Friday 26 June 2015

सर्वांगासन और भुजंगासन से याददाश्त अच्छी होती है















सर्वांगासन और भुजंगासन से याददाश्त अच्छी होती है
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याददाश्त से जुड़ी छोटी-छोटी समस्याएं हम सभी के जीवन से जुड़ी होती हैं। किसी बीमारी से परेशान हों तो डॉक्टर के परामर्श से हम ठीक हो जाते हैं लेकिन याददाश्त से संबंधित समस्याओं का हल खोजना हमारे लिए मुश्किल होता है। ऐसे में अच्छी डाइट, सेहतमंद जीवनशैली के अलावा योगासनों से भी याददाश्त तेज करने में मदद मिल सकती है। अच्छी याददाश्त के लिए तरह-तरह के योगासन, ध्यान और प्राणायाम का नियमित अभ्यास बहुत फायदेमंद है। योगासन से शरीर में रक्त व ऑक्सीजन का प्रवाह अच्छी तरह होता है जिससे मस्तिष्क में इनका समचार बिना किसी रुकावट के होता है। इससे मस्तिष्क स्वस्थ रहता है और याददाश्त अच्छी रहती है। वहीं प्राणायाम के दौरान शरीर की ऊर्जा का संतुलन बना रहता है। गहरी सांस लेने से दिमाग को भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन मिलता है जिससे दिमाग तेजी से काम करते है। वहीं ध्यान के निय‌मित अभ्यास से मानसिक शांति और तरोताजगी मिलती है।

सर्वांगासन
इस आसन के लिए पहले सीधे लेट जाएं, फिर पैरों को धीरे-धीरे उठाते हुए 90 डिग्री का कोण बनाएं। हाथों से कमर को सहारा दें। इस आसन में शरीर का सारा भार गर्दन पर पड़ना चाहिए। पैरों को सीधा रखें। कुछ क्षण बाद सामान्य मुद्रा में आ जाएं। इस आसन के नियमित अभ्यास से दिमाग में रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से होता है जिससे दिमाग तेज चलता है और अच्छी रहती है।

भुजंगासन 
भुजंगासन करने के लिए मैट पर पेट के बल लेट जाएं। दोनों हाथों को कंधों के पास रखें, धीरे-धीरे सिर और छाती को ऊपर उठाएं। सांस को सामान्य रखते हुए क्षमतानुसार रुकें। फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं। याददाश्त तेज करने के लिए यह आदर्श योगासन है। इसके अलावा, साटिका, स्लिप डिस्क, कमर दर्द, स्पोंडलाइटिस आदि समस्याओं में भी इससे बहुत आराम मिलता है।

Thursday 25 June 2015

Grandmother’s recipe for Blackberry Vinegar


















Recipe for Blackberry Vinegar

Ingredients

3lbs Blackberries
1 quart Vinegar
Sugar
How to prepare

Clean the blackberries, put them in a large bowl and pour the vinegar over them.
Cover with a cloth and allow to stand for a week.
Strain them and measure the juice.
Put the juice in a pan and boil it for 5 minutes.
Take it off the heat and stir in 1lb sugar to each pint of liquid.
Heat and stir till all the sugar is dissolved. Do not allow to boil again – this is not jam!
Let it cool before bottling. Cork firmly.
Directions for use

Dilute with equal parts of boiling water and vinegar to make a winter drink.

जामुन का सिरका


















जामुन का सिरका

सिरका बनाने की विधि- काले पके हुए जामुन साफ धोकर पोंछ लें। इन्हें मिट्टी के बर्तन में नमक मिलाकर मुँह साफ कपड़े से बाँधकर धूप में रख दें। एक सप्ताह धूप में रखने के पश्चात इसको साफ कपड़े से छानकर रस को काँच की बोतलों में भरकर रख लें। यह सिरका तैयार है।
जामुन साफ धोकर उपयोग में लें।

सिरका सेवन करने के फायदे
कब्ज और उदर रोग में जामुन का सिरका उपयोग करें। जामुन का सिरका गुणकारी और स्वादिष्ट होता है, इसे घर पर ही आसानी से बनाया जा सकता है और कई दिनों तक उपयोग में लाया जा सकता है।
मूली, प्याज, गाजर, शलजम, मिर्च आदि के टुकड़े भी इस सिरके में डालकर इसका उपयोग सलाद पर आसानी से किया जा सकता है।

Note: भोजन के बाद ही जामुन का उपयोग करें। जामुन खाने के एक घंटे बाद तक दूध न पिएँ। जामुन पत्तों की भस्म को मंजन के रूप में उपयोग करने से दाँत और मसूड़े मजबूत होते हैं।

गंजेपन का सफल इलाज











गंजेपन का सफल इलाज:-

जैसे की बाल झड़ना या बाल रहना ही ना
सबके लिए एक बहुत ही आसान सा उपाय 

कनेर के 60-70 ग्राम पत्ते (लाल या पीली दोनों में से कोई भी या दोनों ही एक साथ ) ले के उन्हें पहले अच्छे से सूखे कपडे से साफ़ कर लें ताकि उन पे जो मिटटी है वो निकल जाये.,. अब एक लीटर सरसों का तेल या नारियल का तेल या जेतून का तेल ले के उसमे पत्ते काट काट के डाल दें. अब तेल को गरम करने के लिए रख दें. जब सारे पत्ते जल कर काले पड़ जाएँ तो उन्हें निकाल कर फेंक दें और तेल को ठण्डा कर के छान लें और किसी बोटल में भर के रख लें.....

पर्योग विधि :- रोज़ जहाँ जहाँ पर भी बाल नहीं हैं वहां वहां थोडा सा तेल ले के बस 2 मिनट मालिश करनी है और बस फिर भूल जाएँ अगले दिन तक. ये आप रात को सोते हुए भी लगा सकते हैं और दिन में काम पे जाने से पहले भी... बस एक महीने में आपको असर दिखना शुरू हो जायेगा.. सिर्फ 10 दिन के अन्दर अन्दर बाल झड़ने बंद हो जायेंगे या बहुत ही कम... और नए बाल भी एक महीने तक आने शुरू हो जायेंगे......
नोट : ये उपाय पूरी तरह से tested है.. हमने कम से कम भी 10 लोगो पे इसका सफल परीक्षण किया है. एक औरत के 14 साल से बाल झड़ने बंद नहीं हो रहे थे. इस तेल से मात्र 6 दिन में बाल झड़ने बंद हो गये. 65 साल तक के आदमियों के बाल आते देखे हैं इस प्रयोग से जिनका के हमारे पास data भी पड़ा है.. आप भी लाभ उठायें और अगर किसी को फरक पड़े तो कृपया हमे जरुर बताये... 

चेतावनी: कनेर के पौधे में जो रस होता है वो बहुत ज़हरीला होता है. तो ये सिर्फ बाहरी प्रयोग के लिए है कोई गलती से भी इसे खाए न..

Wednesday 24 June 2015

Oil Massage to prevent hair loss















Oil Massage to prevent hair loss--

1 Coconut Oil Massage
Coconut Oil is perhaps the best oil for preventing hair loss. This oil is used extensively in India and no one can doubt the quality of hair that Indian women possess. Coconut oil acts as sealant by preventing hair from losing its moisture. Apart from the fine nutrition that it provides to your hair, the lauric acid in coconut oil has antibacterial properties that keep away your scalp from infections.

2 Olive Oil Massage
Olive Oil is rich in antioxidants and thus provide great nourishment to your hair. It also penetrates hair shafts better and prevent them from narrowing down by controlling the hormone called DTH. The extra virgin olive oil is best one when it comes to hair loss as it is rich in vitamin E and mono unsaturated fatty acids that not only prevents hair loss but also promotes hair growth.

3 Almond Oil Massage
Almond Oil is perhaps the most nutritious oil with its rich contents that include Vitamins E, D, iron, magnesium, calcium, and fats. In fact, almond oil can also be used carrier oil when applying essential oils to the scalp. It gets absorbed slowly and deeply into the hair which makes it a perfect base for essential oils. This way you can get benefits of both- herbal as well as essential oil!
Now, it’s the turn to know the essential oils that are best for preventing hair loss.

4 Lavender Oil Massage
Lavender Oil with its wonderful fragrance is beneficial for preventing hair loss due to its antioxidant nutrients as well as antifungul and antiseptic properties. This oil derived from lavender flowers treats dandruff as well as itching, controls hair breakage all to prevent hair loss. It deeply conditions the hair and also controls dandruff. Lavender oil is widely used to treat alopecia areata too.

Alopecia areata is a condition when excessive hair is lost and that too in patches. In such extreme cases daily massage with lavender oil is required. Jojoba and grapeseed oils can be used as base or carrier oil for any essential oil including lavender.

नाक से खून या नकसीर रोकने के घरेलू उपाय


















नाक से खून या नकसीर 

चिलचिलाती धूप और गर्मी मे कुछ लोगों को नाक से खून बहने की शिकायत होती है. नाक से खून आने को नकसीर कहते हैं. 
गर्मी में अकसर नकसीर की परेशानी होती है. कुछ लोगों को गर्म चीजे खाने से भी नकसीर आती है. बार-बार नाक से खून आना या नकसीर बहना ठीक नहीं होता.

नाक से खून या नकसीर रोकने के घरेलू उपाय......

* ठंडा पानी सिर पर धार बनाकर डालने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है.

* नकसीर आने पर नाक की बजाय मुंह से सांस लेना चाहिए.

* प्याज को काटकर नाक के पास रखने और सूंघेने से नाक से खून आना बंद हो जाता है.

* नाक से बहने पर सिर को आगे की ओर झुकाना चाहिए.

* सुहागे को पानी में घोलकर नथुनों पर लगाने से नकसीर बंद हो जाती है.

* बेल के पत्तों का रस पानी में मिलाकर पीने से फायदा होता है.

* गर्मियों के मौसम में सेब के मुरब्बे में इलायची डालकर खाने में नकसीर बंद हो जाती है.

* बेल के पत्तों को पानी में पकाकर उसमें मिश्री या बताशा मिलाकर पीने से नकसीर बंद हो जाती है.

* ज्यादा तेज धूप में घूमने की वजह से नाक से खून बह रहा हो तो सिर पर ठंडा पानी डालने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है.

* नकसीर आने पर कपड़े में बर्फ लपेटकर रोगी की नाक पर रखने से भी नकसीर रूक जाती है.

* एक बड़ा चम्मच मुलतानी मिट्टी रात को आधा लीटर पानी में भिगोकर रख दें. सुबह को उस पानी को निथारकर पीने से नाक से खून आने की परेशानी से फायदा मिलेगा.

* लगभग 15-20 ग्राम गुलकंद को सुबह-शाम दूध के साथ खाने से नकसीर का पुराने से पुराना मर्ज भी ठीक हो जाता है।

सूर्य नमस्कार - योगासन व प्राणायाम का मिला जुला रूप



























सूर्य नमस्कार - योगासन व प्राणायाम का मिला जुला रूप :

सूर्य नमस्कार में सभी आसन आ जाते हैं, एवं इससे शरीर में लोच बनी रहती है । सूर्य नमस्कार शरीर में प्राण को संतुलित व लयबद्ध करता है जिससे शरीर में नई शक्ति का संचार होता है। इसे करते वक्त श्वास-प्रश्वास का ध्यान रखना है ।
यह बहुत ही शक्तिशाली तथा प्रभावशाली विधि है, लेकिन शुरू में इसका अभ्यास किसी योग्य योगाचार्य की देखरेख में ही करना चाहिए, ताकि किसी तरह के दुष्प्रभाव से भी बचे रह सकें।

अभ्यास की विधि

प्रथम अवस्था
प्रणाम मुद्रा: सीधे खडे हो जाएं। दोनों हाथों को सीने के सामने प्रणाम की मुद्रा में रखें। पैर के पंजों को आपस में जोड़ लें। सजग रहते हुए एक गहरी श्वास-प्रश्वास लें तथा उस पर मन को अच्छी तरह से एकाग्र करें। इस अवस्था में ‘ॐ मित्राय नम:’ का उच्चारण कर सकते हैं।

दूसरी अवस्था 
हस्त उत्तानासन: प्रणाम मुद्रा के तुरन्त बाद दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएं। दोनों हाथों में कंधों की चौड़ाई के बराबर अन्तर रखते हुए सिर, धड़ तथा हाथों को यथासम्भव पीछे झुकाएं। यह क्रिया श्वास अन्दर लेते हुए करें। उस समय मन को एकाग्र रखें। इस अवस्था में ‘ॐ रवये नम:’ का उच्चारण कर सकते हैं।

तीसरी अवस्था 
पाद हस्तासन: दूसरी अवस्था के तुरन्त बाद श्वास बाहर निकालते हुए सामने की ओर इस प्रकार झुकें कि हथेलियां पैरों के अगल-बगल जमीन पर आ जाएं तथा माथा घुटने को स्पर्श करे। किन्तु, अनावश्यक जोर न लगाएं। इस अवस्था में ‘ॐ सूर्याय नम:’ का उच्चारण कर सकते हैं।
सीमाएं: स्लिप डिस्क, स्पॉन्डिलाइटिस, सायटिका तथा तीव्र कमर दर्द के रोगी सूर्य नमस्कार की इस अवस्था का अभ्यास न करें।

चौथी अवस्था 
अश्व संचालन आसन: इसके बाद सजगता के साथ श्वास अन्दर लेते हुए बांये पैर को अधिकतम पीछे ले जाएं। दाएं पैर को घुटने से मोड़ें। इस पैर के पंजे तथा हथेलियों को अपने स्थान पर पूर्ववत रखें। बाएं पैर का पंजा तथा दोनों हाथ, बायां घुटना तथा दाएं पैर के पंजे पर शरीर का भार रखें। सिर को अधिकतम पीछे रखते हुए, कमर को धनुषाकार बनाएं तथा दृष्टि ऊपर की ओर रखें। अंतिम अवस्था में थोड़ी देर रुककर शरीर के अंगों पर पडम्ने वाले दबाव का अनुभव करें। इस अवस्था में ‘ॐ भानवे नम:’ का उच्चारण करें।

पांचवीं अवस्था
पर्वतासन: इसके पश्चात् दाएं पैर को भी बाएं पैर के पास सजग रहते हुए ले जाएं। नितम्बों को अधिकतम ऊपर उठाएं तथा सिर को दोनों भुजाओं के बीच में रखें। अंतिम स्थिति में पैर तथा हाथ को सीधा एवं तना हुए रखते हुए हथेलियों और पैर के तलवों एवं एडियों को जमीन पर स्थित करने का प्रयास करें। इस अवस्था में मन को एकाग्र रखते हुए शरीर के विभिन्न अंगों पर पडम्ने वाले दबाव एवं खिंचाव का अनुभव करें। इस स्थिति में ‘ॐ 
पूष्णे नम:’ मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं।

छठवीं अवस्था
अष्टांग नमस्कार: इस अवस्था में नीचे जमीन पर इस प्रकार लेटें कि शरीर के आठ अंग जमीन को स्पर्श करें। इस बात का खास ध्यान रखें कि ठोढ़ी, सीना, दोनों हाथ, दोनों पैर के घुटने, दोनों पैर के पंजे जमीन को स्पर्श कर रहे हों। सीने और घुटने के बीच का भार जमीन को स्पर्श नहीं करेगा, बल्कि उठा रहेगा। थोड़ी देर इस अवस्था में रुकेंगे। इसमें ‘ॐ घेरंडाय नम:’ का उच्चारण कर सकते हैं।

सातवीं अवस्था
भुजंगासन: इसके बाद श्वास सजगतापूर्वक अन्दर लेते हुए हाथों को सीधा कर शरीर को कमर से ऊपर उठाएं। सिर को अधिकतम पीछे झुकाएं तथा कमर को धनुषाकार बनाएं। इस स्थिति में नाभि के नीचे का भाग जमीन पर रखें तथा ऊपर का भाग जमीन से ऊपर उठाएं। यह भुजंगासन की अंतिम स्थिति है। इस स्थिति में रुक कर शरीर के अंगों पर पड़ने वाले दबाव का निरीक्षण करें। इस स्थिति में ‘ॐ हिरण्यगर्भाय नम:’ मंत्र का उच्चारण करें।

आठवीं अवस्था
पर्वतासन: इसके बाद पुन: सूर्य नमस्कार की पांचवीं अवस्था पर्वत आसन में श्वास छोडंते हुए आएं। शरीर के अंगों पर पड़ने वाले दबाव का सजगतापूर्वक निरीक्षण करें। इस स्थिति में ‘ॐ मरीचये नम:’ नामक मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं।

नौवीं अवस्था
अश्व संचालन आसन: यह स्थिति सूर्य नमस्कार की चौथी अवस्था है। इस स्थिति में शरीर के अंगों पर मन को एकाग्र करते हुए उन पर पड़ने वाले दबाव का निरीक्षण करें। इस स्थिति में ‘ॐ आदित्याय नम:’ मंत्र का उच्चारण करें।

दसवीं अवस्था
पाद हस्तासन: यह स्थिति सूर्य नमस्कार की तीसरी अवस्था की पुनरावृत्ति है। इस स्थिति में सजग रहते हुए शरीर के अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव का निरीक्षण एवं अनुभव करें। इस स्थिति में ‘ॐ सवित्रे नम:’ मंत्र का उच्चारण करें।

ग्यारहवीं अवस्था
हस्त उत्तानासन: यह स्थिति सूर्य नमस्कार की दूसरी अवस्था की पुनरावृत्ति है। इस स्थिति में सजग रहते हुए शरीर के अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव का अनुभव करें। इस स्थिति में ‘ॐ अर्काय नम:’ मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं।

बारहवीं अवस्था 
प्रणाम मुद्रा: इसके बाद पुन: सूर्य नमस्कार की पहली अवस्था ‘प्रणाम मुद्रा’ में वापस आएं। इस स्थिति में ‘ॐ भास्कराय नम:’ मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं।

ये 12 अवस्थाएं सूर्य नमस्कार का आधा चक्र है। शेष आधा चक्र पूरा करने के लिए (13 से 24 अवस्थाएं) पुन: यही 12 क्रियाएं दुहराएं। इस अवस्था को दुहराते समय इस बात का ध्यान रखें कि अवस्था 4 में दाएं पैर को आगे के बजाए पीछे रखकर अभ्यास करते हैं।

कितने चक्रों का अभ्यास करें
प्रारम्भिक अभ्यासी इसके एक या आधे चक्र से अभ्यास प्रारम्भ करें। धीरे-धीरे चक्रों की संख्या अपनी क्षमतानुसार बढ़ाते जाएं। यह संख्या 5 से 50 तक कुछ भी रख सकते हैं।

कैसा हो क्रम
सूर्य नमस्कार गतिशील आसन माना जाता है। इसका अभ्यास आसनों के अभ्यास के पूर्व करना चाहिए। इससे शरीर सक्रिय हो जाता है, नींद, आलस्य व थकावट दूर हो जाती है।

सावधानी भी है जरूरी
क्षमता से अधिक चक्रों का अभ्यास या शरीर पर अनावश्यक जोर डालने का प्रयास बिल्कुल न करें। रोग से ग्रस्त लोग योग्य मार्गदर्शन में प्रयास करें।
एकाग्रता का ध्यान रखें

श्वास-प्रश्वास एवं शरीर के दबाव बिन्दु पर एकाग्रता बनाए रखें।

सीमाएं भी जानें

इसका अभ्यास सभी आयु वर्ग के लोग अपनी क्षमता का ध्यान रखते हुए कर सकते हैं। पाद हस्तासन का अभ्यास सायटिका, स्लिप डिस्क तथा स्पॉन्डिलाइटिस के रोगी कदापि न करें।

फ्रोजन शोल्डर की समस्या से ग्रस्त लोग पर्वतासन, अष्टांग नमस्कार तथा भुजंगासन का अभ्यास न करें।

महिलाएं मासिक धर्म एवं गर्भाधारण के दिनों में इसका अभ्यास न करें।

उच्च रक्तचाप तथा हृदय रोगी इसका अभ्यास योग्य मार्गदर्शन में करें।

बच्चों को इसका अभ्यास उचित मार्गदर्शन में कराएं ताकि कोई नुकसान न हो। 

इसके अभ्यास के लिए सुबह का समय चुनें ताकि खाली पेट कर पाएं और अभ्यास करने के आधे घंटे बाद ही खाएं।

फायदे ही फायदे

यह शरीर के सभी अंगों, मांसपेशियों व नसों को क्रियाशील करता है। 

इसके अभ्यास से शरीर की लोच शक्ति में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है। प्रौढ़ तथा बूढे़ लोग भी इसका नियमित अभ्यास करते हैं तो उनके शरीर की लोच बच्चों जैसी हो जाती है।

शरीर की सभी महत्वपूर्ण ग्रंथियों, जैसे पिट्यूटरी, थायरॉइड, पैराथायरॉइड, एड्रिनल, लीवर, पैंक्रियाज, ओवरी आदि ग्रंथियों के स्रव को संतुलित करने में मदद करता है। 

शरीर के सभी संस्थान, रक्त संचरण, श्वास, पाचन, उत्सर्जन, नाड़ी तथा ग्रंथियों को क्रियाशील एवं सशक्त करता है।

पाचन सम्बन्धी समस्याओं, अपच, कब्ज, बदहजमी, गैस, अफारे तथा भूख न लगने जैसी समस्याओं के समाधान में बहुत ही उपयोगी भूमिका निभाता है।
वात, पित्त तथा कफ को संतुलित करने में मदद करता है। त्रिदोष निवारण में मदद करता है।

इसके अभ्यास से रक्त संचालन तीव्र होता है तथा चयापचय की गति बढ़ जाती है, जिससे शरीर के सभी अंग सशक्त तथा क्रियाशील होते हैं।

इसके नियमित अभ्यास से मोटापे को दूर किया जा सकता है और इससे दूर रहा भी जा सकता है।

इसका नियमित अभ्यास करने वाले व्यक्ति को हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, मधुमेह, गठिया, कब्ज जैसी समस्याओं के होने की आशंका बेहद कम हो जाती है। 

मानसिक तनाव, अवसाद, एंग्जायटी आदि के निदान के साथ क्रोध, चिड़चिड़ापन तथा भय का भी निवारण करता है।

रीढ़ की सभी वर्टिब्रा को लचीला, स्वस्थ एवं पुष्ट करता है।

पैरों एवं भुजाओं की मांसपेशियों को सशक्त करता है। सीने को विकसित करता है।

शरीर की अतिरिक्त चर्बी को घटाता है।

स्मरणशक्ति तथा आत्मशक्ति में वृद्धि करता है।

सावधानी
सूर्य नमस्कार की तीसरी व पांचवीं स्थितियां सर्वाइकल एवं स्लिप डिस्क वाले रोगियों के लिए वर्जित हैं। कमर एवं रीढ़ के दोष वाले साधक न करें।

गोरी त्वचा पाने के घरेलू उपाय













गोरी त्वचा पाने के घरेलू उपाय :

भारत में गोरेपन को खूबसूरती का पैमाना माना जाता है। इसी खूबसूरती को हासिल करने के लिए तरह-तरह के उपाय भी किए जाते हैं। महंगी से महंगी क्रीम, लोशन आदि सबका उपयोग किया जाता है। लेकिन यह भी सच है कि रंगत केवल एक ही रात में नही बदली जा सकती इसमें समय लगता है। अगर आप भी अपनी रंगत को गोरा करना चाहते है तो घर में उपलब्‍ध चीजों की सहायता से ऐसा किया जा सकता है।

आइए जानें घरेलू उपायों के बारें में-

एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रसमिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है।

आंवले का मुरब्बा रोज खाने से दो-तीन महीने में ही रंग निखरने लगता है।

गाजर का जूस आधा गिलास खाली पेट सुबह लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है।

पेट को हमेशा ठीक रखें, कब्ज न रहने दें। 

अधिक से अधिक पानी पीएं।

चाय कॉफी का सेवन कम करें।

रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सोंफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।

गोरी त्वचा पाने के घरेलू उबटन -
इन सब उपायों के अलावा आप विभिन्न प्रकार के घरेलू उबटन लगा कर भी अपनी त्वचा की रंगत निखारी जा सकती है।

हल्दी पैक- त्वचा की रंगत को निखारने के लिए हल्दी एक अच्छा तरीका है। पेस्ट बनाने के लिए हल्दी और बेसन या फिर आटे का प्रयोग करें। हल्दी में ताजी मलाई, दूध और आटा मिला कर गाढा पेस्ट बनाएं, इस पेस्ट को अपने चेहरे पर 10 मिनट लगाएं और ठंडे पानी से धो लें।

हनी आल्मड स्क्रब- बादाम भी रंगत निखारने का काम करता है। रात को 10 बादाम पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उसे छील कर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट में थोड़ा सा शहद मिलाएं और इस पेस्ट को अपनी त्वचा पर लगाकर स्क्रब करें।

चंदन- गोरी रंगत देने के अलावा यह एलर्जी और पिंपल को भी दूर करता है। पेस्ट बनाने के लिए चंदन पाउडर में 1 चम्मच नींबू और टमाटर का रस मिलाएं और पेस्ट को अपने चेहरे और गर्दन में अच्छी तरह से लगाकर थोड़ी देर बाद ठंडे पानी से धो लें।

केसर पैक- उबटन बनाने के लिए आपको दही और क्रीम में थोड़ा सा केसर मिला लें। इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं। सूखने के बाद इसे धो लें। केसर के इस उबटन से भी कुछ दिन में आपकी त्वचा गोरी होने लगेगी।

चिरौंजी का पैक- गोरी रंगत के लिए मजीठ, हल्दी, चिरौंजी का पाउडर लें इसमें थोड़ा सा शहद, नींबू और गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे, गरदन, बांहों पर लगाएं और एक घंटे के बाद चेहरा धो दें। ऐसा सप्ताह में दो बार करने से चेहरे का रंग निखर जाएगा।

मसूर दाल पैक- मसूर की दाल का पाउडर लें इसमें नीबू का रस व कच्चा दूध मिलाकर पेस्ट बना लें। रोज इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं, सूखने पर ठंडे पानी से धो लें। चेहरे का रंग निखर जाएगा।

बेसन का उबटन- बेसन 2 चम्मच, सरसों का तेल 1 चम्मच और थोड़ा सा दूध मिला कर पेस्ट बना लें। पूरे शरीर पर इस उबटन को लगा लें। कुछ देर बाद हाथ से रगड कर छुडाएं और स्नान करें। त्वचा गोरी व मुलायम हो जाएगी।

इन सब घरेलू उपायों को अपना कर आप कुछ ही दिनों में स्वस्थ, सुंदर, चमकदार और गोरी त्वचा पा सकती है।

गोरी त्वचा पाने के घरेलू उपाय


गोरी त्वचा पाने के घरेलू उपाय :

भारत में गोरेपन को खूबसूरती का पैमाना माना जाता है। इसी खूबसूरती को हासिल करने के लिए तरह-तरह के उपाय भी किए जाते हैं। महंगी से महंगी क्रीम, लोशन आदि सबका उपयोग किया जाता है। लेकिन यह भी सच है कि रंगत केवल एक ही रात में नही बदली जा सकती इसमें समय लगता है। अगर आप भी अपनी रंगत को गोरा करना चाहते है तो घर में उपलब्‍ध चीजों की सहायता से ऐसा किया जा सकता है।

आइए जानें घरेलू उपायों के बारें में-

एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रसमिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है।

आंवले का मुरब्बा रोज खाने से दो-तीन महीने में ही रंग निखरने लगता है।

गाजर का जूस आधा गिलास खाली पेट सुबह लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है।

पेट को हमेशा ठीक रखें, कब्ज न रहने दें। 

अधिक से अधिक पानी पीएं।

चाय कॉफी का सेवन कम करें।

रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सोंफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।

गोरी त्वचा पाने के घरेलू उबटन -
इन सब उपायों के अलावा आप विभिन्न प्रकार के घरेलू उबटन लगा कर भी अपनी त्वचा की रंगत निखारी जा सकती है।

हल्दी पैक- त्वचा की रंगत को निखारने के लिए हल्दी एक अच्छा तरीका है। पेस्ट बनाने के लिए हल्दी और बेसन या फिर आटे का प्रयोग करें। हल्दी में ताजी मलाई, दूध और आटा मिला कर गाढा पेस्ट बनाएं, इस पेस्ट को अपने चेहरे पर 10 मिनट लगाएं और ठंडे पानी से धो लें।

हनी आल्मड स्क्रब- बादाम भी रंगत निखारने का काम करता है। रात को 10 बादाम पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उसे छील कर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट में थोड़ा सा शहद मिलाएं और इस पेस्ट को अपनी त्वचा पर लगाकर स्क्रब करें।

चंदन- गोरी रंगत देने के अलावा यह एलर्जी और पिंपल को भी दूर करता है। पेस्ट बनाने के लिए चंदन पाउडर में 1 चम्मच नींबू और टमाटर का रस मिलाएं और पेस्ट को अपने चेहरे और गर्दन में अच्छी तरह से लगाकर थोड़ी देर बाद ठंडे पानी से धो लें।

केसर पैक- उबटन बनाने के लिए आपको दही और क्रीम में थोड़ा सा केसर मिला लें। इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं। सूखने के बाद इसे धो लें। केसर के इस उबटन से भी कुछ दिन में आपकी त्वचा गोरी होने लगेगी।

चिरौंजी का पैक- गोरी रंगत के लिए मजीठ, हल्दी, चिरौंजी का पाउडर लें इसमें थोड़ा सा शहद, नींबू और गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे, गरदन, बांहों पर लगाएं और एक घंटे के बाद चेहरा धो दें। ऐसा सप्ताह में दो बार करने से चेहरे का रंग निखर जाएगा।

मसूर दाल पैक- मसूर की दाल का पाउडर लें इसमें नीबू का रस व कच्चा दूध मिलाकर पेस्ट बना लें। रोज इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं, सूखने पर ठंडे पानी से धो लें। चेहरे का रंग निखर जाएगा।

बेसन का उबटन- बेसन 2 चम्मच, सरसों का तेल 1 चम्मच और थोड़ा सा दूध मिला कर पेस्ट बना लें। पूरे शरीर पर इस उबटन को लगा लें। कुछ देर बाद हाथ से रगड कर छुडाएं और स्नान करें। त्वचा गोरी व मुलायम हो जाएगी।

इन सब घरेलू उपायों को अपना कर आप कुछ ही दिनों में स्वस्थ, सुंदर, चमकदार और गोरी त्वचा पा सकती है।

पृथ्वी मुद्रा










पृथ्वी मुद्रा:- सिर्फ पंद्रह मिनट रोज करे और बिना पेसे अपना वजन बढ़ाये.… 

* कम वजन किसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। सामान्य से कम वजन वाला व्यक्ति दुबला कहलाता है। जो व्यक्ति अधिक दुबला होता है वह किसी भी काम को करने में जल्द थक जाता है। ऐसे व्यक्तियों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।

* पाचन शक्ति में गड़बड़ी के कारण भी व्यक्ति अधिक दुबला हो सकता है। मानसिक, भावनात्मक तनाव, चिंता की वजह से भी व्यक्ति दुबला हो सकता है। इसके अलावा शरीर में हार्मोन्स असंतुलित हो जाने पर भी व्यक्ति दुबला हो सकता है। ज्यादातर लोग इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए कई जतन करते हैं लेकिन परिणाम नहीं मिलता है। वजन बढ़ाने के लिए योग व मुद्राओं से बेहतर दवा और कोई नहीं है।

* पृथ्वी मुद्रा इस समस्या का सबसे आसान उपाय मानी जाती है।

पृथ्वी मुद्रा:-
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* पृथ्वी मुद्रा-रिंग फिंगर के पोर को अंगूठे के पोर के साथ स्पर्श करने पर पृथ्वी मुद्रा बनती है। शेष तीनो अंगुलियां अपनी सीध में खड़ी होनी चाहिए। जैसे पृथ्वी सदैव पोषण करती है,इस मुद्रा से भी शरीर का पोषण होता है। शारीरिक दुर्बलता दूर कर स्फूर्ति और ताजगी देने वाली और बल वृद्धिकारक यह मुद्रा अति उपयोगी है। जो व्यक्ति अपने क्षीण काया (दुबलेपन) से चिंतित और व्यथित हैं वे यदि इस मुद्रा का निरंतर अभ्यास करें तो निश्चित ही दुबलेपन से मुक्ति पा सकते हैं। यह मुद्रा रोगमुक्त ही नहीं बल्कि तनाव मुक्त भी करती है। यह व्यक्ति में सहिष्णुता का विकास करती है। रोज इस मुद्रा का सिर्फ पंद्रह मिनट अभ्यास से कोई भी दुबलेपन से छुटकारा पा सकता है।

विधि :-
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* वज्रासन की स्थिति में दोनों पैरों के घुटनों को मोड़कर बैठ जाएं,रीढ़ की हड्डी सीधी रहे एवं दोनों पैर अंगूठे के आगे से मिले रहने चाहिए। एड़िया सटी रहें। नितम्ब का भाग एड़ियों पर टिकाना लाभकारी होता है। यदि वज्रासन में न बैठ सकें तो पदमासन या सुखासन में बैठ सकते हैं |

* दोनों हांथों को घुटनों पर रखें , हथेलियाँ ऊपर की तरफ रहें |

* अपने हाथ की अनामिका अंगुली (सबसे छोटी अंगुली के पास वाली अंगुली) के अगले पोर को अंगूठे के ऊपर के पोर से स्पर्श कराएँ |

* हाथ की बाकी सारी अंगुलिया बिल्कुल सीधी रहें ।

रक्खे कुछ सावधानियां :-
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* वैसे तो पृथ्वी मुद्रा को किसी भी आसन में किया जा सकता है, परन्तु इसे वज्रासन में करना अधिक लाभकारी है, अतः यथासंभव इस मुद्रा को वज्रासन में बैठकर करना चाहिए

समय व अवधि :-
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*पृथ्वी मुद्रा को प्रातः – सायं 24-24 मिनट करना चाहिए | वैसे किसी भी समय एवं कहीं भी इस मुद्रा को कर सकते हैं।

अन्य चिकित्सकीय लाभ :-
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* जिन लोगों को भोजन न पचने का या गैस का रोग हो उनको भोजन करने के बाद 5 मिनट तकवज्रासन में बैठकर पृथ्वी मुद्रा करने से अत्यधिक लाभ होता है ।

* पृथ्वी मुद्रा के अभ्यास से आंख, कान, नाक और गले के समस्त रोग दूर हो जाते हैं।

* पृथ्वी मुद्रा करने से कंठ सुरीला हो जाता है |

* इस मुद्रा को करने से गले में बार-बार खराश होना, गले में दर्द रहना जैसे रोगों में बहुत लाभ होता है।

* पृथ्वी मुद्रा से मन में हल्कापन महसूस होता है एवं शरीर ताकतवर और मजबूत बनता है।

* पृथ्वी मुद्रा को प्रतिदिन करने से महिलाओं की खूबसूरती बढ़ती है, चेहरा सुंदर हो जाता है एवं पूरे शरीर में चमक पैदा हो जाती है।

* पृथ्वी मुद्रा के अभ्यास से स्मृति शक्ति बढ़ती है एवं मस्तिष्क में ऊर्जा बढ़ती है।

* पृथ्वी मुद्रा करने से दुबले-पतले लोगों का वजन बढ़ता है। शरीर में ठोस तत्व और तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए पृथ्वी मुद्रा सर्वोत्तम है।

* जिस प्रकार से पृथ्वी माँ प्रत्येक स्थिति जैसे-सर्दी,गर्मी,वर्षा आदि को सहन करती है एवं प्राणियों द्वारा मल-मूत्र आदि से स्वयं गन्दा होने के वाबजूद उन्हें क्षमा कर देती है | पृथ्वी माँ आकार में ही नही वरन ह्रदय से भी विशाल है | पृथ्वी मुद्रा के अभ्यास से इसी प्रकार के गुण साधक में भी विकसित होने लगते हैं | यह मुद्रा विचार शक्ति को उनन्त बनाने में मदद करती है।

सूर्य-मुद्रा


















वजन घटाने का बिना खर्च आसान तरीका है "सूर्य-मुद्रा "...!

* योगासन को शरीर के लिए बहुत अधिक लाभदायक माना जाता है। योगासन की ही तरह रोजाना कुछ देर योग मुद्रा लगाकर बैठना भी बहुत फायदेमंद है।वैसे तो योग मुद्रा कई तरह की होती है लेकिन सूर्य मुद्रा लगाने के अनेक फायदे हैं। सूर्य की अंगुली यानी अनामिका,जिसे रिंग फिंगर भी कहते हैं, का संबंध सूर्य और यूरेनस ग्रह से है। सूर्य, ऊर्जा और स्वास्थ्य का प्रति-निधित्व करता है और यूरेनस कामुकता, अंतज्र्ञान और बदलाव का प्रतीक है।

सूर्य-मुद्रा बनाने की विधि :-
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* सूर्य की अंगुली को हथेली की ओर मोड़कर उसे अंगूठे से दबाएं। बाकी बची तीनों अंगुलियों को सीधा रखें। इसे सूर्य मुद्रा कहते हैं।अपने हाथ की अनामिका उंगली को अंगूठे की जड़ में लगा लें तथा बाकी बची हुई उंगलियों को बिल्कुल सीधी रहने दें। इस तरह बनाने से सूर्यमुद्रा बनती है।

* सूर्य मुद्रा को लगभग 8 मिनट तक करना चाहिए इसको ज्यादा देर तक करने से शरीर में गर्मी बढ़ जाती है। सर्दियों में सूर्य मुद्रा को ज्यादा से ज्यादा 24 मिनट तक किया जा सकता है।

* सिद्धासन,पदमासन या सुखासन में बैठ जाएँ | दोनों हाँथ घुटनों पर रख लें हथेलियाँ उपर की तरफ रहें | अनामिका अंगुली (रिंग फिंगर) को मोडकर अंगूठे की जड़ में लगा लें एवं उपर से अंगूठे से दबा लें | बाकि की तीनों अंगुली सीधी रखें |

जाने इसके लाभ :-
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* इस मुद्रा से वजन कम होता है और शरीर संतुलित रहता है।मोटापा कम करने के लिए आप इसका प्रयोग नित्य-प्रति करे ये बिना पेसे की दवा है हाँ जादू की अपेक्षा न करे .

* इस मुद्रा का रोज दो बार 5 से 15 मिनट तक अभ्यास करने से शरीर का कोलेस्ट्रॉल घटता है।
वजन कम करने के लिए यह असान क्रिया चमत्कारी रूप से कारगर पाई गई है।सूर्य मुद्रा के अभ्यास से मोटापा दूर होता है | शरीर की सूजन दूर करने में भी यह मुद्रा लाभकारी है |

* जिन स्त्रियों के बच्चा होने के बाद शरीर में मोटापा बढ़ जाता है वे अगर इस मुद्रा का नियमित
अभ्यास करें तो उनका शरीर बिल्कुल पहले जैसा हो जाता है।

* सूर्य मुद्रा को रोजाना करने से पूरे शरीर में ऊर्जा बढ़ती है और गर्मी पैदा होती है।तथा सूर्य मुद्रा को करने से शरीर में ताकत पैदा होती है।

* कमजोर शरीर वाले व्यक्तियों को यह मुद्रा नहीं करनी चाहिए। वर्ना और कमजोरी आएगी .हाँ जिनको अपना शरीर स्लिम रखना है वो कर सकते है .

* इसे नियमित करने से बेचैनी और चिंता कम होकर दिमाग शांत बना रहता है।

* यह जठराग्रि (भूख) को संतुलित करके पाचन संबंधी तमाम समस्याओं से छुटकारा दिलाती है।

* यह मुद्रा शरीर की सूजन मिटाकर उसे हल्का और चुस्त-दुरुस्त बनाती है।

* सूर्य मुद्रा करने से शरीर में गर्मी बढ़ती है अतः गर्मियों में मुद्रा करने से पहले एक गिलास पानी पी लेना चाहिए |

* प्रातः सूर्योदय के समय स्नान आदि से निवृत्त होकर इस मुद्रा को करना अधिक लाभदायक होता है | सांयकाल सूर्यास्त से पूर्व कर सकते हैं |

* अनामिका अंगुली पृथ्वी एवं अंगूठा अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है , इन तत्वों के मिलन से शरीर में तुरंत उर्जा उत्पन्न हो जाती है |

* सूर्य मुद्रा के अभ्यास से व्यक्ति में अंतर्ज्ञान जाग्रत होता है |

छोटी-छोटी मगर मोटी-मोटी बातें

















छोटी-छोटी मगर मोटी-मोटी बातें::
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पेट दर्द - अाधा चम्मच हल्दी और आधे चम्मच नमक को मिलाकर ठंडे पानी से फांकी मार लें। पेट दर्द में तुरंत आराम मिलेगा।

बालों का गिरना - यदि आपके बालों में रूसी है या फिर आपके बाल झड़ रहे हैं तो आप कच्चे पपीते का पेस्ट बनाकर बालों की जड़ों पर 10 मिनट तक लगाएं। उसके बाद बाल धो लें। ऐसा करने से आपके बाल नहीं झड़ेंगे।

खून की खराबी - खून साफ नहीं हैं तो 1 चम्मच शहद को आधे गिलास पालक के रस में मिलाकर 1 महीने तक सेवन करें। यह आपके रक्त विकार को दूर करेगा और खून को साफ रखेगा।

स्किन प्रॉब्लम - नारियल पानी में कच्चा दूध, नींबू का रस, बेसन और चंदन पाउडर मिलाकर लेप तैयार करें। नहाने से 15 मिनट पहले ये लेप चेहरे पर लगाएं। उसके बाद चेहरा धो लें। यह नुस्खा स्किन प्रॉब्लम दूर कर चेहरे को चमकदार बनाता है।

एसिडिटी - भोजन करने के बाद आप थोड़े से गुड़ का सेवन करें। ऐसा करने से एसिडिटी की समस्या खत्म हो जाएगी।

सिरदर्द - एक गिलास गर्म पानी में आधे नींबू का रस डालकर पिएं। सिर दर्द दूर हो जाएगा। साथ ही युकेलिप्टस के तेल से सिर की मसाज करें। इससे सिर दर्द में आराम मिलता है।

गैस्ट्रिक ट्रबल - अजवायन और काला नमक पीस कर समान मात्रा में मिला लें। इस चूर्ण को एक चम्मच मात्रा में गर्म पानी से लें। गैस की समस्या में तुरंत आराम मिलेगा।

गैस्ट्रिक ट्रबल - एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नीबू, थोड़ा सा काला नमक, सिका हुआ जीरा और थोडी सी हींग मिलाकर लेने से गैस की तकलीफ में तत्काल राहत मिलती है।

जुकाम - यदि जुकाम या सर्दी हो तो रात को सोने से पहले गर्म पानी पीकर सोएं। जुकाम में बहुत राहत मिलेगी।

अपनी दवा ठंडे पानी से मत लें।

2. पांच बजे शाम के बाद भारी खाना न खाएं।
3. सुबह में रात की अपेक्षा ज्यादा पानी पियें.
4. सोने का सबसे बेहतर समय 10 बजे रात से 4 बजे सुबह होता है।
5. खाना खाने के तुरंत बाद न ही सोयें या न ही लेटे.
6. फ़ोन कॉल बाएं कान से सुनें।
7. जब मोबाइल फ़ोन बिलकुल डिस्चार्ज हो रहा हो तो उस समय फ़ोन न सुने क्योंकि उस समय रेडिएशन 1000 गुना ज्यादा होता है।
8. चार्ज में लगे फ़ोन से फ़ोन न ही करें, न ही रिसीव करें. उस समय रेडिएशन ज्यादा निकलता है।

दांत दर्द-
दांत का दर्द अगर परेशान कर रहा हो तो पांच लौंग पीस कर उसमे निम्बू का रस निचोड़कर दांतो पर मलने से दर्द दूर होता है।
दांत में कीड़ा लगने पर दांतो के नीचे लौंग को रखना या लौंग का तेल लगाना चाहिए।
पांच लौंग एक ग्लास पानी में उबालकर इसमें कुल्ले करने से दर्द ठीक हो जाता है।
नीम की कोंपलों को उबाल कर कुल्ले करने से दांतो का दर्द जाता रहता है।
दर्द वाले दांत पर कपूर लगाएं। 
दांत में छेद हो तो उसमे कपूर भर दें। दर्द दूर होगा, कीड़े भी मर जाएंगे।
गर्म पानी में मिलकर कुल्ले करने से दांत दर्द में लाभ होता है। 
नित्य रात को सोने से पहले गर्म पानी में नमक डाल कर गरारे करके सोने से दांतों में कोई रोग नहीं होता।
अदरक के टुकड़े पर नमक डालकर दर्द वाले दांतो में दबाएं, आराम मिलेगा।

कच्‍चे पपीते से पाइये अनचाहे बालों से मुक्‍ती














कच्‍चे पपीते से पाइये अनचाहे बालों से मुक्‍ती

शरीर और होंठो के ऊपर जब अनचाहे बाल निकलते हैं तो यह कई महिलाओं के लिये शर्मसार कर देने वाली बात बन जाती है। कई महिलाओं को वैक्‍सिंग और शेविंग करने में आलस आता है या फिर समय ना होने की वजह से वह उस पर ध्‍यान नहीं दे पाती। लेकिन अब इस बात को इतना तूल देने की जरुरत नहीं है क्‍योंकि अब कुछ घरेलू नुस्‍खों से ही आप अनचाहे बालों से मुक्‍ती पा सकती हैं। इस मामले में कच्‍चा पपीता काफी अच्‍छा माना जाता है, जानते हैं कैसे-

● किस तरह काम करता है कच्‍चा पपीता 
कच्‍चे पपीते में एंजाइम होता है, जिसे रेगुलर त्‍वचा पर लगाने से बाल की जड़ कमजोर पड़ जाती है और धीरे धीरे बाल आना बंद हो जाते हैं। पपीते के अंदर पाया जाने वाला कम्‍पोनेंट हेयर रिमूवल क्रीम में भी डाला जाता है। यहां दो प्रकार के पैक दिये जा रहे हैं जिसे आप अनचाहे बालों को निकालने के लिये प्रयोग कर सकती हैं।

1) कच्‍चा पपीता और हल्‍दी
पपीते के अलावा हल्‍दी भी अनचाहे बाल और संक्रमण से बचाती है। इस पैक को बनाने के लिये कच्‍चे पपीते के कुछ टुकडे़ काटे और उसका पेस्‍ट बना लें। फिर इसमें एक चुटकी हल्‍दी डालें। इस पेस्‍ट को उस जगह लगाएं जहां के बालों को निकालना हो। जब पैक सूख जाए तब इसे स्‍क्रब कर के निकाल दें। अच्‍छा रिजल्‍ट पाने के लिये ऐसा हफ्ते में एक बार जरुर करें।

2) कच्‍चा पपीता, हल्‍दी, बेसन और ऐलो वेरा :-
इस पैक को बनाने के लिये कच्‍चे पपीते के कुछ टुकडे़ ले कर पीस लें। फिर इसमें अलो वेरा का पल्‍प, 1 चुटकी हल्‍दी और बेसन मिक्‍स करें। इस पेस्‍ट को लगाएं और सूखने दें। फिर इसे स्‍क्रब कर के निकालें। इससे आपको काफी अच्‍छा लाभ होगा।

● सावधानी: अगर आपको किसी भी सामग्री से एलर्जी होती है तो, उसका प्रयोग ना करें। साथ ही इस बात का भी ध्‍यान रखें कि घरेलू नुस्‍खे एक बार में काम नहीं करते इसलिये इन्‍हें लगातार आजमाना पड़ता है। इस पैक को हफ्ते में एक बार जरुर लगाएं, आपको इसका रिजल्‍ट जल्‍द देखने को मिलेगा।

Tuesday 23 June 2015

बारह आवश्यक बातें













वो बारह बातें जो डाक्टर नहीं बताता रोगी को पर आपके लिए जानना है आवश्यक:
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1. दवाइयों से डायबिटीज बढ़ती है अक्सर डायबिटीज शरीर में इंसुलिन की कमी होने से पैदा होती है। लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि कुछ खास दवाईयों के असर से भी शरीर में डायबिटीज होती है। इन दवाइयों में मुख्यतया एंटी डिप्रेसेंट्स, नींद की दवाईयां, कफ सिरफ तथा बच्चों को एडीएचडी (अतिसक्रियता) के लिए दी जाने वाली दवाईयां शामिल हैं। इन्हें दिए जाने से शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है और व्यक्ति को मधुमेह का इलाज करवाना पड़ता है।

2. बिना वजह लगाई जाती है कुछ वैक्सीन वैक्सीन लोगों को किसी बीमारी के इलाज के लिए लगाई जाती है। परन्तु कुछ वैक्सीन्स ऎसी हैं तो या तो बेअसर हो चुकी है या फिर वायरस को फैलने में मदद करती है जैसे कि फ्लू वायरस की वैक्सीन। बच्चों को दिए जाने वाली वैक्सीन डीटीएपी केवल बी.परट्यूसिस से लड़ने के लिए बनाई गई है जो कि बेहद ही मामूली बीमारी है। परन्तु डीटी एपी की वैक्सीन फेफड़ों के इंफेक्शन को आमंत्रित करती है जो दीर्घकाल में व्यक्ति की इम्यूनिटी पॉवर को कमजोर कर देती है।

3. कैन्सर हमेशा कैन्सर ही नहीं होता यूं तो कैन्सर स्त्री-पुरूष दोनों में किसी को भी हो सकता है लेकिन ब्रेस्ट कैन्सर की पहचान करने में अधिकांशतया डॉक्टर गलती कर जाते हैं। सामान्यतया स्तन पर हुई किसी भी गांठ को कैंसर की पहचान मान कर उसका उपचार किया जाता है जो कि बहुत से मामलों में छोटी-मोटी फुंसी ही निकलती है। उदाहरण के तौर पर हॉलीवुड अभिनेत्री ए ंजेलिना जॉली ने मात्र इस संदेह पर अपने ब्रेस्ट ऑपरेशन करके हटवा दिए थे कि उनके शरीर में कैन्सर पैदा करने वाला जीन पाया गया था।

4. दवाईयां कैंसर पैदा करती हैं ब्लड प्रेशर या रक्तचाप (बीपी) की दवाईयों से कैन्सर होने का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है। ऎसा इसलिए होता है क्योंकि ब्लडप्रेशर की दवाईयां शरीर में कैल्सियम चैनल ब्लॉकर्स की संख्या बढ़ा देता है जिससे शरीर में कोशिकाओं के मरने की दर बढ़ जाती है और प्रतिक्रियास्वरूप कोशिकाएं बेकार होकर कैंसर की गांठ बनाने में लग जाती हैं।

5. एस्पिरीन लेने से शरीर में इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है हॉर्ट अटैक तथा ब्लड क्लॉट बनने से रोकने के लिए दी जाने वाली दवाई एस्पिरीन से शरीर में इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा लगभग 100 गुणा बढ़ जाता है। इससे शरीर के आ ंतरिक अंग कमजोर होकर उनमें रक्तस्त्राव शुरू हो जाता है। एक सर्वे में पाया गया कि एस्पिरीन डेली लेने वाले पेशेंट्स में से लगभग 10,000 लोगों को इंटरनल ब्लीडिंग का सामना करना पड़ा।

6. एक्स-रे से कैन्सर होता है आजकल हर छोटी-छोटी बात पर डॉक्टर एक्स-रे करवाने लग गए हैं। क्या आप जानते हैं कि एक्स-रे करवाने के दौरान निकली घातक रेडियोएक्टिव किरणें कैंसर पैदा करती हैं। एक मामूली एक्स-रे करवाने में शरीर को हुई हानि की भरपाई करने में कम से कम एक वर्ष का समय लगता है। ऎसे में यदि किसी को एक से अधिक बार एक्स-रे क रवाना पड़े तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

7. सीने में जलन की दवाई आंतों का अल्सर साथ लाती है बहुत बार खान-पान या हवा-पानी में बदलाव होने से व्यक्ति को पेट की बीमारियां हो जाती है। इनमें से एक सीने में जलन का होना भी है जिसके लिए डॉक्टर एंटी-गैस्ट्रिक दवाईयां देते हैं। इन मेडिसीन्स से आंतों का अल्सर होने की संभावना बढ़ जाती है, साथ ही साथ हडि्डयों का क्षरण होना, शरीर में विटामिन बी12 को एब्जॉर्ब करने की क्षमता कम होना आदि बीमारियां व्यक्ति को घेर लेती हैं। सबसे दुखद बात तब होती है जब इनमें से कुछ दवाईयां बीमारी को दूर तो नहीं करती परन्तु साईड इफेक्ट अवश्य लाती हैं।

8. दवाईयों और लैब-टेस्ट से डॉक्टर्स कमाते हैं मोटा कमीशन यह अब छिपी बात नहीं रही कि डॉक्टरों की कमाई का एक मोटा हिस्सा दवाईयों के कमीशन से आता है। यहीं नहीं डॉक्टर किसी खास लेबोरेटरी में ही मेडिकल चैकअप के लिए भेजते हैं जिसमें भी उन्हें अच्छी खासी कमाई होती है। कमीशनखोरी की इस आदत के चलते डॉक्टर अक्सर जरूरत से ज्यादा मेडिसिन दे देते हैं।

9. जुकाम सही करने के लिए कोई दवाई नहीं है नाक की अंदरूनी त्वचा में सूजन आ जाने से जुकाम होता है। अभी तक मेडिकल साइंस इस बात का कोई कारण नहीं ढूंढ पाया है कि ऎसा क्यों होता है और ना ही इसका कोई कारगर इलाज ढूंढा जा सका है। डॉक्टर जुकाम होने पर एंटीबॉयोटिक्स लेने की सलाह देते हैं परन्तु कई अध्ययनों में यह साबित हो चुका है कि जुकाम 4 से 7 दिनों में अपने आप ही सही हो जाता है। जुकाम पर आपके दवाई लेने का कोई असर नहीं होता है, हां आपके शरीर को एंटीबॉयोटिक्स के साईड-इफेक्टस जरूर झेलने पड़ते हैं।

10. एंटीबॉयोटिक्स से लिवर को नुकसान होता है मेडिकल साइंस की सबसे अद्भुत खोज के रूप में सराही गई दवाएं एंटीबॉयोटिक्स हैं। एंटीबॉयोटिक्स जैसे पैरासिटेमोल ने व्यक्ति की औसत उम्र बढ़ा दी है और स्वास्थ्य लाभ में अनूठा योगदान दिया है, लेकिन तस्वीर के दूसरे पक्ष के रूप में एंटीबॉयोटिक्स व्यक्ति के लीवर को डेमेज करती है। यदि लंबे समय तक एंटीबॉयोटिक्स का प्रयोग कि या जाए तो व्यक्ति की किडनी तथा लीवर बुरी तरह से प्रभावित होते हैं और उनका ऑपरेशन करना पड़ सकता है।

11. अनेक डाक्टर खुद योग और देसी दवाओं से अपना और अपने परिवार का इलाज करवाते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि आयुर्वेद और योग के साइड इफ़ेक्ट नही हैं और इससे रोग भी जड़ से समाप्त होते हैं.

12. बाइपास सर्जरी जो कि हृदयघात (दिल का दौरा) के रोगियों के लिए बताई जाती है वो डाक्टर खुद अपने लिए कभी नही सोचते क्योंकि एक तो यह स्थाई इलाज नही है दूसरा इस से दौरा फिर से पड़ने के मौके कम नही होते, खुद पर ऐसी समस्या आने पर डाक्टर घिया (लौकी) का रस या अर्जुन की छाल का काढ़ा बना कर पीते हैं या रोज प्राणायाम और योग करते हैं

Sunday 21 June 2015

सर्दी-जुकाम में उपवास करें













सर्दी-जुकामः

सर्दी-जुकाम में आगे के प्रकरण के अनुसार उपवास करें।

पहला प्रयोगः गर्म दूध में 1 से 2 ग्राम पिसी सोंठ मिलाकर अथवा तुलसी के पत्ते का 2 से 10 मि.ली. रस एवं अदरक के 2 से 20 मि.ली. रस में एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो तीन बार लेने से सर्दी में लाभ होता है।

दूसरा प्रयोगः 5 से 10 ग्राम पुराना गुड़ एवं 2 से 10 ग्राम अदरक मिलाकर खाने से अथवा आधी कटोरी दूध में 2 से 10 ग्राम काली मिर्च और 1 से 5 ग्राम हल्दी उबालकर देने से सर्दी में लाभ होता है।

तीसरा प्रयोगः शरीर ठण्डा होने पर बिना छिलके के भूने चने का पाउडर एवं सोंठ का पाउडर सूखा-सूखा घिसने पर शरीर में गर्मी आती है।

चौथा प्रयोगः नींबू का रस गर्म पानी में मिलाकर रात को सोते समय पीने से सर्दी मिटती है।

पाँचवाँ प्रयोगः रात के समय नित्य सरसों का तेल या गाय के घी को गुनगुना गर्म करके नाक द्वाराएक- दो बूँद लेने से नजला-जुकाम नहीं होता है व मस्तिष्क स्वस्थ रहता है।

छठा प्रयोगः बड़ के कोमल पत्तों को छाया में सुखाकर कूट कर पीस लें। आधा लीटर पानी में एक चम्मच चूर्ण डालकर काढ़ा बनायें। जब चौथाई पानी शेष बचे तब उतारकर छान लें और पिसी मिश्री मिलाकर कुनकुना करके पियें। यह प्रयोग दिमागी शक्ति बढ़ाता है व नजले जुकाम में भी लाभदायक है।

सातवाँ प्रयोगः सर्दी के कारण होता सिरदर्द, छाती का दर्द एवं बेचैनी में सोंठ के पाउडर को पानी में डालकर गर्म करके पीड़ावाले स्थान पर थोड़ा लेप करें। सोंठ की डली डालकर उबाला गया पानी पियें। सोंठ का चूर्ण शहद में मिलाकर थोड़ा-थोड़ा रोज चाटें। भोजन में मूँग, बाजरी, मेथी एवं लहसुन का प्रयोग करें। इससे भी सर्दी मिटती है।

आठवाँ प्रयोगः पुदीने का ताजा रस कफ, सर्दी में लाभप्रद है।