इस पोस्ट को पढ़ेंगे भी, ज्यादा से ज्यादा लाभ भी लेंगे और अन्यों को ज्यादा से ज्यादा लाभ देंगे भी, साथ ही साथ आप सभी इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा share भी अवश्य करेंगे। तो आईए देखते हैं, क्या है रूपरेखा?
रूपरेखा:-
[A] सामान्य परिचय, कारण।
[B] लक्षण।
[C] परामर्श।
[D] घरेलू उपाय।
[A] सामान्य परिचय, कारण:-
१/. गर्दन में दर्द अर्थात Cervical Spondylosis किसी भी उम्र वाले व्यक्ति को, कभी भी, किसी भी समय हो सकता है।
२/. कई बार ऐसा होता है कि हम रात में सोते हैं और जैसे ही सुबह उठते हैं तो पता चलता है कि हमारे गर्दन में काफी दर्द हो रहा है।
३/. कभी-कभी तो गर्दन ऐसे अकड़ती है कि यह सीधी ही नहीं होती और जिस दिशा में गर्दन अकड़ी होती है, 'गर्दन और सिर को भी उसी दिशा में रखना' हमारी मजबूरी बन जाती है। गर्दन में जरा-सा लोच आता नहीं कि दर्द शुरू हो जाता है।
४/. वैसे, गर्दन के दर्द में हमें कोई गंभीर नुकसान का खतरा तो नहीं रहता, लेकिन फिर भी सावधानी बरतना और दर्द हो जाने पर इसे दूर करने के लिए समुचित प्रबंध करना ही हर दृष्टि से सुरक्षित होता है। क्योंकि कुछ कहा नहीं जा सकता, क्या पता, यह समस्या, कब गँभीर समस्या बन जाए?
५/. बच्चों एवं युवाओं एवं प्रौढ़ों में सरवाईकल स्पांडिलाइसिस या सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस गर्दन के आसपास के मेरुदंड की हड्डियों की असामान्य बढ़ोतरी और गर्दन के कशेरुकाओं के बीच के इंटरवर्टिब्रल डिस्क में कैल्सियम का डी-जेनरेशन इन discs के अपने स्थान से सरक जाने की वजह से होता है। वृद्धों में सरवाइकल मेरुदंड में डी-जेनरेटिव बदलाव साधारण क्रिया है और सामान्यतया इसके कोई लक्षण भी नहीं उभरते। सामान्यतः C5-C6, C6-C7 और C4 और C5 के बीच के डिस्क ही ज्यादातर प्रभावित होते हैं।
६/. गर्दन में दर्द की शुरूआत कई सामान्य कारणों से होती है जैसे : लगातार लंबे समय तक कंप्यूटर या लैपटॉप पर बैठे रहना, बेसिक या मोबाईल फोन पर गर्दन झुकाकर देर तक बात करना, लेटकर टीवी देखना, अधिक समय तक टीवी देखना, लम्बे समय तक गर्दन को झुकाकर पढ़ाई-लिखाई व अन्य कार्य करना, जोर से गर्दन को झटका देना अथवा किसी कारण से गर्दन पर जोर का झटका पड़ना, ज्यादा ऊँचे और कठोर तकिये का इस्तेमाल करना, तथा और फास्ट-फूड्स व जंक-फूड्स एवं अन्य अनियमित एवं गरिष्ठ भोजन का सेवन करना, इस मर्ज के होने के कुछ प्रमुख कारण हैं।
[B] लक्षण:-
डी-जेनरेटिव परिवर्तनों के कारण होने वाले वाले सरवाईकल स्पांडिलाइसिस में किसी प्रकार के लक्षण दिखाई नहीं देते और ना ही रोगी को कोई विशेष असुविधा महसूस होती है। सामान्यतः लक्षण तभी दिखाई देते हैं जब सरविकल नस या मेरुदंड में दबाव या खिंचाव होता है ऐसी स्थिति में निम्नलिखित समस्याएँ नजर आती हैं:
१/. गर्दन में दर्द जो बाजू और कंधों तक जाता हो।
२/. गर्दन में अकड़न जिससे सिर हिलाने में तकलीफ होती हो।
३/. सिरदर्द विशेषकर सिर के पीछे के भाग में (ओसिपिटल सिरदर्द)।
४/. कंधों, बाजुओं और हाथ में झुनझुनाहट, असंवेदनशीलता या जलन होना।
५/. मिचली, उल्टी या चक्कर आना।
६/. माँसपेशियों में कमजोरी या कंधे, बाँह या हाथ की माँसपेशियों की क्षति होना।
७/. निचले अंगों में कमजोरी जैसे मूत्राशय और मलद्वार पर नियंत्रण न रहना आदि।
[C] परामर्श:-
वैसे तो इसका उपचार अपने घर पर ही किया जा सकता है, लेकिन जब कभी लगे कि यह दर्द गंभीर होता जा रहा है, तब ऐसी स्थिति में किसी प्राकृतिक/आयुर्वेदिक चिकित्सक/चिकित्सालय, फिजियोथेरेपिस्ट, डॉक्टर-विशेषज्ञ की सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए, क्योंकि गर्दन शरीर का बेहद नाजुक और अहम हिस्सा होता है।
[D] घरेलू उपाय:-
१/. जबतक दर्द सामान्य अथवा पूरी तरह ठीक नहीं हो जाता तबतक सरविकल कॉलर के उपयोग से गर्दन का 'हिलना-डुलना' नियंत्रित रखना चाहिए।
२/. गर्दन को मध्य से बायीं ओर हौले-हौले पाँच से दस बार घुमाएँ। ठीक इसी प्रकार दायीं दिशा में पाँच से दस बार घुमाएँ। अब पाँच से दस बार, एक बार बायीं ओर तो एक बार दायीं ओर, इस तरह घुमाएँ, इसके बाद अपने सिर एवं गर्दन को इतनी ही बार दाएँ-बाएँ कंधे की ओर झुकाएँ। अंत में गर्दन एवं सिर से, सिर्फ पीछे की ओर, दाएँ-बाएँ, अर्ध-चंद्रकार, तब तक रगड़ते रहें, जब तक कि इस क्रिया को सहजता के साथ कर सकते हों। जब दर्द होने लगे तो इस क्रिया को करना बंद कर दें। अब गर्दन एवं सिर को आहिस्ता-आहिस्ता पूर्ण घेरा बनाते हुए, गोलाकार, पाँच से दस बार, पहले एक दिशा में घुमाएँ। तत्पश्चात इतनी ही बार दिशा बदलकर दूसरी दिशा में घुमाएँ। अंत में one by one इतनी ही बार, बाएँ-दाएँ / बाएँ-दाएँ, घुमाएँ।
३/. गर्दन में दर्द होने पर किसी भी दर्द निवारक तेल से अथवा सरसों के तेल में लहसुन की कलियों को कड़कड़ा कर, हलके गर्म तेल से, हल्की-हल्की मालिश करें। मालिश, ध्यानपूर्वक, गर्दन से कंधे की ओर ही करें।
४/. मालिश के बाद गर्म पानी की थैली से या काँच की बोतल में गर्म पानी भरकर दर्द वाले भाग की सिकाई करें। सेंक के तुरंत बाद खुली हवा में न जाएँ और कोई ठंडा पेय भी न पिएँ।
५/. लेटकर टीवी न देखें। अधिक समय तक टीवी न देखें। इसी प्रकार लगातार गर्दन/सिर को झुकाकर काम न करें, अगर ये सब कार्य करने ही हों तो बीच-बीच में उठकर टहल लिया करें।
६/. सोते समय, बेहतर होगा कि, तकिये का प्रयोग न करें और अगर करना ही हो तो कम ऊँचाई वाले, पतले रुई के तकिये का प्रयोग करें। बिस्तर का समतल होना भी जरूरी है।
७/. कठोर तकिये एवं फोम के गद्देदार बिस्तर का प्रयोग न करें। ये गर्दन में दर्द का कारण बन सकते हैं।
८/. एकदम कम मिर्च-मसालेदार, हल्का, सुपाच्य, सात्विक आहार का ही सेवन करें। फ़्रिज एवं अन्य सभी ठंडी चीजों के सेवन से बचें।
९/. गर्म पानी के एनिमा द्वारा आँतों की सफाई करें। 3 से 4 सप्ताह में गर्दन का दर्द ठीक हो जाएगा।